वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के कंपनी परिणाम आने के बाद एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस की एमडी और सीईओ विभा पडलकर ने आतिरा वारियर और सुब्रत पांडा से बीमा प्रीमियम पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की वापसी और इसे लेकर कंपनी की आगे की रणनीति पर बात की। प्रमुख अंशः
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में जीएसटी में कटौती व आईटीसी की वापसी ने कंपनी पर क्या असर डाला?
बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को हटाना शानदार प्रयास है। इससे भारतीयों में बीमा की जरूरत को बल मिलेगा। पर्याप्त बीमा के बगैर हम विकसित राष्ट्र नहीं बन सकते। लोगों के लिए बीमा का समग्र आकर्षण बढ़ना चाहिए। हालांकि अभी शुरुआती दौर है, लेकिन अगर मैं सितंबर में खुदरा सावधि बीमा में वृद्धि को देखूं तो यह 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। कुछ दबी हुई मांग भी हो सकती है। अगर यह रुझान जारी रहता है, बीमा की वृद्धि को बल मिलेगा। साफ है कि सरकार जो चाहती थी, वह हो रहा है।
जहां तक इनपुट टैक्स क्रेडिट का सवाल है, हमने अपनी पिछली बुक में पहले ही इंबेडेड वैल्यू पर 0.5 प्रतिशत असर का अनुमान लगाया है, जो करीब 260 करोड़ रुपये है। आगे चलकर अगर नए कारोबार के संदर्भ में देखें तो कुछ तिमाही में यह बेअसर हो जाएगा। हमने इसे बेअसर करने की दिशा में काम करने के उपाय खोज लिए हैं।
उनमें से एक वितरकों का कमीशन घटाना है?
हां, उनमें से एक वितरकों का कमीशन को कम करना शामिल है। हम उत्पाद मिश्रण को बेहतर बनाने पर भी विचार कर रहे हैं कि कैसे हम अधिक लाभदायक पॉलिसियां ला सकते हैं, कैसे हम अपनी लागत कम कर सकते हैं। यह 4 या 5 वहजों से है और हमें इसके समाधान का भरोसा है। मसला सिर्फ इतना है कि इस तिमाही में हमारे मार्जिन पर 50 आधार अंक असर पड़ा है। हमें इसके मुताबिक कदम उठाने के लिए कम वक्त मिला, इसलिए ऐसा हुआ। हमारे पास प्रतिक्रिया देने के लिए एक महीने से भी कम समय था। ।
आईटीसी के असर को कम करने के लिए उत्पाद मिश्रण में किस तरह के बदलाव के बारे में सोच रही हैं?
खुदरा सुरक्षा महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है। हम अधिक खुदरा सुरक्षा उत्पाद और अधिक राइडर बेचेंगे। हम क्रेडिट लाइफ पर अपना ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे। एमएफआई पोर्टफोलियो और समग्र उधारी पर दबाव के बाद बेहतर संकेत नजरआने लगे हैं। क्रेडिट लाइफ में लगभग 15 प्रतिशत वृद्धि हुई है। यह बरकरार रहने की उम्मीद है और थोड़ी बढ़ भी सकती है। ये सब मार्जिन के चालक हैं व इनके बेहतर काम करने की उम्मीद है।
क्या पॉलिसियों के मूल्य निर्धारण में कोई बदलाव नहीं होगा?
नहीं। हमने सरकार को आश्वासन दिया है कि हम सभी लाभ ग्राहकों को देंगे और हम वही कर रहे हैं।
इस तिमाही में आपकी निवेश पर आमदनी काफी कम हुई है?
काफी हद तक शेयर बाजारों की वजह से गिरावट आई, जो उल्लेखनीय रूप से गिरे हैं।
आगे चलकर मार्जिन कैसा रहेगा?
दूसरी तिमाही में मार्जिन 100 आधार अंक बढ़ा, जो जीएसटी के कारण अप्रभावी हो गया। मैंने पहले संकेत दिया था कि मार्जिन 25.6 प्रतिशत की सीमा में रहेगा, जिसका हमने पिछले साल उल्लेख किया था। लेकिन अब जीएसटी का प्रभाव है। हालांकि वित्त वर्ष 2026 समाप्त होने पर जीएसटी का प्रभाव बेअसर हो जाना चाहिए।
क्या जीएसटी कटौती की भरपाई ज्यादा बिक्री से हो पाएगी?
ऐसा होना चाहिए। लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा। बीमा में जागरूकता, पहुंच और वहनीयता महत्त्वपूर्ण है। सरकार ने कीमतों में कटौती करके पहले ही वहनीयता बढ़ाई है। जागरूकता पैदा करने की जरूरत है कि बीमा बहुत सस्ता है। इसमें कुछ वक्त लगेगा।
क्या बीमा क्षेत्र में बदलाव का दौर पूरा हो चुका है?
बिल्कुल। वित्त मंत्री ने उल्लेख किया है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के मामले में उन्होंने लगभग सभी बदलाव कर लिए हैं।