सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) के लिए सुधारों के नए दौर की घोषणा कर सकती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को दस्तावेजों और घटनाक्रम के जानकार लोगों से पता चला है कि प्रधानमंत्री कार्यालय कर और अनुपालन बोझ कम करने तथा लागत प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने के लिए एमएसएमई मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है। इन उपायों की घोषणा साल के अंत तक की जा सकती है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इससे संबंधित दस्तावेजों को देखा है जिसमें तीन स्तरीय प्रारूप की बात कही गई है। पहले चरण में क्लस्टर-स्तरीय कार्यशालाएं आयोजित की जाएगी और फिर नवंबर में सात शहरों में क्षेत्रीय-स्तर के सम्मेलन होंगे और साल के अंत में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब नीति आयोग के सदस्य और पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने एमएसएमई क्षेत्र में प्रक्रियाओं और नियमों को सरल बनाने के लिए कई सुधारों का प्रस्ताव रखा है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘एमएसएमई मंत्रालय का लक्ष्य नवंबर के मध्य तक अपनी सिफारिशें पीएमओ को सौंपना है, जिसके बाद वित्त मंत्रालय के साथ परामर्श करके प्रस्तावों की समीक्षा की जाएगी। दिसंबर के पहले पखवाड़े में प्रधानमंत्री द्वारा अंतिम पैकेज की घोषणा किए जाने की उम्मीद है।’
इस बारे में जानकारी के लिए संबंधित मंत्रालयों को ईमेल भेजे गए मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
दस्तावेजों से पता चलता है कि परामर्श दो मूल उद्देश्यों के इर्द-गिर्द हो रहे हैं – लागत कम करना और उत्पादकता बढ़ाना। एमएसएमई से वित्तीय और पूंजी लागत, कच्चे माल की लागत, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला, मार्केटिंग, नियामक आवश्यकताओं और गुणवत्ता मानकों पर कार्रवाई योग्य सुझाव साझा करने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने देश भर में विनिर्माण को मजबूत करने के लिए तकनीक, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और नवाचार का लाभ उठाने के लिए भी सुझाव मांगे हैं।
उद्योग स्तरीय प्रशिक्षण, तकनीकी ढांचा, वेंचर कैपिटल फंडिंग, फंड-ऑफ-फंड्स तंत्र और अनुसंधान तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए मजबूत उद्योग-अकादमिक संबंधों जैसे क्षेत्रों पर भी राय आमंत्रित किए जा रहे हैं। बौद्धिक संपदा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी सुझाव मांगे गए हैं, जिसमें पेटेंट, ट्रेडमार्क और भौगोलिक संकेतकों के लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण शामिल है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘ये सुधार जमीनी स्तर से हो रहे हैं। क्षेत्रीय सम्मेलन राष्ट्रीय स्तर पर अंतिम सिफारिशें पेश किए जाने से पहले क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों पर विचार करेगा।’ उन्होंने कहा, ‘एमएसएमई मंत्रालय द्वारा पीएमओ को अपनी सिफारिशें सौंपने के बाद वित्त मंत्रालय अंतिम सुधार पैकेज को मंजूरी देने से पहले उनके वित्तीय निहितार्थों और नीतिगत व्यवहार्यता का आकलन कर सकता है। ‘
रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र लंबे समय से एक वाजिब कर संरचना और तीव्र कानूनी समाधान की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘करों के अलावा छोटे व्यवसायों के लिए दूसरी गंभीर चिंता मुकदमेबाजी है। कई एमएसएमई राज्य की राजधानियों से दूर काम करते हैं और जब विवाद उच्च न्यायालयों तक पहुंचते हैं तो दूरी और लागत न्याय के लिए वास्तविक बाधाएं बन जाती हैं। कुछ राज्यों में कई पीठ हैं, अन्य को भी इसका पालन करने की आवश्यकता है ताकि न्याय तक पहुंच कारोबारी सुगमता का हिस्सा बन जाए।’
सरकार ने 2020 में एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन किया था। नई परिभाषा के अनुसार, जिन इकाइयों का कारखाने, मशीनरी या उपकरणों में निवेश 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है और जिनका वार्षिक कारोबार 250 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है, उन्हें उनके निवेश एवं कारोबार के स्तर के आधार पर मध्यम, लघु या सूक्ष्म माना जाता है।