इराक, यूएई और ईरान चालू कैलेंडर वर्ष के पहले आठ महीनों के दौरान भारतीय चाय निर्यात के प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरे हैं, जिससे रूस जैसे प्रमुख बाजारों में शिपमेंट में गिरावट की भरपाई हुई है।
टी बोर्ड ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जनवरी से अगस्त के बीच इराक 3.59 करोड़ किलोग्राम के साथ भारतीय चाय का शीर्ष खरीदार था, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 3.09 करोड़ किलोग्राम का था। ईरान को निर्यात पिछले साल के 63 लाख किलोग्राम के मुकाबले बढ़कर 63.9 लाख किलोग्राम हो गया। निर्यातकों का कहना है कि ईरान को जाने वाली चाय ज्यादातर दुबई के रास्ते भेजी गई जो सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र है।
आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से अगस्त 2025 के दौरान यूएई को चाय का निर्यात बढ़कर 3.12 करोड़ किलोग्राम हो गया जो एक साल पहले की समान अवधि में 2.82 करोड़ किलोग्राम रहा था।
इंडियन टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अंशुमन कनोरिया ने कहा कि ईरान और इराक अकेले ही समग्र निर्यात को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘दूसरे बाजारों में जो कुछ भी हम खो रहे हैं, उसकी भरपाई इन बाजारों द्वारा की जा रही है। मांग बहुत अधिक है।’
भारत से रूस को हो रहे चाय निर्यात में गिरावट आई है। रूस पारंपरिक तौर पर भारतीय चाय के लिए एक प्रमुख बाजार रहा है। साल 2024 के पहले आठ महीनों में वहां निर्यात 2.69 करोड़ किलोग्राम था, जो इस साल इसी अवधि के दौरान घटकर 2.08 करोड़ किलोग्राम रह गया। गिरावट का मुख्य कारण सीटीसी था।
एक्सपोर्ट हाउस भंसाली ऐंड कंपनी के निदेशक अनीश भंसाली ने कहा कि रूस को निर्यात में भारी गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह युद्ध का जारी रहना और रूसी बाजार में केन्याई सीटीसी चाय का प्रवेश है। उन्होंने कहा, ‘मगर ईरान और इराक जैसे पश्चिम एशियाई बाजारों में पारंपरिक किस्मों की मांग मजबूत बनी हुई है। इराक को मात्रा बढ़ रही है और ईरान में कुछ भुगतान पंजीकरण मुद्दे हैं। मगर कुल मिलाकर मांग अच्छी बनी हुई है।’
एशियन टी कंपनी के निदेशक मोहित अग्रवाल ने कहा कि यूरोपीय संघ और अमेरिका को वॉल्यूम में गिरावट आई है। उन्होंने कहा, ‘मगर इराक और ईरान में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। इजरायल-गाजा में शांति समझौता भी अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय चाय निर्यात को बढ़ावा देगा क्योंकि इससे पश्चिम एशिया में समग्र भावनाएं बेहतर होंगी।’
अमेरिका में 50 फीसदी शुल्क भी निर्यात पर बोझ बन रहा है। साउथ इंडिया टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शाह ने कहा, ‘इतने ऊंचे शुल्क ढांचे के साथ निर्यात को बनाए रखना मुश्किल है। जब खरीदार दूर हो जाते हैं तो उनके कारोबार को नए सिरे से हासिल करने में लंबा वक्त लगता है।’
आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी से अगस्त 2025 के दौरान अमेरिका को चाय निर्यात 1.05 करोड़ किलोग्राम था, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 1.13 करोड़ किलोग्राम रहा था।
इक्रा के उपाध्यक्ष सुमित झुनझुनवाला ने कहा कि इस साल निर्यात को मुख्य तौर पर पारंपरिक चाय से रफ्तार मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘जनवरी से जून तक भारत ने कुल 12.5 करोड़ किलोग्राम चाय का निर्यात किया जो पिछले साल की समान अवधि के लगभग बराबर है। मगर उसका मेल बदल गया है। सीटीसी 5.6 करोड़ किलोग्राम से घटकर 5.3 करोड़ किलोग्राम हो गया, जबकि पारंपरिक यानी ऑर्थोडॉक्स 5 करोड़ किलोग्राम से बढ़कर 5.7 करोड़ किलोग्राम हो गया। मिश्रण में इस बदलाव की झलक विभिन्न श्रेणियों के मूल्य निर्धारण में भी दिखती है।’
कलकत्ता टी ट्रेडर्स एसोसिएशन (सीटीटीए) के आंकड़ों से पता चला कि कोलकाता नीलामी में ऑर्थोडॉक्स चायपत्ती की औसत कीमत इस सीजन में 299.49 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि पिछले साल कीमत 312.49 रुपये प्रति किलोग्राम थी। सीटीटीए के सचिव जे. कल्याण सुंदरम ने कहा कि इस साल नीलामी में बेची गई ऑर्थोडॉक्स चाय की मात्रा पिछले साल के मुकाबले करीब 1 करोड़ किलोग्राम अधिक थी। उन्होंने कहा, ‘ऑर्थोडॉक्स चाय की मांग अधिक है और इसलिए बिक्री अधिक है।’
भारत में ऑर्थोडॉक्स चाय के एक प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक एमके शाह एक्सपोर्टर्स के चेयरमैन हिमांशु शाह ने कहा, ‘ऑर्थोडॉक्स चाय की बाजार में अब तक अच्छी मांग दिख रही है और अगले कुछ सप्ताह तक यही स्थिति बरकरार रहने की संभावना है।’ दीपक शाह ने कहा कि भले ही इराक एक आकर्षक बाजार के रूप में उभरा है, लेकिन ज्यादातर ऑर्डर सरकारी अनुबंध थे जो मध्यम श्रेणी के चाय के लिए थे। उन्होंने कहा, ‘चुनौती यह है कि एक भी अनुबंध खोने का मतलब वॉल्यूम में भारी गिरावट हो सकती है।’
कुल मिलाकर, इस साल जनवरी से अगस्त की अवधि में भारत से चाय का निर्यात पिछले साल के 17.06 करोड़ किलोग्राम के मुकाबले 17.44 करोड़ किलोग्राम रहा। चीन में भी जबरदस्त फायदा हुआ जहां निर्यात पिछले साल के 33.1 लाख किलोग्राम के मुकाबले इस साल 96.4 लाख किलोग्राम रहा। कनोरिया ने बताया कि चीन में जबरदस्त बाजार क्षमता है।