Gold and Silver Investment: जैसे-जैसे दिवाली करीब आ रही है, सोना और चांदी एक बार फिर भारतीय बाजार में चर्चा के केंद्र में हैं। एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी (MPFASL) की नई रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों कीमती धातुओं की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में जोरदार तेजी आई है। रिपोर्ट का नाम है – ‘The Price of Faith: Why Gold Still Shines and Silver Once Again Surges’, यानी क्यों सोना अब भी चमक रहा है और चांदी फिर से उभर रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन सालों में सोने की कीमत (नवंबर 2022 से अक्टूबर 2025 के बीच) लगभग $1,900 प्रति औंस से बढ़कर $3,850 प्रति औंस तक पहुंच गई है। इसी दौरान चांदी की कीमत $24 से बढ़कर $47 प्रति औंस हो गई। यानी, दोनों धातुओं में लगभग दोगुनी तेजी आई है। हालांकि चांदी में सोने की तुलना में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।
इस बढ़त के पीछे कई वजहें हैं – वैश्विक महंगाई, मुद्रा में उतार-चढ़ाव और दुनिया भर में बढ़ता राजनीतिक तनाव। इन सबने निवेशकों को सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर लौटने पर मजबूर किया है।
समय अवधि | संबंध (कोरिलेशन) | औसतन सालाना रिटर्न (%) | रिटर्न में उतार-चढ़ाव (%) |
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सोना | चांदी | ||
साल 2001 से 2024 तक | 0.91 | 10.9 | 11.0 |
साल 2021 से 2024 तक | 0.67 | 10.69 | 10.30 |
साल 2023 से 2025 तक | 0.95 | 31.99 | 32.92 |
रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, सोना और चांदी दोनों की कीमतों में पिछले दो दशकों में मजबूत संबंध देखा गया है। साल 2001 से 2024 तक, दोनों के बीच 0.91 का कोरिलेशन रहा, यानी जब सोने की कीमत बढ़ी, तो ज्यादातर समय चांदी की कीमत भी बढ़ी। इस अवधि में सोने का औसतन सालाना रिटर्न 10.9% और चांदी का 11% रहा। हालांकि, चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव सोने से कहीं ज्यादा रहा। सोने की कीमतों में करीब 14% का फर्क देखा गया, जबकि चांदी की कीमतें लगभग 26% तक ऊपर-नीचे हुईं।
साल 2021 से 2024 के बीच सोना और चांदी के दामों का आपसी संबंध थोड़ा कमजोर पड़ गया, यानी दोनों की कीमतें हर बार एक साथ नहीं बढ़ीं या घटीं। इसका मतलब यह है कि कुछ समय पर सोना बढ़ा तो चांदी उतनी तेजी से नहीं बढ़ी, या कभी-कभी उलटी दिशा में चली गई। फिर भी, पूरे तीन साल के औसत में दोनों ने लगभग बराबर रिटर्न दिया। सोने ने 10.69% और चांदी ने 10.30%। यानी लंबे समय में नतीजा करीब-करीब समान रहा, लेकिन रास्ता अलग-अलग था। सोने की चाल थोड़ी स्थिर रही, जबकि चांदी में उतार-चढ़ाव ज्यादा था।
लेकिन साल 2023 से 2025 के बीच दोनों की चाल फिर से एक जैसी हो गई और कोरिलेशन बढ़कर 0.95 तक पहुंच गया। इस अवधि में दोनों में जबरदस्त तेजी देखी गई। सोने का औसतन सालाना रिटर्न 31.99% और चांदी का 32.92% रहा। इस दौरान सोने में उतार-चढ़ाव 13.77%, जबकि चांदी में 24.66% दर्ज किया गया।
साधारण भाषा में कहें तो, 2023 से 2025 के बीच सोना और चांदी एक साथ दौड़े। दोनों में तेज मुनाफा मिला, हालांकि चांदी में जोखिम यानी भाव का उतार-चढ़ाव सोने से कहीं ज्यादा था।
भारत में सोने और चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है। 2021 में जहां भारत ने करीब $34.6 अरब डॉलर का सोना आयात किया था, वहीं 2025 में यह आंकड़ा $58 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह बताता है कि कीमतें बढ़ने के बावजूद लोगों की सोने के प्रति दिलचस्पी कम नहीं हुई है।
हालांकि, लोगों का खरीदने का तरीका जरूर बदला है। रिपोर्ट के अनुसार, अब ग्राहक-
रिपोर्ट कहती है कि सोना अब ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के पार चला गया है, जिससे मध्यम वर्ग के लिए इसे खरीदना मुश्किल लगने लगा है। लेकिन भारतीय परंपरा में सोना सिर्फ गहना नहीं, बल्कि ‘सेफ सेविंग’ का प्रतीक है। इसलिए लोग सोना खरीदना बंद नहीं करते। वे बस अपना तरीका बदल लेते हैं। अब गहनों से ज्यादा डिजिटल और पेपर गोल्ड की ओर रुझान बढ़ा है।
MPFASL के अनुसार, सोने की कीमतें अब स्थिर रहने की संभावना है। अगले वित्त वर्ष 2026 में सोना $3,700 से $3,900 प्रति औंस के बीच रह सकता है, जबकि चांदी $44 से $50 प्रति औंस तक रह सकती है। हालांकि, अगर अमेरिकी ब्याज दरें घटती हैं या भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है, तो कीमतें फिर से ऊपर जा सकती हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले पांच सालों में दुनिया भर में डॉलर की हिस्सेदारी घटेगी, जबकि सोने और दूसरी करेंसियों में निवेश बढ़ेगा।
इतिहास के मुताबिक, चांदी ने अब तक तीन बार $50 प्रति औंस का स्तर छुआ है – 1980, 2011 और अब 2025 में। हर बार इसके बाद इसमें गिरावट आई थी। लेकिन MPFASL का मानना है कि इस बार स्थिति अलग है। सोलर एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी इंडस्ट्री से बढ़ती मांग के चलते चांदी के पास इस बार $50 के स्तर से ऊपर टिके रहने का मौका है।