व्यापारिक तनावों या राजकोषीय दिक्कतों से बेपरवाह अमेरिकी शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब है। यह तेजी नई पीढ़ी के तकनीकी आशावाद की लहर पर सवार है जिसका नाम है आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई)। सात बड़ी टेक कंपनियां यानी अल्फाबेट, एमेजॉन, ऐपल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया और टेस्ला इस समय एसऐंडपी 500 के बाजार पूंजीकरण में करीब 38 फीसदी की हिस्सेदार हैं और उसके मुनाफे में इनकी हिस्सेदारी करीब आधी है। उनका दबदबा और नई तकनीकी क्रांति में उनका भरोसा 1990 के दशक के डॉटकॉम बबल (भारी कृत्रिम तेजी) की याद दिलाता है।
एसऐंडपी का चक्रीय रूप से समायोजित मूल्य-आय अनुपात 2000 के बाद से पहली बार 40 के स्तर को पार कर गया है। इंटरनेट बबल के दौर में वह 44 पहुंच गया था और उसके तुरंत बाद बबल फूटने से इसमें भारी गिरावट आई और यह करीब आधा ही रह गया था। आज की तरह उस समय भी इस बात पर यकीन था कि डिजिटल क्रांति किसी भी मूल्यांकन को उचित ठहराने वाले साबित होगी। उस वक्त की तरह आज भी खतरा यही है कि कहीं अचानक बहुत तेज और गहरी गिरावट का सामना न करना पड़े।
गीता गोपीनाथ जो अभी हाल तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रथम उप प्रबंध निदेशक थीं, उन्होंने द इकॉनमिस्ट में लिखा कि अगर बाजार में डॉटकॉम के दौर जैसी गिरावट आती है तो अमेरिकी परिवारों की करीब 20 लाख करोड़ डॉलर की परिसंपत्ति स्वाहा हो जाएगी। यह 2024 के अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब 70 फीसदी के बराबर राशि होगी। बाकी दुनिया पर इसका असर 15 लाख करोड़ डॉलर या शेष विश्व के जीडीपी के 20 फीसदी के बराबर होगा। उनकी इस दलील ने निवेशकों को असहज करने वाली बहस में डाल दिया है।
दुर्भाग्य यह है कि गोपीनाथ बाजारों में तेज गिरावट की संभावित वजह की बात नहीं करतीं। वह इस बात पर ध्यान केंद्रित करती हैं कि कैसे इस बार संकट को मजबूत डॉलर या कर कटौती या व्यय संबंधी सरकारी उपायों की बदौलत नहीं बचाया जा सकता है। अमेरिका के पास इस बार बचाव का उपाय नहीं नजर आ रहा है। तो क्या डॉटकॉम जैसी गिरावट संभव है? यदि हां तो इसकी वजह क्या होगी?
इसका सबसे अधिक संभावित जरिया वित्तीय व्यवस्था के चार कोनों में नजर आता है: एआई तंत्र के बीच आपसी निवेश की प्रक्रिया, बढ़ता और प्राय: विनियमन रहित निजी ऋण बाजार, बढ़ता सार्वजनिक ऋण तथा क्रिप्टोकरेंसी और निजी इक्विटी में सटोरिया जैसी गतिविधियां। इनमें से पहले दो खासे चिंताजनक हैं।
इस बात पर गौर कीजिए कि इस क्षेत्र में आपसी रिश्तों ने मूल्यांकन को कितना बल दिया है। माइक्रोसॉफ्ट ने ओपनएआई में कम से कम 13 अरब डॉलर का निवेश किया। ओपनएआई माइक्रोसॉफ्ट के ऐज़र क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती है। इस प्रकार माइक्रोसॉफ्ट निवेशक भी है, अधोसंरचना मुहैया कराने वाली भी, प्लेटफॉर्म भी, वाणिज्यिक साझेदार भी और संभावित प्रतिस्पर्धी भी।
एमेजॉन ने एंथ्रॉपिक में 8 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है जो कि एमेजॉन के ही एडब्ल्यूएस क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती है। एमेजॉन एंथ्रॉपिक के क्लाॅड मॉडल का इस्तेमाल अपने एलेक्सा जैसे उत्पादों में करने जा रही है। यानी एमेजॉन निवेशक भी है, क्लाउड होस्ट/साझेदार भी और स्टार्टअप के एआई मॉडल में उपयोगकर्ता या इंटीग्रेटर भी। यानी वह निवेशक भी है, आपूर्तिकर्ता भी और ग्राहक भी।
एनवीडिया जो एआई हार्डवेयर की प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, वह ओपनएआई में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगी। वहीं ओपनएआई एनवीडिया के सिस्टम्स खरीदेगी। एनवीडिया ने ईलॉन मस्क के एआई स्टार्टअप एक्सएआई में भी निवेश किया है और वह एक्सएआई के डेटा सेंटर्स को प्रोसेसर्स की आपूर्ति करेगी।
परस्पर निर्भरता का जाल और घना होता जा रहा है। कोरवीव नामक क्लाउड अधोसंरचना प्रदाता एनवीडिया की प्रमुख ग्राहक है और एनवीडिया ने 2032 तक उसकी इस्तेमाल से बची क्षमता को 6.3 अरब डॉलर में खरीदने की गारंटी दी है।
एनवीडिया की प्रतिद्वंद्वी एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेस ने ओपनएआई के साथ आपूर्तिकर्ता निवेश सौदे की घोषणा की है। इस बीच ओपनएआई ने ओरैकल क्लाउड के साथ पांच साल के लिए 300 अरब डॉलर के अनुबंध की घोषणा की है। उसने कोरवीव के साथ 22.4 अरब डॉलर के सौदे की घोषणा की है जिसमें कोरवीव के शेयरों में 35 करोड़ डॉलर के निवेश की बात शामिल है। यानी ओपनएआई इस सेवा प्रदाता में ग्राहक भी है और निवेशक भी। कोरवीव ने मेटा के साथ काम करने की भी इच्छा जताई है जिससे परस्पर निर्भरता में और इजाफा होगा।
यह परस्पर निवेश का चक्र शेयर बाजार के सबसे महंगे हिस्से में राजस्व और मूल्यांकन दोनों को कृत्रिम रूप से बढ़ा रहा है। कोरवीव का मूल्यांकन 2025 में 19 अरब डॉलर से बढ़कर 23 अरब डॉलर हो गया जिसका कारण बताया गया ओपनएआई के साथ अनुबंध और एनवीडिया का समर्थन।
इन उच्च मूल्य गुणकों का प्रभाव अन्य एआई स्टार्टअप्स पर भी पड़ रहा है, और उन्हें अधिक मूल्यांकन देने के लिए औचित्य के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। चूंकि एआई बूम से जुड़े खरबों डॉलर के आपस में जुड़े निवेश से लाभ की कोई ठोस संभावना नहीं है, इसलिए यह एक बुलबुले जैसा है जो कभी भी फूट सकता है। अपोलो नामक निजी निवेश फर्म के टॉरस्टेन स्लोक ने यह भी कहा है कि एआई शेयरों का मूल्यांकन 1999 के डॉट कॉम शेयरों से भी अधिक हो गया है।
गैर बैंकिंग ऋण में इसके समांतर हो रहा इजाफा भी चिंतित करता है। गैर बैंकिंग निजी ऋण यानी फंड्स द्वारा ऋण, बीमाकर्ताओं और शैडो फाइनैंसर्स द्वारा ऋण, खासकर जोखिम वाली मझोली कंपनियों का ऋण आदि बढ़कर यूरोप के जीडीपी के 3.8 गुना और अमेरिकी जीडीपी के 3.1 गुना तक हो गया है। बैंकों ने इन मध्यवर्तियों को अपने ऋण खाते के 10वें हिस्से के बराबर ऋण दिया है।
आईएमएफ के अनुसार अमेरिकी और यूरोपीय बैंकों ने कुल मिलाकर 4.5 लाख करोड़ डॉलर की राशि निजी ऋण कंपनियों, हेज फंडों तथा अन्य गैर बैंकिंग संस्थानों को दी है। अगर देनदारी में चूक हुई तो उनके टियर 1 पूंजी का बड़ा हिस्सा साफ हो जाएगा।
फिर भी यह प्रणाली, जो विस्तृत और अपारदर्शी है, नियामकों की पहुंच से काफी हद तक बाहर बनी हुई है। इनकी वृद्धि को गति मिली उन्हीं नियमों से, जैसे कि बेसल पूंजी नियम, जिन्हें बैंकिंग जोखिम को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था। अब फिनटेक कंपनियां, हेज फंड, और बीमा कंपनियां सीधे अधिक जोखिम वाले उधारकर्ताओं को ऋण दे रही हैं। अमेरिकी जीवन बीमा कंपनियों के लगभग आधे बॉन्ड निवेश अब निजी नियोजन में हैं, जो बाजार और नियामकों की निगरानी से बाहर हैं। यह पूरी प्रणाली पारदर्शिता पर नहीं, बल्कि विश्वास पर निर्भर करती है।
किसी को नहीं पता कि इस खुशी को कब और क्या चीज बिगाड़ेगी, लेकिन जब ऐसा होगा, तो ऋण और आपसी निवेश की संरचना ढह सकती है। यह केवल विकसित बाजारों तक सीमित नहीं रहेगा। इसकी लहरें उभरते बाजारों तक, जैसे कि भारत, भी पहुंचेंगी, क्योंकि निवेशक नकदी जुटाने के लिए अंधाधुंध बिकवाली करेंगे। अगर हम भाग्यशाली रहे, तो ये काले बादल केवल हल्की फुहारें लाएंगे, तूफान नहीं। जिनका बाजार में निवेश है, उनके लिए यह जरूरी है कि वे अपनी जोखिम-नियंत्रण रणनीतियां पहले से तैयार रखें।
(लेखक मनीलाइफ फाउंडेशन के न्यासी और मनीलाइफ डॉट इन के संपादक हैं)