प्राथमिक बाजारों को बढ़ावा देने की खातिर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और बैंकों द्वारा दिए जाने वाले शेयरों के बदले कर्ज की सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव की घोषणा की। इस कदम से धनाढ्य निवेशकों (एचएनआई) की ज्यादा सहभागिता को बढ़ावा मिलने और प्राथमिक बाजार में उनकी भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।
आईपीओ के वित्तपोषण के लिए कर्ज की सीमा प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, शेयर के बदले कर्ज की सीमा 20 लाख रुपये से बढ़कर 1 करोड़ रुपये हो जाएगी। रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (इनविट) की इकाइयों के लिए भी सीमाएं बढ़ाई जाएंगी।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, शेयरों के बदले कर्ज और आईपीओ वित्तपोषण पहले से ही मौजूद थे, लेकिन कई वर्षों तक इनमें संशोधन नहीं किया गया। यह स्वाभाविक है कि इन सीमाओं में इजाफा किया जाए।
डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली की जोखिम-प्रबंधन क्षमता समय के साथ बेहतर हुई है और आवश्यक प्रावधान मौजूद हैं। उन्होंने कहा, शेयरों के बदले कर्ज की सीमा में पिछली बार संशोधन 1998 में किया गया था, इसलिए मुद्रास्फीति को देखते हुए यह वृद्धि बहुत महत्वपूर्ण नहीं है।
आरबीआई बुलेटिन के अनुसार, जुलाई 2025 तक शेयरों और बॉन्ड के बदले लोगों को बैंकों द्वारा दिया गया अग्रिम 9,730 करोड़ रुपये था जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने दिसंबर 2024 तक 22,432 करोड़ रुपये दिए थे।
आरबीआई ने सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों पर कर्ज देने की नियामक सीमा हटाने का भी प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा, वह पूंजी बाजार मध्यस्थों को कर्ज देने के लिए सिद्धांत-आधारित ढांचा पेश करने की योजना बना रहा है।
इन उपायों से विशेष रूप से छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे अंततः पूंजी बाजार की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज की निदेशक (इक्विटी रणनीतिकार) क्रांति बथिनी ने कहा, प्राथमिक बाजार में हाल ही में तेजी देखी गई है। आईपीओ वित्तपोषण से आगामी आईपीओ को आवश्यक पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी, जिससे पूंजी बाजार को एक नई रफ्तार मिलेगी।
आरबीआई के ये कदम ऐसे समय में आए हैं जब प्राथमिक बाजार में गतिविधियों में तेजी आने वाली है। टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के मेगा आईपीओ आने वाले हफ्ते में बाजार में आने वाले हैं और ये 1 अरब डॉलर से ज्यादा के हैं। आईपीओ वित्तपोषण से एचएनआई श्रेणी में आवेदन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
धनलैप के सीईओ सी.आर. चंद्रशेखर ने कहा कि एनबीएफसी को शेयरों के बदले हालांकि ऋण देने में फिलहाल ऐसी कोई सीमा का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन आरबीआई की घोषणा से बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा, चूंकि बैंकों के लिए शेयरों के बदले कर्ज देने की सीमा 20 लाख रुपये थी, इसलिए ज्यादातर एचएनआई ग्राहक बैंकों के पास नहीं जाते थे। वे आज तक ऋण के लिए एनबीएफसी के पास जाते थे। उन्होंने कहा कि यह सुविधा उन कुछ ग्राहकों के लिए दूसरा विकल्प हो सकती है, जो ब्रोकरों से मार्जिन फंडिंग का इस्तेमाल करते हैं और ऐसा तब होता है जब वे निवेश के अवसरों के लिए अपने शेयरों का लाभ उठाना चाहते हैं।
उद्योग विशेषज्ञ बताते हैं कि आरबीआई के नियमों के तहत ऋण आमतौर पर इक्विटी शेयरों के मूल्य का केवल 50 फीसदी ही कवर करते हैं। बैंक और एनबीएफसी गिरवी रखे गए शेयरों को अपने नाम पर रखते हैं और ऋण चुकाने के बाद उन्हें वापस कर देते हैं। ऋण अवधि के दौरान ग्राहक अपने शेयर नहीं बेच सकते, लेकिन उन्हें लाभांश सहित सभी कॉरपोरेट लाभ मिलते रहते हैं।