जमीनी हकीकत: कॉप28….कथानक में बदलाव की जरूरत
जिस समय मैं यह आलेख लिख रही हूं, इस वर्ष दुबई में आयोजित कॉप-28 अर्थात जलवायु सम्मेलन अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। यह सम्मेलन ऐसे वक्त पर हो रहा है जब दुनिया पहले से अधिक विभाजित है। एक ओर जहां दुनिया में दो भीषण जंग छिड़ी हुई हैं, वहीं अतिरंजित मौसम की घटनाएं […]
जमीनी हकीकत : कार्बन व्यापार का नुकसानदेह पहलू
इस वर्ष दुबई में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी28) में कार्बन बाजार के लिए नियम-कायदे तय करने से संबंधित विषय पर चर्चा की जाएगी। विश्व के नेताओं को स्वैच्छिक कार्बन बाजार की त्रुटियों से सबक लेने की आवश्यकता है ताकि नई बाजार व्यवस्था में पिछली गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं हो पाए। दुनिया […]
जमीनी हकीकत: स्वास्थ्य के लिए तीन तरफा चुनौतियां
स्वास्थ्य के समक्ष गंभीर खतरा पैदा होने पर बचाव के लिए लोग प्रायः प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) लेते हैं। मगर अब ऐसी दवाएं हमें बीमार करने वाले रोगाणुओं को मारने में निष्प्रभावी साबित हो रही हैं। यह स्थिति एंटीबायोटिक के आवश्यकता से अधिक एवं गैर-जरूरी इस्तेमाल के कारण उत्पन्न हुई है। यह स्थिति रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस) […]
जमीनी हकीकत: जलवायु पर पड़ रहा खाद्य वस्तुओं का प्रभाव!
इस समस्या की मुख्य पृष्ठभूमि में ईंधन और भोजन है। मैं उन उत्सर्जनों के बारे में बात कर रही हूं जिसने दुनिया की जलवायु को बदलने के लिए ‘मजबूर’ किया है और अब जिसके चलते कई विनाशकारी प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल रही हैं। हम इन गैस उत्सर्जन के लिए ऊर्जा प्रणाली के योगदान पर […]
जमीनी हकीकत: तबाही के मंजर की हो चुकी है शुरुआत
पिछले कुछ महीनों में जलवायु एवं मौसम के मिजाज में काफी तल्खी दिखी है। इतनी तल्खी संभवतः पहले कभी नहीं देखी गई थी। सबसे पहले, इस साल जून में तापमान ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके बाद जुलाई के दो हफ्तों में गर्मी ने ऐसा तांडव मचाया जो पहले कभी नहीं देखा गया था। […]
जमीनी हकीकत: जलवायु परिवर्तन और धन संबंधी प्रश्न
यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन (Climate change) के कारण दुनिया मौसम की अतियों की मार झेल रही है। यह बात भी स्पष्ट है कि इस तबाही का असर भी असमान है। यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में गरीब लोगों को सबसे बुरी तरह प्रभावित करती है। क्लाइमेट फाइनैंस या जलवायु […]
India Population: भारत की बढ़ती आबादी और इससे जुड़े प्रश्न
माना जा रहा है कि भारत जुलाई में दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। हालांकि, इस बारे में ठोस रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि हमारी जनगणना एक दशक पुरानी है। इसे ध्यान में रखते हुए हम केवल अनुमान लगा सकते हैं कि भारत 2023 के मध्य में किसी समय […]
बाघ संरक्षण में नए बदलाव लाना जरूरी
वर्ष 2023 प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) की 50 वीं वर्षगांठ है और यह देश में बाघ की प्रजातियों की रक्षा के लिए भारत का प्रमुख कार्यक्रम है। वर्ष 2005 में मैंने साथी संरक्षणवादियों के साथ एक बाघ कार्यबल की अध्यक्षता की थी जिसमें इस बात की समीक्षा की जानी थी कि सरिस्का बाघ अभयारण्य में […]
पर्यावरण : जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाना जरूरी
जब कोयला और प्राकृतिक गैस दोनों जीवाश्म ईंधन हैं तो इनके बीच अंतर करने का क्या तुक है? मैंने अपने स्तंभ के पिछले अंक में यह प्रश्न पूछा था क्योंकि यह जलवायु न्याय से जुड़ा हुआ प्रश्न है और उससे भी महत्त्वपूर्ण बात, यह उस गति और पैमाने की व्यवहार्यता से जुड़ा हुआ है जिस […]
प्रदूषण के कारणों की पड़ताल केवल कोयले तक ही सीमित क्यों?
जलवायु परिवर्तन पर जब भी बात होती है तो आखिर कोयला ही क्यों निशाने पर आता है? कोयले की तरह ही प्राकृतिक गैस भी एक जीवाश्म ईंधन है, जो गैस उत्सर्जित करती है और वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी का कारण बनती है। मगर इसकी चर्चा कोई क्यों नहीं करता? मैं समझ रही हूं कि यह […]