विदेशी ब्रोकरेज फर्में भारतीय इक्विटी बाजारों की आगामी राह को लेकर सतर्क बनी हुई हैं। हालांकि नोमूरा के विश्लेषकों ने अपने मार्च 2026 के निफ्टी लक्ष्य को पहले के 24,970 के स्तर से संशोधित कर 26,140 कर दिया है, लेकिन मौजूदा स्तरों से यह मामूली 6 प्रतिशत की वृद्धि है। दूसरी ओर, बोफा सिक्योरिटीज ने अपने वर्ष के अंत के निफ्टी लक्ष्य में कोई बदलाव नहीं किया है।
नोमूरा का कहना है कि निफ्टी 20.5 गुना एक वर्षीय आगामी आय पर कारोबार कर रहा है, जो पिछले तीन वर्षों के दौरान उसके कारोबारी दायरे की ऊपरी सीमा के नजदीक है।
नोमूरा में भारत के लिए इक्विटी शोध प्रमुख एवं प्रबंध निदेशक सायन मुखर्जी ने अमलान ज्योति दास के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट में लिखा है, ‘हालांकि, अर्निंग यील्ड और बॉन्ड यील्ड के बीच -1.4 प्रतिशत का अनुकूल अंतर (जो पिछले चार वर्षों में प्रचलित सीमा के उच्च स्तर पर है) आरामदायक है। वित्त वर्ष 2027 की आय के 21 गुना पीई के आधार पर हमने अपना मार्च 2026 का निफ्टी लक्ष्य 26,140 तय किया है।’
बोफा सिक्योरिटीज के विश्लेषक भी कमजोर वैश्विक वृहद हालात की वजह से अल्पावधि के लिहाज से बाजारों पर सतर्क बने हुए हैं।
बोफा सिक्योरिटीज में इंडिया इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट अमीश शाह ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘ताजा तेजी को देखते हुए, हमें निफ्टी के लिए वर्ष के अंत के लक्ष्य 25,000 में वृद्धि की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। अल्पावधि में, धीरे-धीरे, हमें सात उभरते जोखिम दिखते हैं जो हमें निफ्टी / लार्जकैप पर सतर्क करते हैं और हम बाजारों पर मंदी का रुख बरकरार रखे हुए हैं।’बोफा सिक्योरिटीज ने कहा कि बाजार अब भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को ज्यादा महत्व दे रहे हैं, जिससे भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थानांतरित करने का एक महत्वपूर्ण लाभार्थी बन गया है। हालांकि, चल रहे व्यापार युद्ध के बीच किसी भी संभावित वैश्विक मंदी का अभी असर नहीं दिखा है।
बोफा का कहना है कि घरेलू और विदेशी, दोनों के संबंध में इक्विटी बाजारों के लिए निवेश प्रवाह जोखिमपूर्ण बना हुआ है। डीआईआई प्रवाह आने वाले महीनों में अस्थिर रह सकता है और कमजोर भी हो सकता है। आंकड़े से पता चलता है कि घरेलू प्रवाह अक्टूबर 2024 में 8.6 अरब डॉलर की ऊंचाई पर था और उसके बाद से अप्रैल 2025 में नरम पड़कर 6.1 अरब डॉलर रह गया।
एक रणनीति के रूप में, नोमूरा वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए निर्यातकों की तुलना में घरेलू-केंद्रित क्षेत्रों को पसंद करता है और निवेश थीमों की तुलना में खपत पर जोर देता है। नोमूरा ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण निवेश चक्र में देरी होने की आशंका है।
ऑटो, फार्मास्युटिकल्स/केमिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक सेगमेंट जैसे सप्लाई-चेन रीलोकेशन थीम उनके पसंदीदा क्षेत्र हैं। फाइनैंशियल, कंज्यूमर स्टेपल्स, ऑटो, डिस्क्रेशनरी, तेल और गैस, पावर, टेलीकॉम, इंटरनेट, रियल एस्टेट और चुनिंदा घरेलू हेल्थकेयर क्षेत्र उनके कुछ अन्य प्रमुख दांव हैं।
मुखर्जी ने लिखा है, ‘इंडस्ट्रियल में, हम उन कंपनियों पर सकारात्मक हैं जो पावर सेक्टर में निवेश पर जोर दे रही हैं। हम निर्यात क्षेत्रों और पूंजीगत थीमों पर सतर्क हैं। इनमें आईटी सेवाएं, इंडस्ट्रियल, सीमेंट और धातुएं शामिल हैं।’