facebookmetapixel
48,000 करोड़ का राजस्व घाटा संभव, लेकिन उपभोग और GDP को मिल सकती है रफ्तारहाइब्रिड निवेश में Edelweiss की एंट्री, लॉन्च होगा पहला SIFएफपीआई ने किया आईटी और वित्त सेक्टर से पलायन, ऑटो सेक्टर में बढ़ी रौनकजिम में वर्कआउट के दौरान चोट, जानें हेल्थ पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहींGST कटौती, दमदार GDP ग्रोथ के बावजूद क्यों नहीं दौड़ रहा बाजार? हाई वैल्यूएशन या कोई और है टेंशनउच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती हैEditorial: बारिश से संकट — शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्काल योजनाओं की आवश्यकताGST 2.0 उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन गहरी कमजोरियों को दूर करने में कोई मदद नहीं करेगागुरु बढ़े, शिष्य घटे: शिक्षा व्यवस्था में बदला परिदृश्य, शिक्षक 1 करोड़ पार, मगर छात्रों की संख्या 2 करोड़ घटीचीन से सीमा विवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान का छद्म युद्ध दूसरा खतरा: CDS अनिल चौहान

लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: जेन स्ट्रीट मामला- खतरे की घंटी अनसुना करता मुनाफे का लालच

हेज फंड जेन स्ट्रीट के विरुद्ध नियामकीय कदम ने इक्विटी डेरिवेटिव्स बाजार की ओर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है। अभी इस मामले पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि हेराफेरी के आरोपों और जेन स्ट्रीट के कीमतों के आर्बिट्राज (कीमतों में अंतर का लाभ) के दावों की पुष्टि होनी बाकी है। इसके बावजूद […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: कॉरपोरेट जगत में विविधता जरूरी, महिलाओं की भागीदारी अब भी सीमित

हिंदुस्तान यूनिलीवर की पहली महिला प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में प्रिया नायर की नियुक्ति देश के कॉरपोरेट जगत के लिए एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारतीय कॉरपोरेट जगत ने नेतृत्वकारी भूमिकाओं में लैंगिक यानी स्त्री-पुरुष कर्मचारियों की संख्या में विविधता को लेकर बहुत धीमी प्रगति की है। नियामकीय मानकों […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: संकेंद्रण समस्या- ‘चैंपियनों’ के बजाय बाजार का हो समर्थन

यह बात लंबे अरसे से समझी जा रही है कि एक तरफ शुल्कों की दीवार खड़ी कर दूसरी तरफ औद्योगिक नीति के जरिये देसी उद्योगों को सब्सिडी दी जाती है तो उसके कई बुरे नतीजे होते हैं। उनमें से एक है भारी भरकम देसी औद्योगिक समूह तैयार हो जाना। यह बात भारतीय नीति निर्माताओं को […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: GCC पर बड़ा दांव, सेवाओं के निर्यात में बढ़त के लिए जरूरी है आधारभूत सुधार और कौशल विकास

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा कि सरकार वैश्विक क्षमता केंद्रों यानी जीसीसी को एक ‘बड़े अवसर’ के रूप में देख रही है। इससे पहले इस वर्ष के आरंभ में केंद्रीय बजट में उन्होंने कहा था कि एक राष्ट्रीय  ढांचा तैयार किया जाएगा ताकि जीसीसी को छोटे शहरों की ओर ले […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: संतोषजनक स्थिति — कम मुद्रास्फीति का अर्थ अगली दर कटौती नहीं

सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़े दिखाते हैं कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर मई के 2.8 फीसदी से कम होकर जून में 2.1 फीसदी रह गई। मुद्रास्फीति की दर में यह गिरावट मोटे तौर पर खाद्य कीमतों में कमी की बदौलत आई। अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में 1.06 फीसदी की […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: आईबीसी में सुधार जरूरी- देरी की समस्या का हो समाधान

जैसा कि इस समाचार पत्र में भी प्रकाशित हुआ था, वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति ने गत सप्ताह एक बैठक में ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता यानी आईबीसी के अधीन मामलों का समाधान तेज करने के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (एनसीएलएटी) स्थापित […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: Air India दुर्घटना: आईबी की प्रारंभिक जांच से जवाब के बजाय खड़े हुए प्रश्न

गत 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की उड़ान संख्या 171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आई एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक जांच के नतीजों ने जवाब देने के बजाय नए प्रश्न खड़े कर दिए हैं। उस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी। इंटरनैशनल सिविल एविएशन […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: टिकाऊ निर्माण- ढांचों का रखरखाव उतना ही महत्वपूर्ण जितना उनका निर्माण

गुजरात में गंभीरा पुल ढहने से होने वाली मौतें भारीभरकम बुनियादी ढांचा बनाने की भारत की योजना के लिए चेतावनी है। इसने दिखाया है कि कैसे देश में बुनियादी ढांचा हड़बड़ी में बनाया जाता है और गुणवत्ता पर नहीं के बराबर ध्यान दिया जाता है। बाद में उसका रखरखाव भी इतने घटिया तरीके से होता […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: अतिरिक्त नकदी का प्रबंधन: वित्तीय बाजारों को चाहिए अधिक स्पष्टता

भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति विगत कुछ तिमाहियों में तेजी से बदली है। वर्ष 2024 के अंत में जहां बैंकिंग व्यवस्था में 2 लाख करोड़ रुपये की कमी थी वहीं अब 3 लाख करोड़ रुपये प्रति दिन के अधिशेष की स्थिति में है और यह राशि कुछ दिनों में बढ़कर 4 लाख करोड़ […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial- व्यापार एकीकरण: आसियान व्यापार समझौते को नहीं छोड़ा जाना चाहिए

अन्य देशों के उद्योगों की तरह ही भारतीय उद्योग जगत भी हर समय यही चाहेगा कि उसे ज्यादा संरक्षित बाजार में फलने-फूलने का मौका दिया जाए। यही वजह है कि उद्योग जगत के भीतर से दक्षिण एशियाई देशों के संगठन आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौता खत्म कर देने की मांग उठती रहती है। ऐसी […]

1 3 4 5 6 7 83