सरकार केंद्रीय पूल के गेहूं का स्टॉक जारी करने में वक्त लगा रही है, जिसकी वजह से खाद्यान्न की खुदरा महंगाई दर जनवरी महीने में अब तक के सर्वोच्च स्तर 25 प्रतिशत पर पहुंच गई है। जनवरी में अनाज की महंगाई 16.12 प्रतिशत बढ़ी है, जो दिसंबर में 13.79 प्रतिशत थी।
गेहूं की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई जनवरी में 23.63 प्रतिशत रही है, जो इसकी खुदरा महंगाई के अनुरूप है। दिसंबर में गेहूं की थोक महंगाई दर 20.72 प्रतिशत थी। वहीं अनाज की महंगाई दर 15.46 प्रतिशत रही, जो दिसंबर में 14 प्रतिशत थी।
वैश्विक और घरेलू दोनों बाजारों में मांग ज्यादा होने की वजह से चावल की कीमत भी अधिक थी। परिणामस्वरूप उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर जनवरी में 10.44 प्रतिशत के बढ़े स्तर पर बनी रही। हालांकि यह इसके पहले के महीने के 10.49 प्रतिशत की तुलना में थोड़ी कम रही है। बहरहाल धान की थोक महंगाई दर इस अवधि के दौरान बढ़कर 7.18 प्रतिशत हो गई, जो 6.83 प्रतिशत थी।
बहरहाल केंद्रीय पूल से गेहूं की निकासी फरवरी से ही शुरू हुई। 25 लाख टन गेहूं की बिक्री के लिए पहले टेंडर की पेशकश 1 फरवरी, 2023 भारतीय खाद्य निगम की ओर से की गई। बाजार में गेहूं आने के बाद एक पखवाड़े में खुले बाजार में गेहूं की कीमत 31 रुपये किलो से घटकर 25 रुपये किलो पर पहुंच गई। इसकी वजह से आने वाले दिनों में आटे की कीमत भी कम होगी।
बहरहाल व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि गेहूं की कीमत में ज्यादा कमी आने की उम्मीद नहीं है और 2023-24 में इसकी कीमत 21.25 रुपये प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक रहेगी क्योंकि फ्लोर मिलों और उत्पाद के निर्माताओं का गोदाम करीब खाली है।
लेकिन अगर आने वाले दिनों में केंद्र सरकार कीमतों को लेकर चिंतित होती है और खुले बाजार में अतिरिक्त गेहूं जारी करने का फैसला करती है तो इसकी कीमतें कम हो सकती हैं।
ऐसी कुछ रिपोर्ट आई हैं कि केंद्र सरकार 20 लाख टन अतिरिक्त गेहूं बाजार में उतार सकती है, जिससे कीमतें आगे और कम होंगी। सरकार स्टॉक पर नियंत्रण में भी ढील दे सकती है, जिससे बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित रह सके।
सरकार के कदम इसलिए भी अहम हैं क्योंकि 1 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होगी। अगर कीमत एमएसपी से ऊपर बनी रहती है तो पिछले साल की तरह इस साल भी सरकारी खरीद केंद्रों पर कम किसान पहुंचेंगे। इससे सरकार का भंडारण कम हो सकता है और सरकारी योजनाओं के तहत गेहूं का वितऱण प्रभावित हो सकता है।
गेहूं की अगली फसल के बारे में भी अगले कुछ सप्ताह में ही जानकारी मिल सकेगी। अगर मौसम अनुकूल रहता है तो मंगलवार को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में 2022-23 के दौरान गेहूं का उत्पादन 1121 लाख टन रह सकता है, जो पहले के वर्ष की तुलना में 52.6 लाख टन ज्यादा होगा। गेहूं का रकबा इस साल 343.2 लाख हेक्टेयर रहा है, जो सामान्य से 13 प्रतिशत ज्यादा और पिछले साल की तुलना में 1 प्रतिशत ज्यादा है।