देश में कंपनियों के बोर्डरूम लगातार कटु पारिवारिक झगड़ों के मैदान बनते जा रहे हैं। उत्तराधिकार योजनाओं को औपचारिक रूप देने की लगातार अनिच्छा की वजह से संपत्ति को लेकर बढ़ते टकराव के कारण ऐसा हो रहा है।
वाहन पुर्जा विनिर्माता सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिशन फोर्जिंग्स लिमिटेड के 53 वर्षीय चेयरमैन संजय कपूर की आकस्मिक मृत्यु ने कपूर परिवार के भीतर विवाद को जन्म दे दिया है। उनकी मां रानी कपूर ने कंपनी के निदेशक मंडल में संजय की पत्नी प्रिया सचदेव कपूर की नियुक्ति का विरोध किया है।
कर सलाहकार कंपनी कैटेलिस्ट एडवाइजर्स के संस्थापक केतन दलाल ने कहा, ‘परिवार के अक्सर उम्रदराज प्रमुखों की मानसिकता और अगली पीढ़ी की आकांक्षाओं के बीच तालमेल नहीं बैठ पाता है।’ उन्होंने कहा, ‘परिवार के सदस्यों के बीच बराबरी का योगदान नहीं होना और प्रतिबद्धता का अभाव,
शेयरधारक समझौतों की कमी और कमजोर संचालन जैसी बातों को शामिल कर दें तो आपको लंबे समय तक चलने वाले पारिवारिक विवादों का कथानक मिल जाएगा।’
नियंत्रण को लेकर मुकदमेबाजी में उलझे प्रमुख भारतीय कारोबारी परिवारों की बढ़ती सूची में अब कपूर परिवार भी शामिल हो गया है। इस सूची में किर्लोस्कर, बाबा कल्याणी परिवार और फिनोलेक्स के छाबड़िया पहले से ही शामिल हैं। पिछले साल सितंबर में गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया की चेयरपर्सन बीना मोदी की नियंत्रण लड़ाई तब छिड़ गई जब उन्होंने कंपनी की बिक्री का विरोध किया। उनके बेटों समीर और ललित ने अपनी मां पर अपने दिवंगत पिता की इच्छा के उल्लंघन का आरोप लगाया।
इस महीने की शुरुआत में झगड़े में उलझे मारन भाइयों ने सुलह का ऐलान किया। इसकी मध्यस्थता तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने की। हिंदू ने 8 जुलाई को यह खबर दी थी।
अतीत में ये तल्ख पारिवारिक झगड़े लगभग सभी समूहों को प्रभावित कर चुके हैं। इनमें भारतीय कंपनी जगत के प्रथम परिवार अंबानी भाई तथा बिड़ला और बजाज जैसे पुराने परिवार भी शामिल हैं। मुंबई के अरबपति लोढ़ा भाइयों ने महीनों तक ‘लोढ़ा’ ब्रांड पर लड़ते रहने के बाद मई में लड़ाई बंद करने का का ऐलान किया।
विशेषज्ञ इन बढ़ते विवादों के लिए स्वामित्व के अस्पष्ट ढांचे, अनौपचारिक समझौतों, उम्र बढ़ने और कमजोर होते संरक्षकों और योजना में देरी को जिम्मेदार ठहराते हैं। दलाल ने कहा, ‘जिन अधिकांश भारतीय परिवारों ने आकार और कारोबार की जटिलता में विस्तार किया है, उन्होंने औपचारिक स्वामित्व या उत्तराधिकार व्यवस्था में निवेश नहीं किया है।’ उन्होंने कहा, ‘जब हालात बदलते हैं और कोई व्यवस्था नहीं होती है तो विवादों को टालना मुश्किल होता है।’
किर्लोस्कर भाई :
किर्लोस्कर ब्रदर्स साल 2009 में हुए पारिवारिक समझौता विलेख (डीएफएस) को लेकर झगड़ रहे हैं। इस समझोते के तहत किर्लोस्कर समूह की परिसंपत्तियों को संजय किर्लोस्कर (किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड) तथा अतुल और राहुल किर्लोस्कर (किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स लिमिटेड लिमिटेड और किर्लोस्कर न्यूमेटिक कंपनी लिमिटेड) के बीच विभाजित किया गया है। मामला अदालतों में लंबित है।
बाबा कल्याणी परिवार :
पुणे के कल्याणी परिवार में पैतृक संपत्तियों और पारिवारिक परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर एक तरफ भारत फोर्ज के चेयरमैन और परिवार के प्रमुख बाबा कल्याणी हैं तो दूसरी तरफ उनकी छोटी बहन सुगंधा हीरेमठ। मामला अदालत में है।
छाबड़िया परिवार :
छाबड़िया परिवार फिनोलेक्स केबल्स और उसकी प्रवर्तक कंपनी ऑर्बिट इलेक्ट्रिकल्स पर नियंत्रण के लिए लड़ रहा है। साल 2016 में इसके संस्थापक प्रहलाद छाबड़िया की मृत्यु के बाद से यह लड़ाई चल रही है। मामला अदालत में है।
बीना मोदी परिवार :
दिवंगत उद्योगपति केके मोदी की पत्नी बीना मोदी गॉडफ्रे फिलिप्स पर तल्ख लड़ाई लड़ रही हैं। मामला मुकदमेबाजी में चला गया है और अदालत ने मध्यस्थता का आदेश दिया है।