bभारत से वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग संगठनों और सेमीकंडक्टर कंपनियों के अधिकारियों का एक प्रभावशाली प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह ताइवान की यात्रा पर जा रह है। सूत्रों ने कहा कि इस यात्रा का मकसद विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की संभावना तलाशना है। यह यात्रा सेमीकॉन इंडिया 2025 के तुरंत बाद हो रही है। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के अगले बड़े गंतव्य के रूप में पेश किया है।
दिलचस्प है कि जब ताइपे में भारतीय प्रतिनिधिमंडल बातचीत के लिए पहुंचेंगे तो उसी दौरान सेमीकॉन ताइवान 2025 भी चल रहा होगा। माना जा रहा है कि इसमें ताइवानी सेमीकंडक्टर चिप फाउंड्री द्वारा भारत में कारखाना लगाने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। ताइवान दुनिया भर के कई उद्योगों में उपयोग होने वाले चिप के निर्माण का सबसे बड़ा केंद्र है। बदलती भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा ज्यादा प्रासंगिक प्रतीत होती है।
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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल एडवांस्ड सेमीकंडक्टर इंजीनियरिंग (एएसई) ग्रुप और यूनाइटेड माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन (यूएमसी) के साथ ही अन्य कंपनियों के साथ अवसरों पर चर्चा कर सकता है।
एक अधिकारी ने कहा कि दुनिया में चिप बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) चीन, ताइवान, जापान और अमेरिका में नया कारखाना लगा रही है। इसलिए कंपनी के लिए उन चार कारखानों के पूरा होने से पहले किसी नई जगह के लिए प्रतिबद्धता जताना कठिन होगा।
अधिकारी ने कहा कि ताइवान यात्रा के दौरान चिप फाउंड्री को कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के साथ भी भारत में कारखाना लगाने के लिए उनकी आवश्यकताओं पर चर्चा हो सकती है। भारत में चिप फैब्रिकेशन संयंत्र लगाने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ताइवानी कंपनियां सबसे आगे रही हैं। महत्त्वपूर्ण साझेदारियों में से एक टाटा समूह और ताइवान की पीएसएमसी के बीच संयुक्त उद्यम है जो गुजरात के धोलेरा में भारत की पहली चिप फैब्रिकेशन कारखाना बनाने में सहयोग कर रही है।
ताइवान की फॉक्सकॉन ठेके पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद बनाने वाली दुनिया की सबसे कंपनी है। इसने भी एचसीएल समूह के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के जेवर में एक ओएसएटी (आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली ऐंड टेस्ट) इकाई स्थापित करने का करार किया है।
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सरकार की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’ (आईएसएम) के दूसरे चरण की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के बीच हो रही है। सूत्रों के अनुसार आईएसएम फेज 2 के लिए कुल परिव्यय लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है और इसे वित्त मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक अधिकारी ने आईएसएम के दूसरे चरण पर विस्तार से बताते हुए कहा कि पहले चरण की तुलना में दो या तीन चीजें अलग होंगी। उन्होंने कहा, ‘हम मशीनरी विनिर्माताओं, गैस और रसायन आपूर्तिकर्ताओं आदि को लाएंगे। हमारे पास एक फैब है लेकिन वह स्पष्ट रूप से पर्याप्त क्षमता नहीं है इसलिए फैब (सेमीकंडक्टर चिप फैब्रिकेशन) के लिए समर्थन जारी रहेगा। जहां तक एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग ऐंड पैकेजिंग) और ओएसएटी यूनिट का सवाल है, हमें यह देखना होगा कि कोष का सबसे अच्छा उपयोग कैसे किया जाए और इस पर फैसला लेना होगा कि उन्हें कितनी प्रोत्साहन राशि की आवश्यकता है।’
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सेमीकंडक्टर चिप फैब्रिकेशन और पैकेजिंग पारिस्थतिकी को शुरुआती चरण से स्थापित करने का भारत का सफर दिसंबर 2021 में शुरू हुआ था जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस क्षेत्र के लिए 76,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज को मंजूरी दी थी।