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Dhanteras 2025: गहने, सिक्के, ETF से लेकर SGB तक, सोने की खरीदारी से पहले टैक्स की पूरी जानकारी

धनतेरस में लोग जमकर सोने की खरीदारी करते हैं, लेकिन किस तरह के गोल्ड में पैसा लगाकर आपको ज्यादा लाभ मिलेगा, आसान भाषा में समझें

Last Updated- October 16, 2025 | 6:14 PM IST
Gold
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

धनतेरस का दिन आते ही हर घर में सोने की खरीदारी में तेजी देखने को मिलती है। धनतेरस में सोना खरीदना हमारी परंपरा का हिस्सा है, लेकिन आजकल सोना सिर्फ सजाने का सामान नहीं, बल्कि एक स्मार्ट निवेश भी बन गया है। साल 2025 में जहां सोने की कीमत 1.3 लाख रुपये तक पहुंच गई है, साल 2020 में यह 50 हजार रुपये के आस-पास थी। पिछले पांच सालों में सोने ने तेजी से रफ्तार से पकड़ी है। लेकिन फिर भी भारतीय लोग त्योहारी सीजन में सोने की जबरदस्त खरीदारी करते हैं, पर खुशी के इस मौके पर टैक्स के नियमों को नजरअंदाज करना घाटे का सौदा हो सकता है। अगर आप सोना खरीदते हैं तो खरीदते वक्त GST लगेगा, बेचते वक्त कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ेगा। नई टैक्स पॉलिसी जुलाई 2024 से लागू हुई है, जिसमें लॉन्ग-टर्म गेन पर 12.5 फीसदी फ्लैट टैक्स है। आइए, समझते हैं सोने के अलग-अलग स्वरूप में टैक्स कैसे काम करता है।

सोने के गहनों पर टैक्स: चमक के पीछे छिपा खर्च

सोने के गहने खरीदना धनतेरस का सबसे पुराना रिवाज है। लेकिन ये निवेश से ज्यादा खरीदारी जैसा है। जब आप ज्वेलरी खरीदते हैं, तो सोने की कीमत के अलावा मेकिंग चार्ज लगता है, जो 5 से 10 फीसदी तक हो सकता है। ऊपर से 3 फीसदी GST भी चढ़ जाता है। मिसाल के तौर पर, अगर आप 10 ग्राम का गहना 1 लाख रुपये में लेते हैं, तो करीब 3 हजार GST और मेकिंग चार्ज मिलाकर कुल खर्च बढ़ जाता है।

अब बेचने की बात करें। अगर आप इसे दो साल से ज्यादा रखते हैं, तो ये लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। नई नियमों के मुताबिक, गेन पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा, बिना महंगाई के एडजस्टमेंट के। शॉर्ट-टर्म यानी दो साल से कम रखने पर आपकी इनकम स्लैब रेट से टैक्स कटेगा, जो 30 फीसदी तक जा सकता है। समस्या ये है कि बेचते वक्त ज्वेलर लगभग 5-7 फीसदी कटौती भी ले लेता है, जिससे असली रिटर्न घटकर काफी कम रह सकता है।

सोने के सिक्कों पर टैक्स: छोटी चमक, बड़ा हिसाब

धनतेरस पर 1, 2 या 5 ग्राम के सिक्के खरीदना आम बात है। ये गहनों से थोड़े सस्ते पड़ते हैं क्योंकि मेकिंग चार्ज कम होता है, जो 2-5 फीसदी के आसपास रहती है। फिर भी, 3 फीसदी GST तो देना ही पड़ेगा। खरीदते वक्त अगर 2 लाख से ज्यादा कैश देते हैं, तो 1 फीसदी TDS भी कटेगा।

टैक्स की असली मार बेचते वक्त पड़ती है। सिक्के भी फिजिकल गोल्ड ही हैं, तो टैक्सेशन वैसा ही। दो साल से ज्यादा होल्ड करने पर 12.5 फीसदी लॉन्ग-टर्म टैक्स, बिना इंडेक्सेशन के। शॉर्ट-टर्म पर स्लैब रेट लगेगा। लेकिन रिटर्न की बात करें तो निराशा ही मिलती है।

अगर आप हर धनतेरस पर 10 ग्राम का सिक्का लेते रहे, तो कैश आउट करने पर 3 फीसदी कटौती से रिटर्न और गिर जाता। ज्वेलरी बनाने के लिए इस्तेमाल करें तो मेकिंग प्लस GST लगेगा, जिससे रिटर्न काफी घट जाएगा। छोटे ज्वेलर तो सिक्के ही वापस नहीं लेते। तो ये परंपरा निभाने लायक है, लेकिन अमीर बनने का जरिया नहीं।

गोल्ड ETF पर टैक्स: डिजिटल रास्ता, आसान तरीका

अगर आप सोने में बिना फिजिकल झंझट के निवेश करना चाहते हैं तो गोल्ड ETF बेस्ट ऑप्शन है। ये स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाले यूनिट्स हैं जो गोल्ड प्राइस को ट्रैक करते हैं। खरीदते वक्त कोई GST नहीं, सिर्फ ब्रोकरेज लगता है। निवेश की रकम छोटी होती है। आप चाहें तो 100 रुपये से भी शुरू कर सकते हैं। 2025 में टॉप ETF ने 66 फीसदी तक रिटर्न दिया है।

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टैक्स की बात करें तो यहां भी फिजिकल गोल्ड जैसा ही टैक्स लगता है। दो साल से कम होल्ड पर शॉर्ट-टर्म गेन आपकी स्लैब रेट से टैक्सेबल है। दो साल से ज्यादा पर 12.5 फीसदी फ्लैट टैक्स, बिना इंडेक्सेशन के। लेकिन फायदा ये कि कोई स्टोरेज कॉस्ट नहीं, लिक्विडिटी हाई है, कभी भी बेच सकते हैं। पुराने SGB के मुकाबले ETF 1-3 फीसदी प्रीमियम पर मिलते हैं। धनतेरस पर अगर आपको पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करना है, तो ETF चुनना एक बेहतर फैसला हो सकता है।

SGB में निवेश: एक सुरक्षित विकल्प!

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) सरकार का प्रोडक्ट है, इसे RBI इश्यू करता है। ये गोल्ड प्राइस से लिंक्ड होते हैं, लेकिन फिजिकल डिलीवरी नहीं मिलती। हर साल 2.5 फीसदी ब्याज मिलता है, जो सेमी-एनुअली पेमेंट होता है। खरीदते वक्त कोई GST नहीं  लगती है। इंडिविजुअल के लिए इसकी लिमिट है 4 किलो प्रति साल।

टैक्स में ये सबसे अच्छा है। ब्याज इनकम ‘अदर सोर्स’ से टैक्सेबल, आपकी स्लैब रेट पर। लेकिन कैपिटल गेन का कमाल देखिए: 8 साल की मैच्योरिटी पर रिडेम्पशन से होने वाला गेन पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है। अगर मैच्योरिटी से पहले बेचते हैं, तो दो साल से ज्यादा होल्ड पर 12.5 फीसदी टैक्स लगता है। सेकेंडरी मार्केट में पुराने बॉन्ड 10-15 फीसदी प्रीमियम पर मिलते हैं। 2022 से इनवेस्ट करने वाले ने दोगुना रिटर्न पाया। स्टोरेज की टेंशन नहीं, सिक्योर है। धनतेरस पर लॉन्ग-टर्म के लिए ये टॉप चॉइस।

धनतेरस पर स्मार्ट प्लानिंग: टैक्स बचाते हुए निवेश

इस साल के धनतेरस से पहले सोने की कीमत लगभग 1.30 लाख प्रति 10 ग्राम के आस-पास है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आगे इसमें और तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन यहां आपको टैक्स को ध्यान में रखने की जरूरत है। फिजिकल गोल्ड पर खरीद और बेचने दोनों तरफ से ज्यादा खर्च है, जबकि जबकि ETF और SGB टैक्स-एफिशिएंट है। छोटे अमाउंट से ETF में SIP शुरू कर सकते हैं या SGB का इंतजार भी कर सकते हैं । एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार खरीदारी सोच-समझकर करें, ताकि चमक लंबे समय तक बनी रहे।

First Published - October 16, 2025 | 5:58 PM IST

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