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म्युचुअल फंड उद्योग ने SEBI से नियमों में ढील की मांग की, AMCs को वैश्विक विस्तार और नए बिजनेस में एंट्री के लिए चाहिए छूट

टॉप म्युचुअल फंड हाउसों ने यह सुझाव म्युचुअल फंड रेगुलेशन के नियम 24(बी) के पुनरावलोकन के हिस्से के रूप में सेबी को दिए हैं

Last Updated- October 22, 2025 | 7:45 PM IST
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म्युचुअल फंड उद्योग ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) पर लागू नियमों में प्रतिबंधात्मक धाराओं को कम करने का आग्रह किया है। उद्योग का कहना है कि इससे उन्हें वैश्विक स्तर पर विस्तार और संबद्ध व्यवसायों में प्रवेश करने में अधिक लचीलापन मिलेगा

टॉप म्युचुअल फंड हाउसों ने यह सुझाव म्युचुअल फंड रेगुलेशन के नियम 24(बी) के पुनरावलोकन के हिस्से के रूप में सेबी को दिए हैं। यह नियम AMCs को कई गैर-प्रमुख व्यावसायिक गतिविधियों को करने से रोकता है। सेबी ने जुलाई में सीमित छूट का प्रस्ताव करते हुए एक परामर्श पत्र जारी किया था, लेकिन अब फंड हाउसों ने व्यापक संशोधनों की मांग की है।

SEBI से नियमों में ढील की मांग

म्युचुअल फंड उद्योग ने सेबी से कई राहतों की मांग की है, जिनमें शामिल हैं:

  • AMC के मर्जर और अधिग्रहण पर प्रतिबंधों में ढील,
  • हाई नेट-वर्थ वाले ग्राहकों के लिए वेल्थ और कस्टम पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की अनुमति,
  • अन्य AMCs के उत्पादों का क्रॉस-डिस्ट्रिब्यूशन की अनुमति,
  • वैल्यू-एडेड सेवाओं का व्यापक सेट लॉन्च करने की सुविधा।
  • म्युचुअल फंड ने की नियमों की समीक्षा की मांग

एक उद्योग अधिकारी ने कहा, “AMCs अब केवल म्युचुअल फंड स्कीम्स ही नहीं, बल्कि स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड्स (SIFs), अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs), और ग्लोबल एसेट मैनेजर्स के लिए एडवाइजरी मेंडेट्स भी मैनेज करती हैं। हम केवल उत्पाद निर्माताओं तक सीमित नहीं रह सकते। फ्रेमवर्क को एसेट मैनेजमेंट बिजनेस में इनोवेशन और विस्तार को प्रोत्साहित करना चाहिए। कुछ सुझाव रेगुलेशन 24(बी) से आगे जाते हैं और म्युचुअल फंड नियमों की व्यापक समीक्षा की मांग करते हैं।”

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अभी AMCs ब्रॉड-बेस्ड फंड्स ही कर सकती है मैनेज

सेबी ने जुलाई में अपने परामर्श पत्र में प्रस्ताव रखा था कि AMCs को कुछ नॉन-ब्रॉड-बेस्ड पूल्ड फंड्स — जैसे फैमिली ऑफिस और ऑफशोर इन्वेस्टमेंट व्हीकल— को अलग PMS लाइसेंस के बिना मैनेज करने की अनुमति दी जाए, बशर्ते कि सख्त निगरानी की जाए। नियामक ने यह भी प्रस्ताव रखा था कि AMCs अपने या अपनी सहायक कंपनियों द्वारा मैनेज या एडवाइज किए गए फंड्स के लिए वैश्विक वितरक के रूप में कार्य कर सकें। वर्तमान में, AMCs केवल ब्रॉड-बेस्ड फंड्स ही मैनेज कर सकते हैं।

एक जानकार ने कहा, “उद्योग से कई सुझाव आए हैं। किसी भी अंतिम मसौदा जारी करने से पहले व्यापक आंतरिक और बाहरी विचार-विमर्श की आवश्यकता होगी। सेबी के साथ चर्चा अभी भी जारी है।”

खबर लिखे जाने के समय तक, सेबी को भेजे गए ईमेल प्रश्नों का कोई जवाब नहीं मिला।

MF और AIF नियमों में सुधार की मांग

उद्योग प्रतिनिधियों ने म्युचुअल फंड, AIF और सलाहकार सेवाओं के बीच रेगुलेटरी नियमों को सुव्यवस्थित करने के लिए सुधारों की भी वकालत की है, तथा तर्क दिया है कि डायवर्सिफाइड एसेट मैनेजमेंट संरचनाओं के लिए वर्तमान ढांचा पुराना हो चुका है।

एक और उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, “दुनियाभर में इतनी पाबंदियां नहीं हैं — चाहे वह बीमा या पेंशन फंड मैनेज करना हो, सलाहकार सेवाएं प्रदान करना हो, या संबद्ध व्यवसाय चलाना हो। भारतीय ढांचे की पुनः समीक्षा की जरूरत है ताकि AMCs तकनीकी और परिचालन क्षमताओं का पूरा लाभ उठा सकें।”

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AMCs को मिले सहायक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति

SEBI ने परामर्श में यह भी सुझाव दिया था कि AMCs और उनकी सहायक कंपनियों को फंड डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग जैसी सहायक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी जाए।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “दुनियाभर की फंड हाउस भारत में अपने संचालन का विस्तार कर रही हैं। अगर भारतीय AMCs को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी है, तो वर्तमान प्रतिबंधों को तर्कसंगत बनाना होगा ताकि समान स्तर का मैदान तैयार हो सके। यही कई सुझावों के पीछे की मंशा है जो सेबी को भेजे गए हैं।”

पिछले दशक में घरेलू म्युचुअल फंड उद्योग में तेजी से विस्तार हुआ है, AMCs की संख्या 45 से ज्यादा हो गई है और सितंबर तक एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 75 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है।

First Published - October 22, 2025 | 7:39 PM IST

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