सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने दोपहिया वाहन कंपनियों के उस अनुरोध को खारिज कर दिया है जिसमें 1 जनवरी, 2026 से 50 सीसी से अधिक या 50 किमी प्रति घंटे से अधिक रफ्तार वाले सभी नए दोपहिया वाहनों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) लगाने का विरोध करते हुए इसे अनिवार्य नहीं करने की मांग की गई थी।
अगर यह बदलाव (एबीएस) लागू हुआ तो दोपहिया कंपनियों को अपने वाहनों को सुरक्षित बनाने के लिए सालाना लगभग 7,300 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। मसौदे में 125 सीसी से कम क्षमता वाले सभी आईसीई दोपहिया और 11 केडब्ल्यूएच से कम क्षमता वाले इलेक्ट्रिक वाहनों में एबीएस लगाना अनिवार्य किया गया है। इससे पहले, एबीएस केवल 125 सीसी से अधिक क्षमता वाले दोपहिया और 11 केडब्ल्यूएच से अधिक क्षमता वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अनिवार्य था। अगर यह नियम लागू होता है तो 125 सीसी से कम क्षमता वाले दोपहिया वाहनों की 77 प्रतिशत बिक्री प्रभावित होगी।
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कंपनियों का कहना है कि इससे उन पर प्रति वाहन 3,500-6,000 रुपये का अतिरिक्त बोझ (मॉडल के आधार पर या वह इलेक्ट्रिक या है आईसीई वाहन) पड़ेगा, जिससे उनके सामने कीमतें बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। मंत्रालय ने बजाज, एथर, हीरो मोटोकॉर्प, टीवीएस, सुजूकी और होंडा सहित प्रमुख दोपहिया वाहन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह संदेश दिया।
बैठक में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सायम) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस संबंध में मंत्रालय ने 23 जून को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन कंपनियों की शिकायत थी कि इससे दोपहिया वाहनों की कीमत में भारी वृद्धि होगी, खासकर ऐसे समय में जब समूचा बाजार पर्याप्त तेजी से नहीं बढ़ रहा है।
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भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण एबीएस लगाना आसान काम नहीं होगा क्योंकि इसके लिए दुर्लभ मैग्नेट की भी आवश्यकता होगी, जिन पर चीन का नियंत्रण है। चीन ने 4 अप्रैल से मैग्नेट की आपूर्ति बंद कर दी है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में वाहनों के लिए मोटरों का उत्पादन खतरे में पड़ गया है।