बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर संसद में गुरुवार को भी भारी हंगामा हुआ। इस कारण लोक सभा और राज्य सभा एक-एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। दोनों सदनों में एसआईआर के विरोध में विपक्ष के कई सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे। लोक सभा में कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी दलों ने आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी की और तख्तियां लहराईं, जिन पर एसआईआर विरोधी नारे लिखे हुए थे। उन्होंने बिहार में एसआईआर की कवायद पर तत्काल चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया। हालांकि, सदन में शोर-शराबे के बीच ही पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने प्रश्नकाल के दौरान कुछ पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आसन के समीप शोर-शराबा कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘आपसे पहले भी कहा गया है कि प्रश्नकाल महत्त्वपूर्ण समय होता है। इसमें जनता से जुड़े सवाल होते हैं और सरकार की जवाबदेही होती है। कई सांसदों ने कहा है कि प्रश्नकाल के दौरान उनके प्रश्न मुश्किल से आ पाते हैं और आप लोग नारेबाजी करते हैं।’
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब निचले सदन की बैठक दोबारा शुरू हुई तो विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्षी सदस्यों से ‘गोवा राज्य विधान सभा के निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का समायोजन विधेयक, 2024’ पर चर्चा में भाग लेने की अपील की। लेकिन हंगामा जारी रहा। हंगामा नहीं थमने पर दो बजकर सात मिनट पर सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। राज्य सभा में उपसभापति हरिवंश ने कहा कि उन्हें विपक्ष के कुछ सदस्यों के विभिन्न विषयों पर नियम 267 के तहत कार्य स्थगन के 30 प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें वह पूर्व में सभापति द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुरूप खारिज कर रहे हैं। इससे पहले वरिष्ठ वकील एवं न्यायविद् उज्ज्वल निकम को उच्च सदन के मनोनीत सदस्य के रूप में शपथ दिलवायी गई। इसके बाद जब उपसभापति ने प्रश्नकाल शुरू करने को कहा तो विपक्षी सदस्यों ने अपने-अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया जिसके कारण हरिवंश ने 12 बजकर तीस मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर भी हंगामा नहीं थमा तो करीब सवा दो बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
राज्य सभा में सेवानिवृत्त होने जा रहे छह सदस्यों को बुधवार को विदाई दी गई। हालांकि इस दौरान उच्च सदन में कोई शोर-शराबा देखने को नहीं मिला। जिन सदस्यों को विदाई दी गई, उनमें एम मोहम्मद अब्दुल्ला (द्रमुक), एन चंद्रशेखरन (अन्नाद्रमुक), अन्बुमणि रामदास (पीएमके), एम षणमुगम (द्रमुक) और एम वाइको (एमडीएमके) शामिल हैं। द्रमुक सदस्य पी विल्सन का कार्यकाल भी समाप्त हुआ है लेकिन वह उच्च सदन के लिए पुन:निर्वाचित हो गए हैं।
कांग्रेस ने पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लिए विदाई समारोह आयोजित करने की मांग की है, हालांकि सरकार के स्तर पर इस मांग को लेकर कोई तवज्जो नहीं दी गई। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार शाम राज्य सभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में यह मांग उठाई। सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर सरकार चुप्प रही और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा तथा किरेन रीजीजू ने इस मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
देश के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के कुल 371 पद रिक्त हैं। विधि और न्याय राज्य मंत्री तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्य सभा को गुरुवार को बताया कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 1,122 है, जिनमें से 751 न्यायाधीश वर्तमान में कार्यरत हैं। कुल रिक्तियों में से 178 पदों के लिए नियुक्ति प्रस्ताव सरकार और उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम के बीच विचाराधीन हैं। 193 पदों के लिए अभी तक अनुशंसाएं नहीं मिली हैं।
सरकार के महत्त्वाकांक्षी जल जीवन मिशन (जेजेएम) के रास्ते में पानी की कमी, दुर्गम भूभाग और राज्य वित्त पोषण में देरी जैसे कई कारक रोड़ा अटका रहे हैं। लोक सभा में जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि कई राज्यों में सूखाग्रस्त और रेगिस्तानी क्षेत्रों में भरोसेमंद जल स्रोतों की कमी है। भूजल प्रदूषण, बिखरी हुई ग्रामीण बस्तियों और वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने में देरी जैसी बाधाएं आ रही हैं। भाषा