बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) ने गो फर्स्ट एयरलाइंस को कर्ज के लिए 500 करोड़ रुपये का विवेकपूर्ण प्रावधान किया है, जो एनसीएलटी द्वारा स्वैच्छिक दिवालिया प्रक्रिया के लिए उसकी याचिका स्वीकार करने के बाद दिवालिया संरक्षण के तहत गई है। बीओबी के प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा ने कहा कि बैंक पहले मसलों की पहचान करता है और आवश्यक प्रावधान करता है।
कंपनी (गो फर्स्ट एयरलाइन) ने आवेदन किया है और आंकड़े (निवेश) सार्वजनिक रूप से जानकारी में हैं। मुंबई के सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाता बीओबी ने इस संकटग्रस्त विमानन कंपनी को 1,300 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है। इसमें वह निवेश शामिल नहीं है जिसकी गारंटी भारत सरकार द्वारा आपातकालीन क्रेडिट लाइन के तहत दी गई है।
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इस कर्ज में से लगभग 1,000 करोड़ रुपये भौतिक प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट गारंटी के रूप में गिरवी रखा गया है। इस तिमाही में बैंक ने इस खाते के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जिसका मतलब है कि किसी भी संभावित गिरावट को पूरी तरह से ध्यान में रखा गया है और जहां तक इस खाते का संबंध है, बैंक पूरी तरह से सुरक्षित है। वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही के परिणामों की घोषणा के बाद चड्ढा ने मीडिया को यह जानकारी दी।