22 सितंबर से लागू होने दा रहीं नई जीएसटी (GST) दरों ने भारतीय शेयर बाजार के लिए एक नया माहौल तैयार किया है। विश्लेषकों का मानना है कि टैक्स दरों में बदलाव से खपत को बढ़ावा मिलेगा और इससे विदेशी निवेशक दोबारा भारतीय बाजार की ओर आकर्षित हो सकते हैं। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ का असर, घरेलू कंपनियों की कमजोर कमाई और भारत के ऊंचे वैल्यूएशन अभी भी उनकी चिंता बने रहेंगे।
HSBC के अनुसार, इस बदलाव से Q3 FY26 से ग्रोथ तेज़ होने की संभावना है। HSBC एशिया पैसिफिक के हेराल्ड वैन डेर लिंडे ने लिखा, “2026 में EPS में 14% की ग्रोथ की उम्मीद है। ये नीतियां ग्रोथ को सपोर्ट करेंगी और विदेशी निवेशकों की वापसी का रास्ता साफ करेंगी।”
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विश्लेषकों के अनुसार, पिछले एक साल से भारतीय शेयर बाज़ार के कमजोर प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह घरेलू अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार है। लगातार पांच क्वार्टर से कंपनियों की कमाई सिर्फ सिंगल डिजिट में ही बढ़ी है। 2025 में अब तक ₹1.42 लाख करोड़ की बिकवाली विदेशी निवेशकों ने की है। सिर्फ सितंबर के पहले 4 दिनों में ही ₹12,257 करोड़ की सेलिंग हुई। हालांकि, HSBC का मानना है कि नए GST रेट्स लागू होने के बाद वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी तिमाही (Q3-FY26) से ग्रोथ तेज हो सकती है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के जी. चोकालिंगम कहते हैं, “GST कट, बजट 2025 में टैक्स कटौती, अच्छी बारिश और महंगाई पर कंट्रोल से भारत फिर से विदेशी पूंजी के लिए आकर्षक बाज़ार बन सकता है। हालांकि, अमेरिका की ब्याज दरों में कटौती (Fed rate cut) बड़ी भूमिका निभाएगी।”
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मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के प्रमोद गुब्बी का मानना है, “GST कट का असर खपत (consumption) पर अभी साफ नहीं दिखा है। लेकिन अगले 2-3 क्वार्टर में बेस इफेक्ट और डिमांड रिकवरी से अर्निंग्स में सुधार आ सकता है। हां, लंबी अवधि की तेजी तभी आएगी जब प्राइवेट सेक्टर की अनिश्चितताएं कम होंगी।”