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GST कट से FMCG सेक्टर में धूम, Britannia-Nestle पर ब्रोकरेज ने जारी की नई रेटिंग

56वीं जीएसटी काउंसिल ने 12% और 28% स्लैब खत्म कर 5% और 18% का नया ढांचा लागू किया, FMCG और रिटेल कंपनियों को मिलेगा बड़ा फायदा।

Last Updated- September 05, 2025 | 3:13 PM IST
FMCG

3 सितंबर 2025 को हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में अहम कर सुधार किए गए। काउंसिल ने अब केवल दो स्लैब – 5 फीसदी और 18 फीसदी रखने का फैसला किया है, जबकि 12 फीसदी और 28 फीसदी वाले स्लैब खत्म कर दिए गए हैं। इसके अलावा एक विशेष टैक्स 40 फीसदी का भी जारी रहेगा। नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025 से लागू होगी।

जरूरी सामान पर घटा टैक्स

मीटिंग में रोजमर्रा के इस्तेमाल की कई जरूरी वस्तुओं पर जीएसटी दर 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है। विदेशी ब्रोकरेज हाउस नोमुरा का कहना है कि यह कदम उपभोक्ताओं को राहत देगा, खपत बढ़ाएगा और संगठित कंपनियों के लिए लंबी अवधि में फायदेमंद साबित होगा।

एफएमसीजी कंपनियों को फायदा

नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक, एफएमसीजी सेक्टर की बड़ी कंपनियां इस फैसले की सबसे बड़ी लाभार्थी होंगी। कोलगेट का पूरा पोर्टफोलियो – जिसमें टूथपेस्ट, टूथब्रश और पर्सनल वॉश जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं – अब 5 फीसदी जीएसटी स्लैब में आ गया है। हालांकि, ब्रोकरेज नोमुरा ने कोलगेट पर ‘Sell’ रेटिंग बनाए रखी है। दूसरी ओर, ब्रिटानिया की 80 फीसदी बिक्री बिस्कुट से होती है, जो अब सस्ते होंगे। नेस्ले इंडिया को भी बड़ा फायदा मिलेगा, क्योंकि कॉफी, चॉकलेट, नूडल्स और मिल्कमेड जैसे प्रोडक्ट्स पर टैक्स कम कर दिया गया है। इस स्टॉक पर नोमुरा ने ‘Buy’ रेटिंग दी है। इसी तरह डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर, बिकाजी, इमामी, बजाज कंज्यूमर और मिसेज बेक्टर्स जैसी कंपनियों को भी फायदा होगा।

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फुटवियर और परिधान क्षेत्र को राहत

जीएसटी काउंसिल ने फुटवियर और कपड़ा उद्योग को भी राहत दी है। अब 2,500 रुपये तक के फुटवियर पर जीएसटी दर घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है। पहले यह दर 12 फीसदी थी। वहीं, कपड़ों के लिए 5 फीसदी टैक्स का दायरा भी बढ़ाकर 1,000 रुपये से 2,500 रुपये तक कर दिया गया है। इससे मध्यम और निचले वर्ग के उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा और इन सेक्टर की कंपनियों की बिक्री में तेजी आ सकती है।

संगठित कंपनियों को मिलेगा बढ़ावा

विश्लेषकों का मानना है कि टैक्स दरों में यह कमी उन कैटेगरी में संगठित कंपनियों के पक्ष में माहौल बनाएगी, जहां अभी तक स्थानीय और छोटे स्तर के खिलाड़ी ज्यादा सक्रिय हैं। टैक्स का अंतर घटने से उपभोक्ता बेहतर और ब्रांडेड उत्पादों की ओर शिफ्ट होंगे। इससे लंबी अवधि में संगठित कंपनियों की पकड़ और मजबूत होगी तथा भारतीय बाजार में खपत की गति को नई दिशा मिलेगी।

First Published - September 5, 2025 | 3:13 PM IST

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