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सेबी की बड़ी कार्रवाई, CERC अधिकारियों पर नीति लीक का आरोप; 173 करोड़ की अवैध कमाई जब्त

भेदिया कारोबार में 173 करोड़ रुपये का यह आदेश नियामक का सबसे बड़ा और सबसे तेज कदम

Last Updated- October 16, 2025 | 9:41 PM IST
SEBI IEX Insider Trading case

IEX Insider Trading Case: इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) के शेयरों में कथित भेदिया कारोबार के मामले में आठ व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अंतरिम आदेश से कई मिसाल कायम हुई हैं। यह सबसे बड़ी और सबसे तेज कार्रवाई तो है ही, इसकी संभावित आंच बिजली नियामक के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच गई है।

15 अक्टूबर को जारी 45 पृष्ठ के आदेश में सेबी ने केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) के वरिष्ठ अधिकारियों और नौकरशाही से जुड़े आठ व्यक्तियों से 173 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त करने का निर्देश दिया। नियामक ने आरोप लगाया कि उन्होंने एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत घोषणा से पहले अंदरूनी सूचना के आधार पर मंदी की पोजीशन लीं, जिससे आईईएक्स के शेयर की कीमत में करीब 30 फीसदी की गिरावट आई। आईईएक्स के अनुबंधों का कारोबार डेरिवेटिव सेगमेंट में भी होता है। ये सौदे जुलाई में किए गए थे और बाद में सेबी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सितंबर में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया।

बताया जाता है कि जांचकर्ताओं ने घोषणा और उनके पुट-ऑप्शन सौदों के आसपास के समय केंद्रित कारोबारी गतिविधियों के आधार पर इन व्यक्तियों की पहचान की। एक महीने के भीतर नियामक ने संदेशों (यहां तक कि ज्योतिषी और मुख्य अभियुक्तों के बीच के संदेश भी) और सबूतों का विश्लेषण किया और मुखबिरों और ट्रेडरों के बीच सांठगांठ साबित की, जिससे भेदिया कारोबार का पता चला।

कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि यह असामान्य मामला है क्योंकि इससे सीईआरसी के वरिष्ठ अधिकारियों की आचार संहिता पर भी सवाल उठते हैं। सेबी ने आरोप लगाया कि आयोग के अर्थशास्त्र विभाग की प्रमुख योगिता एस. मेहरा और उप-प्रमुख गगन दीवान ने 23 जुलाई को सीईआरसी की नीतिगत घोषणा से पहले मार्केट कपलिंग पर गोपनीय जानकारी साझा की थी।

सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कीमत के प्रति संवेदनशील अप्रकाशित जानकारी (यूपीएसआई) रखने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रखने के लिए डिजिटल डेटाबेस रखना आवश्यक है। हालांकि यह शर्त नियामकीय संस्थाओं पर लागू नहीं होती है, जिससे यह अस्पष्ट क्षेत्र बन जाता है।

माइंडस्प्राइट लीगल के संस्थापक पार्टनर आदित्य भंसाली ने कहा, यहां यूपीएसआई एक सरकारी नीति से संबंधित है जो पूरे उद्योग को प्रभावित करती है। यह आम भेदिया कारोबार के मामलों के विपरीत है जिनमें ऐसी जानकारी एक या दो फर्मों को प्रभावित करती है। उन्होंने चेतावनी दी कि नीतिगत निर्णयों को यूपीएसआई के रूप में वर्गीकृत करने से अनपेक्षित परिणामों के साथ एक चिंताजनक मिसाल कायम हो सकती है।

विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अंतरिम आदेश फिलहाल केवल आठ ट्रेडरों पर लागू हुआ है ताकि यह सुनिश्चित हो कि उनका लाभ नियामकीय पहुंच के भीतर ही रहे। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने अपने आदेश में कहा, अगर कुछ व्यक्ति बाजार में सूचना संबंधी गड़बड़ी पैदा करते हैं तो इससे निवेशकों का विश्वास घट सकता है और बाजार की मजबूती खतरे में पड़ सकती है।

असाही लीगल के मैनेजिंग पार्टनर अमित तुंगारे ने कहा, मौजूदा कानूनों के तहत यूपीएसआई की सूचना की जिम्मेदारी के लिए व्यक्तिगत ट्रेडिंग की जरूरत नहीं है और नियमन 3(2), धारा 12ए और विभागीय अनुशासनात्मक नियमों के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो और वित्त मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी से जुड़े 2017 के एक मामले का हवाला दिया, जिसमें यह स्थापित किया गया था कि ट्रेडिंग के इरादे से किए गए पॉलिसी लीक के मामले में नियामक और जांच एजेंसियां संयुक्त कार्रवाई कर सकती हैं।

तुंगारे ने कहा, हालांकि यह मामला भ्रष्टाचार की जांच से सामने आया था। लेकिन इसने इस सिद्धांत को मजबूत किया कि बाजार से जुड़ी संवेदनशील जानकारी लीक करने वाले सरकारी लोगों को आपराधिक और बाजार दोनों तरह के नतीजों का सामना करना पड़ता है।

किसी भी आंतरिक जांच के बारे में सीईआरसी चेयरमैन को ईमेल से भेजे गए प्रश्नों का कोई जवाब नहीं आया। दोनों अधिकारियों से उनके आधिकारिक संपर्क विवरण के ज़रिए संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।

किंग स्टब ऐंड कासिवा में एसोसिएट पार्टनर आतिरा टीएस ने कहा, सेबी का आदेश मामले के लाभार्थियों के बारे में बताता है, लेकिन असल परीक्षा इस बात की है कि सूचना के स्रोत के खिलाफ सिस्टम कैसे काम करता है। उन्होंने कहा, यह मामला एक मिसाल कायम कर सकता है, जहां बाजार के प्रति संवेदनशील सूचनाओं के मामलों में गोपनीयता भंग करने के लिए बाजार के प्रतिभागियों और सरकारी अधिकारियों दोनों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

First Published - October 16, 2025 | 9:34 PM IST

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