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धन वापसी के कारण शुद्ध FDI में तेज गिरावट, भारत में सकल FDI में 14% की बढ़ोतरी

इस महीने की शुरुआत में जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में शुद्ध एफडीआई की आवक घटकर 0.4 अरब डॉलर रह गई है।

Last Updated- June 06, 2025 | 10:23 PM IST
FDI
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

वित्त वर्ष 2025 के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में तेज गिरावट धन वापस अपने देश भेजने की वजह से आई है। यह परिपक्व बाजार का संकेत है, जिसमें निवेशक आसानी से बाजार में कदम रख सकते और निकल सकते हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति के फैसलों की घोषणा करते हुए यह बात कही।

इस महीने की शुरुआत में जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में शुद्ध एफडीआई की आवक घटकर 0.4 अरब डॉलर रह गई है जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 10.1 अरब डॉलर थी। सकल एफडीआई की आवक मजबूत बनी हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में यह 14 प्रतिशत बढ़कर 81 अरब डॉलर हो गया है जो एक साल पहले 71.3 अरब डॉलर था।

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मल्होत्रा ने कहा, ‘यह बताना मुनासिब है कि (शुद्ध एफडीआई में) यह कमी धन वापस भेजने में इजाफा और शुद्ध रूप से विदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि के कारण है, जबकि सकल एफडीआई वास्तव में 14 प्रतिशत बढ़ा है। अपने देश में धन वापस ले जाने में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत है जहां विदेशी निवेशक आसानी से बाजार में प्रवेश कर सकते और निकल सकते हैं, जबकि उच्च सकल एफडीआई इंगित करता है कि भारत लगातार आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है।’

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उन्होंने कहा कि बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) और प्रवासी भारतीयों की जमा में शुद्ध आवक पिछले के वित्त वर्ष की तुलना में अधिक रही है। भारत में ईसीबी से शुद्ध आवक वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 18.7 अरब डॉलर हो गई है, जो एक साल पहले 3.6 अरब डॉलर थी। अप्रैल 2025 में शुद्ध ईसीबी बढ़कर 2.8 अरब डॉलर हो गई जो पिछले वर्ष 0.5 अरब डॉलर थी। वित्त वर्ष 2024-25 में प्रवासी जमा बढ़कर 16.2 अरब डॉलर हो गई है जो एक साल पहले 14.7 अरब डॉलर थी। उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर भारत का बाहरी क्षेत्र मजबूत बना हुआ है और प्रमुख बाहरी क्षेत्र के उतार-चढ़ाव वाले संकेतकों में सुधार जारी है। हमें भरोसा है कि हम अपनी बाहरी विदेशी वित्तपोषण की जरूरतें पूरी कर लेंगे।’ वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश  तेजी से गिरकर 1.7 अरब डॉलर रह गया है क्योंकि शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुनाफावसूली की है।

First Published - June 6, 2025 | 10:14 PM IST

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