बेंचमार्क सूचकांकों में गुरुवार को आधा फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई क्योंकि निवेशकों ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की हालिया ब्याज बढ़ोतरी और ब्लूचिप कंपनियों की तरफ से आय की निराशाजनक तस्वीर को आत्मसात कर लिया। डेरिवेटिव अनुबंधों की जुलाई सीरीज की मासिक एक्सपायरी और विदेशी फंडों की बिकवाली ने भी सेंटिमेंट पर असर डाला।
सेंसेक्स 440 अंक टूटकर 66,267 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी ने 118 अंकों की गिरावट के साथ 19,660 पर कारोबार की समाप्ति की। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को मार्च 2022 के बाद 11वीं बार नीतिगत दरों में इजाफा किया, हालांकि जून में फेड ने बढ़ोतरी पर विराम लगाया था।
25 आधार अंकों की ताजा बढ़ोतरी से फेड का बेंचमार्क फेडरल फंड रेट 5.25 फीसदी से 5.50 फीसदी पर पहुंच गया है, जो 22 वर्षों का सर्वोच्च स्तर है। फेड प्रमुख जीरोम पॉवेल ने कहा कि महंगाई को वापस 2 फीसदी के लक्ष्य पर लाने के लिए अमेरिकी मौद्रिक नीति निर्माताओं को लंबा सफर तय करना है।
फेड प्रमुख ने हालांकि अगली दर बढ़ोतरी की समयसारणी बताने से इनकार कर दिया और कहा कि वह सितंबर में होने वाली अगली बैठक से पहले आर्थिक आंकड़ों पर नजर डालेंगे। पॉवेल ने कहा, अगर आंकड़ों को देखकर जरूरी हुआ तो सितंबर की बैठक में दरें एक बार फिर बढ़ाई जाएगी।
पिछले साल से अब तक फेड महंगाई पर लगाम कसने के लिए ज्यादा सख्ती वाले कदम उठा रहा है, जो 40 साल की ऊंचाई पर पहुंच गया था। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने जून में दरों पर विराम के बाद 25-25 आधार अंकों की दो बढ़ोतरी का संकेत दिया था।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा, आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य के लिहाज से आगे दरों में बढ़ोतरी जरूरी हो सकती है, जो उधारी में सख्ती की संभावना बढ़ाएगा। ऐसे में ब्याज दर का चक्र भले ही मोटे तौर पर सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया हो, लेकिन इसका असर आगामी तिमाहियों में देखने को मिलेगा। भारत भी ऐसी ही स्थिति में है और ब्याज दरें प्राथमिकता पर बढ़ाई गई। एक बार दरों में बढ़ोतरी की संभावना है, लेकिन आरबीआई का रुख संतुलित हो सकता है।
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ब्याज दरों के कारण आर्थिक अनिश्चितता के अलावा आय के मोर्चे पर निराशा का भी निवेशकों की मनोदशा पर असर पड़ा है। पिछले हफ्ते इन्फोसिस ने पूरे साल के राजस्व अनुमान घटाकर आधा कर दिया, जो आईटी क्षेत्र की वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ा रहा है। निवेशक एचयूएल के नतीजों से भी निराश हुए।
सूचकांक में शामिल टेक महिंद्रा और नेस्ले इंडिया भी बाजार के अनुमानों पर खरा नहीं उतरा। टेक महिंद्रा का शेयर 3.8 फीसदी जबकि नेस्ले इंडिया का शेयर 2.1 फीसदी टूट गया, जो सेंसेक्स में शामिल शेयरों में सबसे ज्यादा है। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का शेयर 6.4 फीसदी फिसला।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, मूल्यांकन को लेकर निश्चित तौर पर असहजता है। लेकिन आय के मोर्चे पर भी कुछ निराशा है। बेहतर आय पहले ही आ चुकी है और अब बड़े नकारात्मक आश्चर्य निवेशकों को परेशान कर रहा है। इसके अतिरिक्त आरबीआई को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ सकती है क्योंकि फेड ने उधारी लागत बढ़ा दी है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने गुरुवार को करीब 4,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, वहीं देसी संस्थानों ने 2,528 करोड़ रुपये की खरीदारी से सहारा दिया।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का शेयर कंपनी के इस खुलासे के बाद 6.4 फीसदी टूट गया कि वह निजी क्षेत्र के आरबीएल बैंक में अल्पांश हिस्सेदारी ले रही है। कंपनी का शेयर 6.4 फीसदी टूटकर 1,447 रुपये पर बंद हुआ, जो तीन साल की सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले 21 अप्रैल, 2020 को सबसे बड़ी गिरावट आई थी।
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एनएसई पर 1,730 करोड़ रुपये के शेयरों का लेनदेन हुआ जबकि बीएसई पर भी सामान्य के मुकाबले 10 गुना शेयरों का कारोबार हुआ। कंपनी ने कहा, हमने आरबीएल बैंक की 3.53 फीसदी हिस्सेदारी 417 करोड़ रुपये में ली है और हम आगे और निवेश पर विचार कर सकते हैं, पर किसी भी स्थिति में हिस्सेदारी 9.9 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी।
बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि निवेशक सामान्य तौर पर असंबद्ध कारोबार में कंपनियों के निवेश को पसंद नहीं करते। आरबीएल का शेयर 2.3 फीसदी की गिरावट के साथ 232.6 रुपये पर बंद हुआ और कंपनी का मूल्यांकन करीब 13,950 करोड़ रुपये रहा।