facebookmetapixel
अमेरिका के 40% ट्रांस-शिपमेंट टैरिफ से भारत-आसियान पर असर, सेमीकंडक्टर समेत इन सेक्टर्स की बढ़ेंगी मुश्किलें: मूडीजTata Trust: वेणु श्रीनिवासन आजीवन ट्रस्टी बने, मेहली मिस्त्री पर नजरGold-Silver Price: संवत 2082 के पहले दिन सस्ता हुआ सोना-चांदी, चेक करें ताजा भावमूहूर्त ट्रेडिंग 2025 में Ather Energy के शेयर ने मचाया धमाल! 52 हफ्तों के हाई पर पहुंचा स्टॉक, जानिए वजहSamvat 2082: शेयर बाजार में निवेशकों को मिल सकता हैं 10–15% रिटर्न, इन सेक्टर्स पर रखें नजरमूहूर्त ट्रेडिंग 2025 में Unimech Aerospace के शेयर ने भरी उड़ान! जानिए 5% उछाल की बड़ी वजहसंवत 2082 की अच्छी शुरुआत; बाजार हरे निशान पर बंद, जान लें टॉप लूजर और गेनरDiwali Muhurat Trading 2025: अच्छे संकेतों के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी की संभावना, एशियाई बाजारों में भी बढ़त2025 में कौन-सा Gold ETF देगा सबसे ज्यादा रिटर्न? एक्सपर्ट ने दिए टिप्सPM मोदी ने दिवाली पर देशवासियों को लिखा पत्र- ऑपरेशन सिंदूर और GST सुधारों का किया जिक्र

H-1B वीजा: हर आवेदक को नहीं चुकानी होगी $100,000 फीस, USCIS ने दी सफाई

USCIS ने नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें बताया गया है कि यह फीस किसे देनी होगी, कब लागू होगी और किन मामलों में छूट मिलेगी

Last Updated- October 21, 2025 | 11:37 AM IST
H1b visa

हजारों भारतीय पेशेवरों और अमेरिकी कंपनियों के लिए अब यह साफ हो गया है कि H-1B वीजा की $100,000 फीस हर किसी पर लागू नहीं है। यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) ने इस पर नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें बताया गया है कि यह फीस किसे देनी होगी, कब लागू होगी और किन मामलों में छूट मिलेगी।

यह अपडेट 19 सितंबर 2025 को जारी राष्ट्रपति घोषणा (Presidential Proclamation) के बाद सामने आया है, जिसने तकनीकी क्षेत्र और अमेरिकी कंपनियों में भ्रम पैदा कर दिया था- खासकर वे जो भारतीय टैलेंट पर निर्भर हैं।

किसे देनी होगी $100,000 H-1B वीजा फीस

USCIS के अनुसार, यह फीस 21 सितंबर 2025 या उसके बाद दा​खिल की गई नई H-1B याचिकाओं पर लागू होगा। इसके अलावा, अमेरिका के बाहर मौजूद कर्मचारियों के लिए, जिनके पास वैध H-1B वीजा नहीं है, कांसुलर या पोर्ट-ऑफ-एंट्री नोटिफिकेशन मांगने वाली याचिकाओं पर और अगर स्टेटस बदलने या एक्सटेंशन याचिका खारिज होने की ​स्थिति में यह वीजा फीस देनी होगी।

कौन होंगे फीस से मुक्त

USCIS ने स्पष्ट किया है कि कुछ कैटेगरी फीस के दायरे से बाहर रहेंगी-

  • जिनके पास पहले से वैध H-1B वीजा है।
  • जो याचिकाएं 21 सितंबर 2025, सुबह 12:01 EDT से पहले दा​खिल की गई थीं।
  • जो याचिकाएं अमेरिका के भीतर स्टेटस में बदलाव, संशोधन या एक्सटेंशन के लिए हैं और जिनकी मंजूरी मिल जाती है।
  • संयुक्त राज्य के भीतर स्टेटस बदलने वालों को छूट
  • एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि जो याचिकाएं अमेरिका के भीतर स्टेटस बदलने या बढ़ाने के लिए दा​खिल की गई हैं, उन पर $100,000 फीस लागू नहीं होगी।

USCIS ने कहा, “यह घोषणा उन याचिकाओं पर लागू नहीं होती जो अमेरिका के भीतर किसी व्यक्ति की स्थिति में संशोधन, बदलाव या विस्तार की मांग करती हैं और जिनकी मंजूरी मिल जाती है।” यह भी बताया गया कि अगर ऐसा व्यक्ति बाद में अमेरिका छोड़कर बाहर से वीजा के लिए आवेदन करता है, तो उस पर भी यह फीस लागू नहीं होगी।

कब अनिवार्य होगी फीस

अगर स्टेटस बदलने या एक्सटेंशन की याचिका खारिज हो जाती है, या कर्मचारी निर्णय से पहले अमेरिका छोड़ देता है, तो यह फीस देनी पड़ेगी। USCIS ने कहा, “अगर यह निर्धारित होता है कि व्यक्ति वैध नॉन-इमिग्रेंट स्टेटस में नहीं है या निर्णय से पहले देश छोड़ देता है, तो उस पर यह फीस लागू होगी और भुगतान अनिवार्य होगा।”

कैसे की जाएगी फीस का भुगतान

  • नियोक्ताओं को यह भुगतान ऑनलाइन पोर्टल pay.gov के जरिए करना होगा।
  • USCIS ने बताया, “नियोक्ता को $100,000 का भुगतान pay.gov वेबसाइट पर जाकर https://www.pay.gov/public/form/start/1772005176 लिंक पर निर्दिष्ट निर्देशों का पालन करते हुए करना होगा।”

छूट के मामले होंगे बेहद दुर्लभ

USCIS ने कहा है कि इस फीस से छूट अत्यंत दुर्लभ होगी और इसे केवल होमलैंड सिक्योरिटी सचिव (Secretary of Homeland Security) द्वारा विशेष परिस्थितियों में मंज़ूरी दी जा सकती है।

यह छूट तभी दी जाएगी जब-

  • कर्मचारी की उपस्थिति राष्ट्रीय हित में आवश्यक हो,
  • कोई अमेरिकी कर्मचारी उस भूमिका के लिए उपलब्ध न हो,
  • व्यक्ति सुरक्षा या कल्याण के लिए खतरा न बने,
  • और यदि फीस वसूलना अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचाएगा।

छूट के लिए नियोक्ताओं को आवेदन और दस्तावेज़ H1BExceptions@hq.dhs.gov पर भेजने होंगे।

क्या हैं कानूनी चुनौतियां

$100,000 फीस लागू होने के बाद से इस नीति पर कई मुकदमे दायर किए गए हैं। यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने हाल ही में मुकदमा दायर करते हुए कहा कि यह नीति “गैरकानूनी है और अमेरिकी व्यवसायों को नुकसान पहुंचाएगी। संगठन ने दावा किया कि इस तरह की फीस छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों को बुरी तरह प्रभावित करेगी और राष्ट्रपति ने अपनी कानूनी सीमाओं का उल्लंघन किया है, क्योंकि फीस तय करना कांग्रेस के अधिकार  के अंतर्गत आता है।

First Published - October 21, 2025 | 11:37 AM IST

संबंधित पोस्ट