Silver price forecast: चांदी से अब केवल गहने नहीं बन रहे, बल्कि यह निवेशकों के लिए भी सबसे आकर्षक विकल्प बनती जा रही है। मोतीलाल ओसवाल (MOFSL) की नई रिपोर्ट ‘Silver 2030 – The Unprecedented Rise’ में कहा गया है कि चांदी लंबी अवधि के बुल रन में है और इसके दाम 2027 तक $75–77 प्रति औंस तक पहुंच सकते हैं। वर्तमान में यह लगभग $51 प्रति औंस है, यानी लगभग 50% का उछाल आने की संभावना है।
चांदी की बढ़त का कारण इसकी दोहरी खासियत है। एक तरफ यह सोने की तरह कीमती है और मुश्किल समय में सुरक्षित निवेश माना जाता है। दूसरी तरफ यह एक जरूरी औद्योगिक धातु भी है, जिसका इस्तेमाल सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक कारें, 5G और AI उपकरणों में होता है। आज दुनिया भर में चांदी की करीब 60% मांग उद्योगों से आती है, खासकर ग्रीन एनर्जी और टेक्नोलॉजी सेक्टर से। मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, अगर डॉलर में चांदी की कीमत बढ़ती है और रुपये की कीमत कम होती है, तो इससे भारतीय निवेशकों को ज्यादा फायदा हो सकता है।
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पिछले सात साल से दुनिया में चांदी का उत्पादन उसकी मांग के मुकाबले कम रहा है, और यह कमी आगे भी बनी रहने की संभावना है। चांदी ज्यादातर जिंक और कॉपर जैसी धातुओं के साथ निकलती है, इसलिए इसे जल्दी से ज्यादा निकालना मुश्किल है। इस वजह से बाजार में चांदी की कमी, भंडार घटना और कीमतें ऊंची बनी रहेंगी।
चूंकि चांदी की कीमतें अमेरिकी डॉलर में तय होती हैं और रुपये की कीमत आने वाले सालों में कम होने की संभावना है, इसलिए भारतीय निवेशकों को दोगुना फायदा मिल सकता है। मोतीलाल ओसवाल का अनुमान है कि 2026–27 तक चांदी का भाव ₹2,45,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकता है। चांदी की गति सोने की तुलना में 1.7 गुना तेज होती है, यानी यह तेज मुनाफा और तेज नुकसान दोनों दे सकती है।
अगर आप अपनी निवेश लिस्ट में चांदी जोड़ना चाहते हैं, तो इसके तीन मुख्य तरीके हैं। पहला तरीका है Silver ETFs, जिन्हें आप आसानी से ऑनलाइन अपने डिमैट खाते से खरीद सकते हैं और ये अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुसार बढ़ते-घटते रहते हैं। यह लंबी अवधि के निवेश और नए निवेशकों के लिए सबसे आसान और सुरक्षित विकल्प है। दूसरा तरीका है Physical Silver, यानी सिक्के या बार, जिसे आप सीधे खरीद सकते हैं और आपका मालिकाना हक होता है, लेकिन इसमें मेकिंग चार्ज, GST और स्टोरेज की लागत भी लगती है।
यह उन लोगों के लिए बेहतर है जो भौतिक संपत्ति रखना पसंद करते हैं। तीसरा तरीका है MCX Futures, जो अनुभवी ट्रेडर्स के लिए है और अल्पकालिक कीमत के उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मोतीलाल ओसवाल की सलाह है कि लंबी अवधि के निवेश के लिए ETFs चुनें और छोटे समय के अवसरों के लिए MCX Futures का उपयोग करें।
2025–2026 में चांदी का उत्पादन धीमा रहने की संभावना है, इसलिए बाजार में कमी और कीमतों की मजबूती बनी रहेगी। 2027–2028 तक रीसाइक्लिंग थोड़ी मदद कर सकती है और कुछ भंडार ऊंची कीमतों पर कम हो सकते हैं। 2028 के बाद नई परियोजनाओं और रीसाइक्लिंग से बाजार थोड़ा स्थिर हो सकता है, लेकिन कीमतें पहले की तरह ऊंची बनी रहेंगी।
चांदी की कीमतें लंबे समय तक बढ़ी रह सकती हैं, क्योंकि सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग लगातार बढ़ रही है। दुनिया भर में भंडार तेजी से घट रहे हैं, जिससे कीमतें मजबूत बनी रहती हैं। साथ ही, डॉलर में चांदी की कीमत बढ़ने और रुपये की कमजोरी के कारण भारतीय निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना बनाती है।
हालांकि चांदी का रुझान मजबूत है, लेकिन इसमें जोखिम भी हैं। इसकी कीमतें बहुत तेजी से बढ़ती और घटती रहती हैं, कभी-कभी एक हफ्ते में 5–10% तक बदल सकती हैं। अगर दुनिया में आर्थिक मंदी आती है तो औद्योगिक मांग कम हो सकती है और हाई कीमतें कंपनियों को चांदी कम इस्तेमाल करने पर मजबूर कर सकती हैं। फिर भी, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स में लगातार मांग रहने के कारण चांदी में निवेश आने वाले सालों में भी मजबूत रहेगा।