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Cabinet Decisions: दलहन आत्म​निर्भरता मिशन को मंजूरी, ₹11,400 करोड़ खर्च से 2 करोड़ किसानों को होगा लाभ

Mission for Aatmanirbharta in Pulses: इस मिशन से 2031 तक दलहन रकबा बढ़कर 310 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 350 लाख टन और उत्पादकता 1,130 किलो प्रति हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद

Last Updated- October 01, 2025 | 4:45 PM IST
Mission for Aatmanirbharta in Pulses

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। यह मिशन 2025-26 से 2030-31 तक 6 वर्षों की अवधि में क्रियान्वित किया जाएगा। जिस पर हजारों करोड़ रुपये का खर्चा आएगा। जिससे काफी किसानों को लाभ होगा। साथ ही दलहन रकबा, उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होगी। दलहन मिशन से उन्नत बीजों, कटाई उपरांत बुनियादी ढांचे और सुनिश्चित खरीद के माध्यम से लगभग 2 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा।

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन पर कितना होगा खर्च?

सरकार 6 साल तक चलने वाले दलहन आत्मनिर्भरता मिशन पर बड़ी राशि खर्च करने जा रही है। वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक क्रियान्वित होने वाले इस मिशन पर 11,440 करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च की जाएगी। इस खर्च के माध्यम से यह मिशन अनुसंधान, बीज प्रणाली, क्षेत्र विस्तार, खरीद और मूल्य स्थिरता को कवर करते हुए एक व्यापक रणनीति अपनाएगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता देश है। लेकिन घरेलू दलहन उत्पादन मांग के अनुरूप नहीं है, जिसके कारण दालों के आयात में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि हुई है।

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कैसे आएगी दलहन में आत्मनिर्भरता?

इस मिशन के माध्यम से दलहन में आत्मनिर्भरता लाने के लिए कई स्तर पर काम किया जाएगा। जिनमें रकबा व उत्पादकता में वृद्धि के साथ प्रमाणित बीज वितरण शामिल है। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दलहन किसानों को उन्नत किस्मों को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित किए जाएंगे, जो 2030-31 तक 370 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेंगे।

दलहन बीजों की नवीनतम किस्मों तक किसानों की पहुंच को मजबूत करने के लिए 88 लाख निःशुल्क बीज किट उपलब्ध कराई जाएंगी। इस मिशन से 2030-31 तक दलहन का क्षेत्रफल 310 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 350 लाख टन तक बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही इससे उत्पादकता बढ़कर 1,130 किलो प्रति हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है। उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ इस मिशन से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। सरकार अगले 4 वर्षों के दौरान किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अरहर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी खरीद सुनिश्चित करेगी।

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प्रसंस्करण उद्योग को मिलेगा बढ़ावा

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन से न केवल दलहन उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि इससे प्रसंस्करण को भी बढ़ावा मिलेगा। बाजारों और मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए यह मिशन 1000 प्रसंस्करण इकाइयों सहित कटाई-पश्चात बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करेगा। जिससे फसल हानि कम होगी, मूल्य संवर्धन में सुधार होगा और किसानों की आय बढ़ेगी। इस मिशन से प्रसंस्करण और पैकेजिंग इकाइयों की स्थापना के लिए अधिकतम 25 लाख रुपये की सब्सिडी उपलब्ध होगी। मिशन क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण अपनाएगा और प्रत्येक क्लस्टर की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हस्तक्षेप करेगा। इससे संसाधनों का अधिक प्रभावी आवंटन संभव होगा, उत्पादकता में वृद्धि होगी और दलहन उत्पादन के भौगोलिक विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

First Published - October 1, 2025 | 4:15 PM IST

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