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UP में ‘होम स्टे’ का बढ़ता चलन: कारोबारी ही नहीं आम लोगों की भी कमाई का बन रहा साधन

योगी आदित्यनाथ सरकार की ब्रेड ऐंड ब्रेकफास्ट नीति के बाद होम स्टे की मांग लखनऊ, कानपुर जैसे बड़े शहरों ही नहीं बल्कि पीलीभीत, श्रावस्ती, लखीमपुर तथा बहराइच जैसे जिलों से भी है

Last Updated- October 19, 2025 | 9:29 PM IST
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ | फाइल फोटो

उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों, धरोहर स्थलों से लेकर वन्य जीव अभयारण्यों तक में उमड़ रही पर्यटकों की भीड़ ने कारोबारियों के साथ ही आम लोगों के लिए भी कमाई का रास्ता खोल दिया है। कई जगहों पर पर्यटकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि रिहायशी कमरे मुहैया कराना होटल और गेस्ट हाउस के लिए मुश्किल हो गया है। पर्यटन विभाग का कहना है कि पिछले दो साल में यह इजाफा देखकर होम स्टे की जरूरत बढ़ गई है। इसीलिए यहां बड़ी तादाद में होम स्टे तैयार हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ब्रेड ऐंड ब्रेकफास्ट नीति ने इन्हें और भी बढ़ावा दिया है। यह नीति आने के बाद लोग जमकर होम स्टे के लिए आवेदन कर रहे हैं। ऐसे आवेदन लखनऊ, कानपुर जैसे बड़े शहरों या अयोध्या, काशी, मथुरा जैसे धार्मिक स्थलों से ही नहीं बल्कि पीलीभीत, श्रावस्ती, लखीमपुर तथा बहराइच जैसे मझोले और छोटे जिलों से भी हैं, जहां वन्यजीव विहार हैं। 

नई नीति के तहत फार्म हाउस स्टे की योजना भी शुरू हुई है, जिसमें पर्यटकों को ग्रामीण माहौल में रुकने की सुविधा मिलेगी।

क्या है नई नीति

पहले उत्तर प्रदेश में होम स्टे की कोई नीति नहीं थी, इसलिए लोगों को केंद्र सरकार के निधि प्लस पोर्टल पर पंजीकरण कराना पड़ता था और होम स्टे चलाने की इजाजत लेनी होती थी। मगर सितंबर में आई होम स्टे नीति 2025 में प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग में ऑनलाइन पंजीकरण हो जाएगा। आवेदक को स्थानीय निकायों से अनापत्ति प्रमाणपत्र भी लेना होगा। पर्यटन स्थलों के आसपास रहने वाले अपनी संपत्ति के अधिकतम छह कमरों को होम स्टे बना सकते हैं और उनमें अधिकतम 12 बेड हो सकते हैं। किसी भी आवासीय संपत्ति का दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा होम स्टे में तब्दील नहीं किया जा सकता।

होम स्टे में काम कर रहे अधिकतम 8 कर्मचारियों को सरकार आतिथ्य और भोजन तैयार करने का मुफ्त प्रशिक्षण देगी। इन संपत्तियों को घरेलू उपभोक्ताओं वाली दर पर ही बिजली दी जाएगी और मकानों की दर से ही गृहकर तथा जल कर वसूला जाएगा। इन आवासों में सौर ऊर्जा के लिए पीएम सूर्य घर योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी भी होगी।

नीति के तहत होम स्टे को गोल्ड और सिल्वर श्रेणियों में बांटा गया है। शहरी निकायों के अंतर्गत गोल्ड श्रेणी के होम स्टे के लिए पंजीकरण शुल्क 3,000 रुपये और सिल्वर श्रेणी के लिए 2,000 रुपये है। ग्रामीण इलाकों में होम स्टे के लिए गोल्ड का शुल्क 750 रुपये और सिल्वर होम स्टे का पंजीकरण शुल्क 500 रुपये होगा। होम स्टे में 7 दिन तक रुका जा सकता है और उसके बाद रीन्यूअल कराना होगा।

फार्म स्टे की भी योजना

फार्म स्टे खेत में या उसके करीब बनाया जाएगा और संपत्ति के मालिक के मकान से अलग होगा। इसमें कम से कम दो किराये के कमरे और एक रिसेप्शन क्षेत्र अनिवार्य है। पर्यटकों को ग्रामीण माहौल से रूबरू कराने के लिए फार्म स्टे में खेती-बाड़ी, बागवानी, मत्स्य पालन, डेरी, पशुपालन और फार्म टूर आदि की गतिविधियां अनिवार्य होंगी। 

इस योजना के तहत किए जाने वाले पूंजी निवेश पर सब्सिडी भी होगी। 10 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच निवेश पर 25 फीसदी (अधिकतम 2 करोड़ रुपये) सब्सिडी होगी। 25 से 50 करोड़ रुपये तक निवेश पर 20 फीसदी (अधिकतम 7.5 करोड़ रुपये), 200 करोड़ रुपये तक निवेश पर 15 फीसदी (20 करोड़ रुपये तक) और 500 करोड़ रुपये पर 10 फीसदी या अधिकतम 40 करोड़ रुपये सब्सिडी दी जाएगी।

इसी तरह निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज सब्सिडी का भी प्रावधान है। इसमें 5 करोड़ रुपये तक बैंक ऋण पर 5 फीसदी और अधिकतम 25 लाख रुपये सालाना तक सब्सिडी मिलेगी, जो 5 साल तक लागू रहेगी। इसके साथ ही स्टांप ड्यूटी, भूमि रूपांतरण शुल्क और विकास शुल्क पूरी तरह माफ होंगे। 

आवेदनों की भरमार

ब्रेड ऐंड ब्रेकफास्ट नीति, होम स्टे नीति और फार्म स्टे नीति आते ही आवेदनों की भरमार हो गई है। प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के मुताबिक नीति लागू होने के बाद एक हफ्ते में ही होम स्टे के 743 और फार्म स्टे के 30 पंजीकरण हो गए। लखनऊ से ही होम स्टे के 800 से ज्यादा आवेदन आ गए। काशी, मथुरा, अयोध्या के साथ ही वन्यजीव अभायरणों वाले जिलों लखीमपुर, बहराइच, पीलीभीत, बिजनौर, श्रावस्ती व बलरामपुर के साथ ही चित्रकूट से भी होम स्टे के पंजीकरण के लिए आवेदन आ रहे हैं। पर्यटन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी प्रदेश में दुधवा, पीलीभीत, अमानगढ़ व रानीपुर (चित्रकूट) के साथ ही सुहेलवा टाइगर रिजर्व भी हो गया है। इन जगहों पर पर्यटक खूब आ रहे हैं मगर सुविधाएं बहुत कम हैं। इसीलिए इन जगहों से होम स्टे के काफी आवेदन आ रहे हैं। प्रदेश में पक्षी विहारों के करीब के कुछ गांवों से भी होम स्टे खोलने के लिए आवेदन मिले हैं। सीतादोहर पक्षी विहार, श्रावस्ती, सांडी पक्षी विहार हरदोई और नवाबगंज उन्नाव जिले से होम स्टे के तीन दर्जन आवेदन मिले हैं।

कुंभ व अयोध्या को होम स्टे का सहारा

इसी साल प्रयागराज में हुए महाकुंभ के दौरान तथा राम मंदिर के उद्घाटन के बाद उमड़ी भीड़ को समेटने में होम स्टे की बड़ी भूमिका रही। महाकुंभ में पहुंचे 66 करोड़ लोगों में से एक तिहाई ने होम स्टे का सहारा लिया और अयोध्या में तो अब 600 से ज्यादा होम स्टे चल रहे हैं। पर्यटन मंत्री का कहना है कि कुंभ के कारण संगमनगरी में घूरपुर, श्रंगवेरपुर व गढ़ा कटरा इलाके होम स्टे के नए केंद्र बन गए हैं। मथुरा के जैत गांव जैसी जगहों पर होम स्टे व फार्म स्टे खुल गए हैं, जहां बड़ी तादाद में पर्यटक पहुंच रहे हैं। मठों, धर्मशालाओं और अतिथि गृहों की भरमार वाले चित्रकूट से भी बड़ी तादाद में होम स्टे खोलने के लिए आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। पर्यटन विभाग का कहना है कि होम स्टे के लिए मिलने वाले वाले आवेदनों का त्वरित निस्तारण किया जा रहा है।

रियायतें बढ़ाने की तैयारी में सरकार

उत्तर प्रदेश आने वाले पर्यटकों को अधिक समय तक रोकने के लिए सरकार होम स्टे में रुकने की कीमत को गिराने पर भी विचार कर रही है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने सलाहकार कंपनी डेलॉयट के द्वारा तैयार एक रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि संभव हो तो बेड एंड ब्रेकफॉस्ट नीति में संशोदन किया जाए और होम स्टे में प्रति रात रुकने का खर्च कम कर दिया जाए। उनका मानना है कि अभी होम स्टे में प्रित रात रुकने का जो 2-3000 रूपये लेने का प्रावधान है उसे गिराकर 1000 रूपये के आसपास लाया जाए ताकि ज्यादा से लोग अधिक समय गुजार सकें। उनका कहना है कि छोटे शहरों व ग्रामीण इलाकों में ज्यादा होम स्टे कैसे बन सकें इसके लिए भी नीति में पर्याप्त व्यवस्था की जाए।

First Published - October 19, 2025 | 9:29 PM IST

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