रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) ने अपने उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं मगर शहरी बाजारों में मांग स्थिर रहने और ग्रामीण बाजारों में सुधार के संकेत देखते हुए कंपनियां बढ़ी लागत का पूरा भार ग्राहकों पर नहीं डाल रही हैं। आम तौर पर खाद्य तेल कंपनियां अपनी इन्वेंट्री के हिसाब से 5 से 15 दिनों में कीमतों में समूची बढ़ोतरी ग्राहकों पर डालती रही हैं और कीमत घटने का लाभ भी ग्राहकों देती हैं। डिब्बा बंद उत्पाद बेचने वाली कंपनियों ने अपने उत्पादों के दाम मध्य एक अंक में बढ़ाए हैं ताकि मांग पर असर न पड़े।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के मुख्य कार्याधिकारी रंजीत सिंह कोहली ने सीआईआई नैशनल एफएमसीजी सम्मेलन से इतर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने कीमतों में कुछ बढ़ोतरी की है। तीसरी और चौथी तिमाही के बीच हम 3 से 5 फीसदी दाम बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं। दिसंबर में थोड़ा-बहुत दाम बढ़ाया गया है मगर चौथी तिमाही में कीमतों में अधिक इजाफा करना होगा।’ कोहली ने कहा कि पाम तेल के दाम में कुछ नरमी आने का इंतजार किया जा रहा है, उसके बाद कंपनी कीमत बढ़ाएगी। लेकिन इस क्षेत्र की प्रमुख कंपनी होने के नाते हमने उत्पादों की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी की है।
कोहली ने कहा, ‘कंपनी के तौर पर हम सजग हैं और पूरी कीमत वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं डालना चाहते। हम लागत दक्षता कार्यक्रम के संदर्भ में कई उपाय कर रहे हैं ताकि कंपनी आंतरिक स्तर पर अपनी लागत कुछ कम कर सके।’ कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए पारले प्रोडक्ट्स ने भी अपने उत्पादों के दाम आसतन 5 से 7 फीसदी तक बढ़ाए हैं। पारले प्रोडक्ट्स के वाइस प्रेसिडेंट मयंक शाह ने कहा, ‘कच्चे माल की कीमतें18 से 20 फीसदी बढ़ चुकी हैं। ग्रामीण बाजारों में अभी सुधार शुरू हुआ है और शहरी बाजारों में मांग फिलहाल स्थिर है। ऐसे में हम ज्यादा दाम बढ़ाकर मांग वृद्धि को प्रभावित नहीं करना चाहते।’
पाम तेल के दाम बढ़ने से गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने भी अपने साबुन की कीमतों में बढ़ोतरी की है। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सुधीर सीतापति ने कहा, ‘पाम तेल के दाम में अत्यधिक तेजी आई है। हम अपने साबुन सेगमेंट में पाम तेल का उपयोग करते हैं। यदि पाम तेल की कीमतों ज्यादा होती हैं तो हम बढ़ी लागत का पूरा बोझ ग्राहकों पर एकबारगी नहीं डालते हैं, कुछ भार हम भी वहन करते हैं। इसके साथ ही जब पाम तेल की कीमतें कम हो जाती हैं तो हम दाम भी घटाते हैं।’
अदाणी विल्मर ने भी खाद्य तेलों के दाम में बढ़ोतरी की है। अदाणी विल्मर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अंशु मलिक ने कहा, ‘हम बाजार में खाद्य तेल की कीमतों को देखकर अपने उत्पाद के दाम घटाते-बढ़ाते हैं। हम अपने स्टॉक के हिसाब से 5 से 15 दिन के अंतराल पर दाम में घट-बढ़ करते हैं।’ सितंबर तिमाही के नतीजों के बाद हिंदुस्तान यूनिलीवर ने कहा था कि जिंसों के दाम लंबे समय तक नरम रहने के बाद इस तिमाही में क्रूड पाम तेल में 10 फीसदी और चाय के दाम में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। हिंदुस्तान यूनिलीवर के मुख्य वित्त अधिकारी ऋतेश तिवारी ने कहा कि अगर जिंसों की कीमतें इसी स्तर पर बनी रहीं तो उत्पादों के दाम एक अंक में बढ़ाने पड़ेंगे।