
बाघ संरक्षण में नए बदलाव लाना जरूरी
वर्ष 2023 प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) की 50 वीं वर्षगांठ है और यह देश में बाघ की प्रजातियों की रक्षा के लिए भारत का प्रमुख कार्यक्रम है। वर्ष 2005 में मैंने साथी संरक्षणवादियों के साथ एक बाघ कार्यबल की अध्यक्षता की थी जिसमें इस बात की समीक्षा की जानी थी कि सरिस्का बाघ अभयारण्य में […]

पर्यावरण : जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाना जरूरी
जब कोयला और प्राकृतिक गैस दोनों जीवाश्म ईंधन हैं तो इनके बीच अंतर करने का क्या तुक है? मैंने अपने स्तंभ के पिछले अंक में यह प्रश्न पूछा था क्योंकि यह जलवायु न्याय से जुड़ा हुआ प्रश्न है और उससे भी महत्त्वपूर्ण बात, यह उस गति और पैमाने की व्यवहार्यता से जुड़ा हुआ है जिस […]

प्रदूषण के कारणों की पड़ताल केवल कोयले तक ही सीमित क्यों?
जलवायु परिवर्तन पर जब भी बात होती है तो आखिर कोयला ही क्यों निशाने पर आता है? कोयले की तरह ही प्राकृतिक गैस भी एक जीवाश्म ईंधन है, जो गैस उत्सर्जित करती है और वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी का कारण बनती है। मगर इसकी चर्चा कोई क्यों नहीं करता? मैं समझ रही हूं कि यह […]

जोशीमठः आपदा को पहले मिल चुका था आमंत्रण
हिमालय क्षेत्र में 1,874 मीटर की ऊंचाई पर बसा जोशीमठ तबाही का मंजर देख रहा है। आशंका है कि जोशीमठ के आसपास के क्षेत्रों में भी प्राकृतिक आपदा दस्तक देने वाली है। यहां से लोगों को निकाला जा रहा है और केंद्र एवं राज्य सरकार इन लोगों को अस्थायी रूप से बसाने के लिए सुरक्षित […]

जलवायु परिवर्तन पर तेजी से सक्रियता जरूरी
वर्ष 2022 भयानक था। पिछले साल ने दुनिया को घुटनों पर लाकर छोड़ दिया। ऐसा ठीक उस वक्त हुआ जब हमने उम्मीदों की रोशनी देखनी शुरू ही की थी। कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह से पूरी दुनिया थमती हुई दिखी थी और लगातार दो साल तक दुनिया को झकझोरने वाली ऐसी घटनाओं के बाद हमें […]

कॉप27 सम्मेलन में हाथ लगी नाकामी
यह कहना विशुद्ध हताशा का परिचायक है कि दुनिया ने मिस्र के तटवर्ती शहर शर्म अल-शेख में संपन्न क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप27) में ‘कुछ’ हासिल हुआ है। तथ्य तो यह है कि कॉप27 को उत्सर्जन कम करने संबंधी तीन दशक लंबी वार्ताओं के इतिहास में सबसे खराब घटना के रूप में दर्ज किया […]