भारतीय उद्योग जगत में वरिष्ठ पदों पर पुराने कर्मचारियों को वापस बुलाने का चलन जोर पकड़ता दिख रहा है। वरिष्ठ कार्यकारी पदों को पुरानी प्रतिभाओं से भरने में कंपनियों को भी अधिक फायदा दिख रहा है।
वेदांत ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उसके पूर्व कार्यवाहक मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अजय गोयल अपनी दूसरी पारी के लिए आएंगे। धातु से तेल तक विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली कंपनी ने कहा कि यह उसके घरवापसी कार्यक्रम का हिस्सा है। वेदांत ऐसा करने वाली एकमात्र कंपनी नहीं है।
टीमलीज के मुख्य कार्याधिकारी (स्टाफिंग) कार्तिक नारायणन ने कहा कि तमाम कंपनियां अपने पूर्व कर्मचारियों के साथ संपर्क बरकरार रखने के लिए सक्रिय पूर्व कर्मियों का नेटवर्क बनाने पर जोर दे रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार का नेटवर्क नियुक्ति के लिए प्रतिभा पूल का काम कर सकता है।’
रैंडस्टैड इंडिया के एमडी और सीईओ विश्वनाथ पीएस ने पिछले कुछ महीनों में पुरानी कंपनी में लौटने वाले कर्मचारियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। उनका कहना है कि बड़े इस्तीफे की प्रवृत्ति अब ‘बड़े अफसोस’ में बदल गई है।
उन्होंने कहा, ‘जहां तक वरिष्ठ अधिकारियों की बात है तो उन्हें उद्योगों में जारी कारोबारी उतार-चढ़ाव के कारण नए बाजार, नई पेशकश और नए कारोबारी मॉडल का पता लगाने के नौकरी और क्षेत्र बदलने पड़े हैं। मगर इनमें से कुछ अधिकारी विभिन्न कारणों से एक या दो साल के बाद पुरानी कंपनियों में लौट आते हैं।’
अदाणी सीमेंट और श्री सीमेंट जैसी बड़ी कंपनियों में भी वरिष्ठ अधिकारी अपनी दूसरी पारी के लिए लौट चुके हैं। अदाणी समूह ने सीमेंट कारोबार के अधिग्रहण के साथ ही लक्षित कंपनी के पूर्व कर्मचारियों का फायदा उठाया है।
अदाणी समूह सितंबर 2021 में अजय कपूर को अदाणी सीमेंट के सीईओ के तौर पर अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी में वापस लाया। समूह ने उसी समय दोनों सीमेंट कंपनियों का अधिग्रहण किया था और कपूर को अंबुजा-एसीसी में दूसरी पारी शुरू करने का अवसर मिला। कपूर ने 2019 में अंबुजा सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था।
जानकार लोगों के अनुसार श्री सीमेंट ने इसी वित्त वर्ष में अपने पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक भंडारी को वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया है। भंडारी को सीमेंट उद्योग में वित्तीय दिग्गज के रूप में जाना जाता है और उन्होंने 2014 तक श्री सीमेंट के सीएफओ के तौर पर काम किया है।
रैंडस्टैड के विश्वनाथ ने कहा कि कंपनियां भी अब दूसरी पारी खेलने आए कर्मचारियों को महत्त्व देने लगी हैं क्योंकि ऐसे कर्मचारी विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के बाद नए कौशल एवं नजरिये के साथ वापस आते हैं, जिससे कंपनी की वृद्धि को रफ्तार देने में मदद मिलती है।
टीमलीज के नारायण ने कहा, ‘पूर्व कर्मचारी खास तौर पर वरिष्ठ प्रबंधन के लोग, पहले से ही कंपनी की संस्कृति, प्रक्रियाओं और लोगों से परिचित होते हैं। ऐसे में उन्हें वापस लाने से कंपनी की लागत और समय बच सकते हैं।’
जेएसडब्ल्यू समूह और डालमिया सीमेंट जैसी कंपनियों ने इन्हीं फायदों को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी वरिष्ठ प्रतिभाओं को सलाहकार के तौर पर बरकरार रखा है।
अप्रैल में शेषगिरि राव जेएसडब्ल्यू स्टील से सेवानिवृत्त हो गए थे और वह कंपनी के बोर्ड से निदेशक पद से भी हट गए थे। मगर राव ग्रुप सीएफओ के तौर पर जेएसडब्ल्यू समूह के साथ अब भी जुड़े हुए हैं।
नारायण ने उम्मीद जताई कि उत्तराधिकार योजनाएं लागू होने के साथ वरिष्ठ सलाहकारों का चलन बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘तमाम कंपनियों ने दमदार उत्तराधिकार योजना लागू की है। ऐसे में प्रवर्तकों के सेवानिवृत्त होने से पहले ही नेतृत्व करने वालों को तैयार किया जा रहा है। इससे अनुभवी लोगों को बोर्ड में गैर-कार्यकारी पदों या सलाहकार भूमिकाओं में भेजा जा रहा है। ऐसा मुख्य तौर पर अगली पीढ़ी को कमान सौंपने के लिहाज से किया जा रहा है।’
अगस्त में डालमिया सीमेंट ने कहा था कि प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी के तौर पर महेंद्र सिंघी का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो रहा है। मगर वह नए सीईओ एवं एमडी पुनीत डालमिया के निदेशक एवं रणनीतिक सलाहकार के तौर पर बरकरार रहेंगे।