राजीव आनंद ने अगस्त में उस समय इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ का पदभार संभाला था, जब उनके पूर्ववर्ती ने लेखा संबंधी खामियों के बाद इस्तीफा दे दिया था। मनोजित साहा के साथ टेलीफोन पर बातचीत में आनंद ने अगले तीन वर्षों में निजी क्षेत्र के इस बैंक के पुनर्निर्माण की रूपरेखा बताई। संपादित अंश:
दूसरी तिमाही में ऋण और जमा, दोनों में गिरावट आई है। क्या यह सोची-समझी रणनीति थी?
यह उच्च-लागत वाली जमाओं और कुछ कम रिटर्न वाली परिसंपत्तियों से किनारा करने का एक सचेत निर्णय था। सही मायने में यह वर्तमान में चल रहे पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन का हिस्सा है। यदि आप गौर करें तो खुदरा जमाएं स्थिर बनी हुई हैं। हमारा उद्देश्य समय के साथ उच्च-लागत वाली जमाओं को सीएएसए (कासा) के साथ-साथ खुदरा जमाओं के उच्च अनुपात से बदलना है। कासा कुल जमा का 31 फीसदी है।
कासा अनुपात प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम है। इसमें सुधार की क्या योजना है?
हमारे चालू और बचत खातों की शेष राशि को बढ़ाने के लिए कई रणनीतियां हैं। हम पर्याप्त चालू खाता शेष नहीं खाेल रहे हैं। हमें टीम की उत्पादकता में सुधार करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, हमारी वेतन फ्रैंचाइज अपेक्षाकृत कमजोर है और हम इस पर काम कर रहे हैं। पारंपरिक रूप से हमारे पास वरिष्ठ नागरिकों की मजबूत फ्रैंचाइज रही है और हम उसे और बढ़ाने का इरादा रखते हैं।
मुझे लगता है कि हमारी परिचालन दक्षता और प्रक्रियाओं के संदर्भ में अभी और काम करना बाकी है, जिससे मुझे यकीन है कि हमारी शाखाओं की उत्पादकता में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके साथ ही हम अपनी डिजिटल क्षमताओं में निवेश जारी रखेंगे, जिससे हमें मौजूदा ग्राहकों के साथ जुड़ने में मदद मिलेगी।
क्या ऋण और जमा दोनों का यह पुनर्संतुलन कुछ तिमाहियों तक जारी रहेगा?
हमारा इरादा स्पष्ट रूप से तिमाही आधार पर विकास करने का है। मेरे हिसाब से यह तीन साल की यात्रा है। पहले साल का लक्ष्य वृद्धि को उद्योग के स्तर पर वापस लाना है। दूसरे साल का लक्ष्य उद्योग से ज्यादा तेज वृद्धि हासिल करनी है और तीसरे साल का लक्ष्य वास्तव में कुछ प्रमुख क्षेत्रों में अपना दबदबा बनाना होगा। सबसे जरूरी बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के नजरिये से पर्याप्त वृद्धि हो रही है और हमारी अपेक्षाकृत कम बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए वृद्धि कोई समस्या नहीं है। लेकिन उससे पहले, अपने ‘घर’ को व्यवस्थित करना बहुत जरूरी है।
आपने किन कमियों की पहचान की है और आप उन्हें कैसे दूर करेंगे?
मुझे लगता है कि सबसे बड़ा अंतर हमारे पास प्रतिभाओं की कमी होना है। हमने यह यात्रा शुरू कर दी है। एक नए मुख्य वित्तीय अधिकारी हमारे साथ जुड़ गए हैं। नए आंतरिक लेखा परीक्षक को भी नियुक्त किया गया है और नए मार्केटिंग प्रमुख और बिजनेस ट्रांसफॉर्मेंशन प्रमुख को भी नियुक्त किया गया है।
हमारे संचालन और प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है, जिस पर बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन प्रमुख ध्यान देंगे। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं हम यह भी देख रहे हैं कि संगठन के कुछ वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी अगले छह से नौ महीनों में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसलिए, हमारे लिए उन अंतरालों को भरना भी बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
आपको बोर्ड में एक पूर्णकालिक निदेशक भी रखना होगा। आरबीआई का कहना है कि बैंक बोर्ड में कम से कम दो पूर्णकालिक निदेशक होने चाहिए…
सही बात है, हम जल्द से जल्द निदेशक नियुक्त कर लेंगे।
व्यावसायिक मोर्चे पर क्या कमियां हैं?
बैंक पारंपरिक रूप से वाहन वित्त, रत्न एवं आभूषणों के क्षेत्र में बहुत मजबूत रहा है। इसका सूक्ष्म वित्त व्यवसाय बहुत बड़ा है। हम इन व्यवसायों को आगे बढ़ाते रहेंगे। दो क्षेत्र ऐसे हैं जिन्हें हम निश्चित रूप से विकसित करना चाहते हैं। पहला है एमएसएमई और दूसरा रिटेल परिसंपत्ति व्यवसाय।
सूक्ष्म वित्त खाते में क्या और कमी आएगी?
यह समझना जरूरी है कि सूक्ष्म वित्त व्यवसाय पारंपरिक रूप से अस्थिर रहा है। हम वर्तमान में मूल्यांकन कर रहे हैं कि हमारे लिए सूक्ष्म वित्त का सही अनुपात क्या होना चाहिए। यह हमारे पोर्टफोलियो का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा। लेकिन हम निश्चित रूप से 10-12 फीसदी के अनुपात पर वापस जाने का इरादा नहीं रखते हैं।
क्या आप क्रेडिट कार्ड खाता भी बढ़ाएंगे? पिछली कुछ तिमाहियों में क्रेडिट कार्ड खाते में गिरावट आई है।
जहां तक क्रेडिट कार्ड व्यवसाय का सवाल है तो मुझे लगता है कि बैंक ने कार्ड व्यवसाय को काफी सुदृढ़ बना लिया है। हम निश्चित रूप से इस व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते हैं।
हमारा ध्यान बैंक के मौजूदा ग्राहकों की सेवा पर रहेगा। और इंडसइंड हमेशा से नवाचार के लिए जाना जाता रहा है। हम अपने नवाचार कौशल का उपयोग अपने क्रेडिट कार्ड व्यवसाय को भी मजबूत करने के लिए करेंगे।
ऋण खाते में खुदरा-कॉरपोरेट का अनुपात 60:40 है। क्या कोई बदलाव होगा?
मोटे तौर पर, 60:40 का ही वह अनुपात है, जो हम रखना चाहते हैं। हम 5 फीसदी ऊपर-नीचे हो सकते हैं। मगर अंत में यही वह अनुपात है जहां हम आगे बढ़ते हुए निवेश पर रिटर्न दे पाएंगे।
दूसरी तिमाही में लगभग 2,500 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए। ऐसा कब तक जारी रहेगा?
हमने जो बट्टे खाते में डाले हैं, उनमें से ज्यादातर सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में हैं। हमारा प्रावधान कवरेज अनुपात भी 70 से 72 फीसदी हो गया है। इसलिए हमें डिफॉल्ट के कारण होने वाले नुकसान के सापेक्ष अपने प्रावधानों को संतुलित करना होगा। और यह एक सतत मूल्यांकन प्रक्रिया है।
क्या सूक्ष्म वित्त क्षेत्र का सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है या मुश्किलें बाकी हैं?
हमें उम्मीद है कि सूक्ष्म वित्त व्यवसाय में चौथी तिमाही से सुधार दिखना शुरू हो जाएगा।