इस महीने के अंत तक सरकार बैटरी अदला-बदली की नीति पेश कर सकती है। हालांकि यह स्वैच्छिक डिजाइन मानकीकरण होगा। ईवी बैटरी हिस्सेदारों के साथ नीति आयोग की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मंगलवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने की। बैठक में मौजूद उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि हिस्सेदारों के अनुरोध के बाद मंत्री इस बात से सहमत हुए कि मानकीकरण को बैटरी विनिर्माताओं के लिए स्वैच्छिक बनाया जाए। उद्योग जगत ने चिंता जताई कि बैटरियों के प्रदर्शन की जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जिसे देखते हुए यह फैसला किया गया है।
इस चिंता को स्पष्ट करते हुए इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस के कार्यकारी निदेशक और इंडिया इलेक्ट्रिक मोबिलिटी काउंसिल के सेक्रेटरी देवी प्रसाद दास ने कहा कि अगर सभी बैटरियां एक ही आकार, वजन और डिजाइन की होंगी तो गैर पेशेवर विनिर्माता बाजार में सस्ती बैटरियां भर देंगे। दास ने कहा, ‘मानकीकरण से गंभीर बैटरी कारोबारियों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी और वे अपनी बैटरियों के प्रदर्शन की जांच नहीं कर पाएंगे और वे अपने शोध और विकास का काम रोक देंगे।’
प्रस्तावित नीति के मुताबिक बैटरी के बाहरी आकार तय किए जाने थे। लेकिन उद्योग से जुड़े लोगों ने निश्चित आकार को लेकर भी चिंता जताई, क्योंकि उसके आकार के मुताबिक वह बुनियादी ढांचा तैयार कर चुके हैं। बैठक के दौरान सरकार ने यह भी फैसला किया कि इंटरऑपरेटेबिलिटी और मानकीकरण के साथ सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों को प्रस्तावित नीति में ध्यान का प्रमुख केंद्र बनाया जाए। सूत्रों ने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से कहा गया है कि वह बैटरियों की सुरक्षा और प्रदर्शन को को लेकर गुणवत्ता मानक तैयार करे।
बहरहाल उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला करने के पहले सभी हिस्सेदारों से अभी और परामर्श की जरूरत है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि विभिन्न चिंता के समाधान के लिए हिस्सेदारों के साथ अगले दौर की बैठक जल्द ही की जाएगी। दास ने कहा कि उद्योग यह भी उम्मीद कर रहा है कि सरकार अदला-बदली करने वाली बैटरियों पर जीएसटी दरें 18 प्रतिशत से घटाकर अगले बजट में 5 प्रतिशत करेगी। सूत्रों ने कहा कि मंत्री ने इस मसले को जीएसटी परिषद के समक्ष रखने का आश्वासन दिया है। ईवी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंडिया इलेक्ट्रिक काउंसिल ने भी बैठक के दौरान सरकार से अनुरोध किया है कि स्वैपेबल व्हीकल्स को फेम-2 सब्सिडी में शामिल किया जाना चाहिए और इसका विस्तार 2024 के बाद तक किया जाना चाहिए।