Infosys share buyback plan: देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के प्रमोटर्स और प्रमोटर्स ग्रुप ने कंपनी के 18,000 करोड़ रुपये के शेयर वापस खरीदने (share buyback) की प्रक्रिया में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। इनमें नंदन एम. नीलेकणि (Nandan M Nilekani) और सुधा मूर्ति (Sudha Murty) शामिल हैं। कंपनी ने बुधवार को शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि शेयर पुनर्खरीद की प्रक्रिया (बायबैक) की घोषणा तक प्रवर्तकों के पास कंपनी में कुल 13.05 फीसदी हिस्सेदारी थी।
इंफोसिस ने कहा, ‘‘…कंपनी के प्रमोटर्स और प्रमोटर्स ग्रुप ने 14, 16, 17, 18 और 19 सितंबर, 2025 के अपने पत्रों के माध्यम से इसमें (बायबैक में) भाग नहीं लेने का इरादा व्यक्त किया है।’’ कंपनी सूचना के अनुसार, ‘‘प्रस्तावित प्रक्रिया को मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर कंपनी में प्रमोटर्स और प्रमोटर्स ग्रुप के वोटिंग अधिकार (जो सार्वजनिक घोषणा की तिथि तक 13.05 फीसदी हैं) बदल सकते हैं।’’
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इंफोसिस के प्रमोटर्स में कंपनी के को-फाउंडर एन. आर. नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा एन. मूर्ति, बेटी अक्षता मूर्ति और बेटा रोहन मूर्ति शामिल हैं। इसमें कंपनी के को-फाउंडर नंदन नीलेकणी, उनकी पत्नी रोहिणी नीलेकणी और बच्चे निहार एवं जान्हवी नीलेकणी भी शामिल हैं। अन्य को-फाउंडर और उनके परिवार भी कंपनी के प्रमोटर्स हैं।
इंफोसिस के निदेशक मंडल की 11 सितंबर, 2025 को हुई बैठक में कंपनी के अब तक की सबसे बड़े 18,000 करोड़ रुपये के शेयर की पुन: खरीद को मंजूरी दी गई थी।
इंफोसिस 5 रुपये प्रति शेयर के फेस वैल्यू वाले 10 करोड़ पूरी तरह से भुगतान किए गए इक्विटी शेयर खरीदेगी, जो कुल चुकता इक्विटी शेयर पूंजी का 2.41 फीसदी है। यह शेयर 1,800 रुपये प्रति शेयर की दर से खरीदे जाएंगे।
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एक एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने कहा कि यह बायबैक मध्यम अवधि में रणनीतिक और संचालन संबंधी नकदी जरूरतों और इंफोसिस की पूंजी आवंटन नीति के अनुरूप सदस्यों को कुशल तरीके से अधिशेष धन वापस करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बायबैक किया जा रहा है।
एक एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने कहा कि यह बायबैक मध्यम अवधि में रणनीतिक और संचालन संबंधी नकदी जरूरतों और इंफोसिस की पूंजी आवंटन नीति के अनुरूप सदस्यों को कुशल तरीके से अधिशेष धन वापस करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बायबैक किया जा रहा है।
घोषित पूंजी आवंटन नीति के अनुसार, “कंपनी अपेक्षा करती है कि वह फ्री कैश फ्लो का लगभग 85 फीसदी 5 साल की अवधि में सेमी-एनुअल डिविडेंड और/या शेयर बायबैक/स्पेशल डिविडेंड के माध्यम से लौटाने की अपनी नीति जारी रखेगी, जो लागू कानूनों और आवश्यक अनुमोदनों के अधीन होगी।” यह नीति वित्त वर्ष 2025 से प्रभावी है।
फाइलिंग में कहा गया कि कंपनी अपना एनुअल डिविडेंड प्रति शेयर (स्पेशल डिविडेंड को छोड़कर) धीरे-धीरे बढ़ाने का इरादा रखती है। पूंजी आवंटन नीति के अनुरूप, यह बायबैक लंबी अवधि में शेयरहोल्डर वैल्यू बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि इससे इक्विटी बेस कम होगा।
इंफोसिस ने अपनी पहली शेयर बायबैक योजना 2017 में घोषित की थी। उस समय कंपनी ने 1,150 रुपये प्रति इक्विटी शेयर की दर से 11.3 करोड़ शेयर या कंपनी की चुकता इक्विटी शेयर पूंजी का 4.92 फीसदी तक खरीदा था, जिसकी कीमत लगभग 13,000 करोड़ रुपये थी।
कंपनी का दूसरा बायबैक 2019 में 8,260 करोड़ रुपये का था, जबकि तीसरा 9,200 करोड़ रुपये का था। बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने 2022 में खुले बाजार के माध्यम से 1,850 रुपये प्रति इक्विटी शेयर की अधिकतम कीमत पर 9,300 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक की घोषणा की थी।
मंगलवार को बीएसई पर इंफोसिस का शेयर 1,472 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 0.72 फीसदी ज्यादा है।
(PTI इनपुट के साथ)