भारत को 10 सदस्यीय दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ (आसियान) देशों से व्यापार समझौते की समीक्षा के दौरान लंबित मुद्दों के समाधान की उम्मीद है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्षों ने पिछले दो महीनों में मुद्दों को हल करने के लिए प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया है।
इस अधिकारी ने दोनों पक्षों के लंबित मुद्दों की जानकारी दिए बिना बताया, ‘हमने 10वीं संयुक्त बैठक (अगस्त में) के बाद लंबित आसियान से लंबित मुद्दों पर बातचीत की थी। आसियान ने सभी लंबित मुद्दों को एकसाथ कर प्रस्ताव दिया था। हमने इसका अध्ययन करने के बाद जवाबी प्रस्ताव दिया है। हमें उम्मीद है कि हम शीघ्र ही लंबित मुद्दों का समाधान कर लेंगे।’
आसियान देशों में ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। भारत-आसियान व्यापार समझौता 2010 से लागू हुआ था। इसके बाद दोनों पक्षों ने अगस्त 2023 में समझौते को और अधिक आधुनिक बनाने और बदलते समय के साथ उसे बेहतर करने के लिए मौजूदा समझौते की समीक्षा और वार्ता को समाप्त करने का लक्ष्य घोषित किया था। उदाहरण के लिए व्यापार समझौता एक दशक पहले हस्ताक्षर किया गया था।
इसलिए समझौते के तहत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र जैसे ‘उत्पत्ति के नियम’ मानदंड का विस्तार से उल्लेख नहीं था। दोनों पक्ष 26-28 अक्टूबर को होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन से पहले महीने के अंत तक किसी प्रकार के निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि दोनों पक्ष बातचीत में प्रगति करने के बावजूद समीक्षा को अंतिम रूप देने में सक्षम नहीं थे। अब यह माना जा रहा है कि समीक्षा को साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।
भारत और 10 देशों के गुट के बीच व्यापार समझौते की समीक्षा भारतीय व्यवसायों की लंबे समय से चली आ रही मांग रही है।
दरअसल, भारत ‘द्विपक्षीय व्यापार की वर्तमान विषमता’ को संबोधित करते हुए व्यापार में विविधता लाने की उम्मीद करता है।
आसियान को भारत का निर्यात पिछले वर्ष के 41.21 अरब डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 25 में 38.96 अरब डॉलर हो गया। हालांकि आयात में वृद्धि देखी गई और वित्त वर्ष 24 में 79.67 अरब डॉलर के मुकाबले वित्त वर्ष 25 में बढ़कर 84.15 अरब डॉलर हो गया। व्यापार घाटा वित्त वर्ष 24 में 38.46 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 45.19 अरब डॉलर हो गया। हालांकि यह घाटा वित्त वर्ष 11 में सिर्फ 5 अरब डॉलर था।