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आपके फेंके हुए मोबाइल से बनेंगे देश के इलेक्ट्रिक वाहन! सरकार का नया प्लान चौंकाएगा

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश भारत अब पुराने मैग्नेट्स को रीसाइक्ल कर इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए इस्तेमाल करने की तैयारी में है।

Last Updated- October 22, 2025 | 7:55 AM IST
EV two wheeler

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) को सुझाव दिया है कि रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के लिए प्रस्तावित प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना में पुराने मैग्नेट की रीसाइक्लिंग को भी शामिल किया जाए। भारत पहले से ही दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट (इलेक्ट्रॉनिक कचरा) पैदा करने वाला देश है।

Meity का कहना है कि देश जब 2070 तक कार्बन न्यूट्रलिटी का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है, तो आने वाले समय में ई-वेस्ट की मात्रा काफी बढ़ेगी। इनमें खर्च हो चुके REPMs भी शामिल होंगे। ऐसे में रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना जरूरी है ताकि देश को रेयर अर्थ मैग्नेट की स्थायी सप्लाई मिल सके और आयात पर निर्भरता कम हो।

इससे उद्योग पर क्या असर पड़ा?

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, भारत में ज़्यादातर मोबाइल बनाने वाली कंपनियां पहले से ही रीसाइक्ल किए गए मैग्नेट (REPMs) का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन जब चीन ने इन मैग्नेट्स की सप्लाई पर रोक लगाई, तो ईयरफोन, हेडफोन और स्मार्टवॉच जैसी hearable और wearable बनाने वाली कंपनियों को थोड़ी कमी और सप्लाई की दिक्कत झेलनी पड़ी। हालांकि, इन कंपनियों ने जल्दी ही चीन और अन्य देशों से नई सप्लाई लाइनें तैयार कर लीं, जिससे उत्पादन पर असर सीमित रहा और स्थिति जल्द संभल गई।

भारत में ई-वेस्ट की स्थिति क्या है?

ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2022 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने साल 2022 में लगभग 4.17 मिलियन टन ई-वेस्ट उत्पन्न किया था। इस लिहाज से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है।

PLI योजना में क्या प्रस्ताव है?

भारी उद्योग मंत्रालय की प्रस्तावित योजना के तहत देश में 5 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाए जाएंगे, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 6,000 टन प्रति वर्ष होगी। इसके तहत प्राइवेट कंपनियों को पूंजी सब्सिडी और बिक्री आधारित प्रोत्साहन दिए जाएंगे।

Meity चाहता है कि इसमें रीसाइक्लिंग को भी जोड़ा जाए ताकि इस काम को सही और संगठित तरीके से किया जा सके। लेकिन MHI का कहना है कि रीसाइक्लिंग का विषय खनन मंत्रालय (Ministry of Mines) के दायरे में आता है, इसलिए इसे PLI योजना में नहीं जोड़ा जा सकता।

चीन की पाबंदी से क्या असर पड़ा?

अप्रैल 2025 से चीन ने भारत को REPM निर्यात पर रोक लगाई हुई है, जिससे भारतीय ऑटो उद्योग, खासकर EVs के ट्रैक्शन मोटर्स के उत्पादन पर असर पड़ा है। दुनिया के करीब 90% REPM चीन में बनते हैं।

ICEA ने क्या चेतावनी दी है?

इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने कहा है कि अगर REPM की सप्लाई में देरी होती है, तो इससे इलेक्ट्रिक वाहन (EV), सेमीकंडक्टर और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टरों पर बुरा असर पड़ सकता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन $138 अरब तक पहुंच गया है, जिसमें मोबाइल फोन $64 अरब का योगदान दे रहे हैं।

First Published - October 22, 2025 | 7:45 AM IST

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