विश्लेषकों ने मंगलवार को कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में राजकोषीय मजबूती की दिशा में बढ़ना जारी रखेंगी और राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.8 फीसदी पर रखने की कोशिश करेंगी।
विश्लेषकों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में राजकोषीय घाटे को 5.8 फीसदी से लेकर छह फीसदी के दायरे में रखा जा सकता है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी पर रखने का लक्ष्य रखा है। हालांकि विश्लेषकों ने कहा है कि अगले साल आम चुनाव होने से सरकार के लिए इस बार का बजट ही अंतिम पूर्ण बजट होगा लिहाजा इसमें कुछ नई घोषणाएं हो सकती हैं।
कोविड महामारी के दो वर्षों में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.3 फीसदी तक पहुंच गया था। एचएसबीसी इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने एक टिप्पणी में कहा, ‘अगले कुछ वर्षों में राजकोषीय मजबूती की राह पर चलने के लिए सरकार को पुरजोर कोशिश करनी होगी। यह लंबी दूरी की साइकिल रेस जैसा है जिसमें किसी प्रतिभागी के अचानक रुकने पर उसके गिर जाने की आशंका होती है।’
उन्होंने कहा कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए राजकोषीय घाटे का कम होना अहम है और अनिश्चित वैश्विक परिवेश में यह और भी जरूरी है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एक फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य छह फीसदी रखा जा सकता है।
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उन्होंने कहा, ‘यह बजट सरकार के लिए राजकोषीय मजबूती की राह पर बने रहने के लिए एक चुनौती होगा।’ अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को कहीं तेज गति से वृद्धि करनी होगी। उन्होंने सरकारी व्यय में 8.2 फीसदी वृद्धि के साथ राजस्व वृद्धि भी 12.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 फीसदी रखे जाने का अनुमान जताते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में सकल उधारी भी बढ़कर 15.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।