भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि रिजर्व बैंक की विभिन्न पहलों के जरिए सीमापार डिजिटल भुगतान सहयोग बढ़ रहा है। रिजर्व बैंक की सीमा पार की विभिन्न पहलों में अन्य देशों के त्वरित भुगतान प्रणालियों के साथ भारत की एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) को जोड़ना, यूपीआई क्यूआर कोड से मर्चेंट भुगतान को युक्त बनाना और भागीदारी देशों में यूपीआई जैसी सॉवरिन भुगतान मंच शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों की बदौलत सीमा पार व्यापार और भुगतान को बढ़ावा मिलेगा। इससे दक्षता व ग्राहक अनुभव बेहतर होने के साथ लागत घटेगी।
मल्होत्रा ने वॉशिंगटन डीसी में डिजिटल सार्वजनिक मंचों की बदौलत आर्थिक मजबूती बढ़ाने के उच्च स्तरीय संवाद में कहा था कि जब यूपीआई को अन्य त्वरित भुगतान प्रणालियों से जोड़ने की बात आती है तो भारत-सिंगापुर (यूपीआई-पेनाउ) लिंकेज लाइव है। गवर्नर ने बताया कि कई देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुस्तरीय स्तर पर कार्य जारी है।
उन्होंने बताया कि कई देशों के साथ सीमा पार मर्चेंट भुगतान कार्य कर रहे हैं। ऐसे भुगतान को अन्य बाजारों में भी शुरू करने के लिए प्रयास जारी हैं।
मल्होत्रा ने कहा, ‘भारत बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे डिजिटल पब्लिक प्लेटफॉर्म आर्थिक लाभ दे सकते हैं और हमारे नागरिकों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।’
भारत के डीपीपी में सलीके से बना ढांचा, डिजिटल बिल्डिंग ब्लॉक से परस्पर जुड़ी बहुस्तरीय प्रणाली है और इसे आधार के जरिए डिजिटल पहचान, यूपीआई से त्वरित भुगतान प्रणालियां और डेटा सक्षम और संरक्षण आर्किटेक्चर (डीईपीए) से सुरक्षित रूप से डेटा साझा करना शामिल है। मल्होत्रा ने डीपीपी बनाने के बारे में भारत की पहलों को भी उजागर किया।
विशिष्ट पहचान प्लेटफॉर्म आधार के 1.3 अरब इस्तेमालकर्ता है। प्लेटफॉर्म आधार के जरिए 56.6 करोड़ खाते खोले गए हैं और इनमें से 31.6 करोड़ खाते महिलाओं के हैं।