ताजा निर्गमों को शानदार सफलता के साथ IPO बाजार को बाद में कुछ रफ्तार मिली है। हालांकि सिर्फ कुछ निर्गम ही सफलता हासिल करने में कामयाब रहे। कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक 23 कंपनियों को बाजार नियामक सेबी द्वारा दी गई अपनी मंजूरियां समाप्त करने की अनुमति दी गई।
IPO से पहले DRHP एक आरंभिक दस्तावेज होता है और इसमें सभी जरूरी विवरण, जैसे पेश किए जाने वाले शेयरों की संख्या, वित्तीय परिणाम, और जोखिम संबंधित कारक की जानकारी शामिल होती है। IPO की मंजूरी के बाद, सेबी अपना निर्णायक राय पेश करता है। अंतिम मंजूरी की तारीख से एक साल के अंदर कंपनी को IPO लाने की जरूरत होती है।
करीब एक दर्जन ऐसी मंजूरियां अप्रैल से अवैध हो गई हैं। आधा दर्जन मंजूरियां अगले 6 सप्ताहों में समाप्त हो जाएंगी। इनमें से जिन IPO की मंजूरियां समाप्त हो रही हैं, वे संयुक्त रूप से करीब 48,180 करोड़ रुपये जुटा सकती थीं।
निवेश बैंकरों का कहना है कि कुछ कंपनियां अपने DRHP फिर से सौंप सकती हैं, जिससे कि उन्हें लिस्टिंग का एक और मौका मिल सके। कुछ कंपनियां कोष उगाही के वैकल्पिक तरीकों पर विचार कर रही हैं। आधार हाउसिंग फाइनैंस, एपीआई, होल्डिंग्स, मैकलॉयड्स फार्मास्युटिकल्स, भारत एफआईएच, और फैब इंडिया उन कंपनियों में शामिल हैं जिनकी एक वर्षीय मंजूरी अवधि समाप्त हो गई है। जुलाई से पहले जिन कंपनियों की IPO संबंधित मंजूरियां समाप्त हो रही हैं, उनमें इंडिया एक्सपोजीशन मार्ट, कॉरटेक इंटरनैशनल, सेन्को गोल्ड, और पीकेएच वेंचर्स शामिल हैं।
कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक, 6 कंपनियों ने IPO के जरिये 6,430 करोड़ रुपये जुटाए हैं। IKIO लाइटिंग के IPO को 67 गुना आवेदन मिले, और मैनकाइंड फार्मा के 4,326 करोड़ रुपये के निर्गम को 15 गुना अभिदान मिला। सेकंडरी बाजार में तेजी की वजह से इन IPO को अच्छी प्रतिक्रिया मिली।
सेंसेक्स अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तरों से सिर्फ 0.2 प्रतिशत और निफ्टी 0.5 प्रतिशत दूर है। हालांकि इन सूचकांकों में यह तेजी भारतीय बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव के बाद दर्ज की गई है। विभिन्न कारकों – दर वृद्धि की आशंका, अदाणी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोप और अमेरिका में बैंकिंग संकट से उतार-चढ़ाव को बढ़ावा मिला। इसकी वजह से, IPO लाने की तैयारी कर रहीं कंपनियों ने अपनी सूचीबद्धता योजनाओं पर सतर्कता बरतना उचित समझा।
इसके अलावा, ऊंचे मूल्यांकन की उम्मीद के साथ पिछले साल डीआरएचपी पेश किए गए थे। बैंकरों का कहना है कि कुछ कंपनियां जरूरी पूंजी संबंधित अनिवार्यता की वजह से मूल्यांकन घटा सकती हैं।
उनका कहना है कि भविष्य में और ज्यादा संख्या में कंपनियां IPO लाने के लिए मिलीं अपनी मंजूरियों को नजरअंदाज कर सूचीबद्धता योजनाएं टाल सकती हैं।