सोने का भाव इस महीने की शुरुआत में नया रिकॉर्ड बना गया, जब 3 अप्रैल को प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 69,200 रुपये पर पहुंच गई। इस कीमती धातु की कीमत में पिछले एक साल में करीब 18 फीसदी की वृद्धि हुई है। अगले कुछ महीनों तक सोने में उतारचढ़ाव रह सकता है मगर मध्यम अवधि में इसकी संभावनाएं उज्ज्वल बनी हुई हैं।
व्यक्तिगत उपभोग व्यय मूल्य सूचकांक जारी होने के बाद फरवरी के अंत से सोने की कीमतों में तेजी आने लगी। सूचकांक भी उम्मीदों के अनुरूप है। क्वांटम ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी की फंड मैनेजर (वैकल्पिक निवेश) गजल जैन ने कहा, ‘यह जनवरी के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की बुनियाद पर जारी हुआ, जो अपेक्षा से अधिक था। पीसीई मूल्य सूचकांक ने महंगाई के बारे में चिंता कम कर दी है।’
अन्य हालिया आंकड़ों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बढ़ती कमजोरी का पता चलता है। टाटा ऐसेट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर (कमोडिटी) तपन पटेल कहते हैं, ‘अमेरिकी आईएसएम विनिर्माण और सेवा के निराशाजनक आंकड़ों से आर्थिक सुस्ती का पता चलता है। अमेरिका में बेरोजगारी के हालिया आंकड़े भी श्रम बाजार में कमजोरी दिखा रहे हैं।’
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती जल्द ही हो सकती है। जैन कहती हैं, ‘पहले यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि दरों में कटौती जून में शुरू की जाएगी। मगर अब कुछ बाजार भागीदारों को लगता है कि मई में ही पहली कटौती हो जाएगी।’
फेड नीति, अमेरिका की आर्थिक चिंताएं: अगले एक साल तक सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाला प्राथमिक कारक अमेरिकी फेड नीति है। अमेरिका की सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति धीरे-धीरे फेड के 2 फीसदी के लक्ष्य की तरफ बढ़ रही है। इससे दरों में कटौती का आधार मजबूत होता है।
राजकोषीय खर्च और उपभोक्ताओं की बचत कम होने के कारण अभी तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था उच्च ब्याज दरों और तंग ऋण स्थिति को झेलने में कामयाब रही है। 2024 में मामला अलग होगा। जब वैश्विक ब्याज दरें घटती हैं तो सोने जैसी परिसंपत्ति निवेशकों की दुलारी हो जाती है। पटेल का कहना है कि अतीत में भी सोने और ब्याज दरों के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
भूराजनीतिक तनावः पश्चिमी एशिया में तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भी सुरक्षित निवेश साधन माने जाने वाले सोने की मांग बढ़ी है।
केंद्रीय बैंकों की खरीदारीः वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में केंद्रीय बैंकों ने 1,037 टन सोने की खरीदारी की। यह साल 2022 की रिकॉर्ड खरीदारी से थोड़ा ही कम था। यह सिलसिला 2024 में भी जारी रहने की उम्मीद है।
चुनावः इस साल अमेरिका, भारत और यूरोपीय देशों सहित कई देशों में चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक अनिश्चितता शेयर बाजार को अस्थिर कर सकती है और सोने की खरीदारी को बढ़ावा दे सकती है।
शेयरों में तेजीः भारत के साथ ही दुनिया भर के शेयर बाजारों में काफी तेजी देखी जा चुकी है, जिससे मूल्यांकन भी बढ़ा है। लेकिन यदि आय वृद्धि निराशाजनक रही तो गिरावट भी संभव है। अमूमन इक्विटी बाजार में गिरावट के दौरान सोना बेहतर प्रदर्शन करता है।
भौतिक मांगः ऊंची कीमतों के बाद भी भारत और चीन जैसे देशों में मांग काफी ज्यादा दिखी है। मोतीलाल ओसवाल सर्विसेज के विश्लेषक (कमोडिटी और मुद्रा) मानव मोदी ने कहा, ‘भौतिक सोने की मजबूत मांग से कीमतों को समर्थन मिलने की उम्मीद है।’
अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था सहज स्थिति में पहुंच जाती है और वृद्धि को बड़ा नुकसान पहुंचाए बगैर महंगाई कम हो जाती है तथा फेडरल रिजर्व या तो दरों में कम कटौती करता है अथवा कटौती पूरी तरह टाल देता है तो सोने में गिरावट देखी जा सकती है।
निवेशकों को अमेरिका के आर्थिक संकेतकों पर बारीकी से नजर रखनी होगी। मोदी का कहना है, ‘हालिया आंकड़े अनुमान से कम हैं। लेकिन विनिर्माण और सेवा पीएमआई तथा श्रम बाजार के आंकड़ों में सुधार से कीमतों में वृद्धि पर रोक लगा सकती है।’
निकट अवधि में बनी रहेगी अस्थिरता
जानकारों को लगता है कि अगले कुछ महीनों तक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। मगर अमेरिकी ब्याज दरो में बदलाव के आसार को देखते हुए मध्यम अवधि में सोने के लिए अच्छी संभावनाएं बनी रह सकती हैं।
पटेल कहते हैं, ‘मध्यम अवधि में सोने की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी क्योंकि पीली धातु ब्याज दर परिदृश्य में अच्छा प्रदर्शन करती हैं।’ मोदी बताते हैं कि इस साल उनकी फर्म ने सोने की कीमतों के लिए 69 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक का लक्ष्य रखा है।
यदि सोने में आपका पोर्टफोलियो आवंटन 10 से 15 फीसदी के बीच है तो इसे बरकरार रखिए। जैन का सुझाव है कि अगर आवंटन 15 फीसदी से अधिक हो गया है तो थोड़ा सोना बेचकर मुनाफा कमा लें और पोर्टफोलियो को मुनासिब स्तर पर ले आएं।
हालिया तेजी के बाद सोने की कीमतों में कुछ कमी आ सकती है। मोदी का सुझाव है कि कीमतें गिरने पर खरीदारी करें। नए निवेशक एकमुश्त खरीदारी करने के बजाय क्रमवार तरीके से खरीद करें। सेबी के पंजीकृत निवेश सलाहकार और सहजमनी के संस्थापक अभिषेक कुमार का सुझाव है कि सोने में सात साल या उससे अधिक के अवधि के लिहाज से निवेश करें।