भारतीय जनता पार्टी के रविवार को जारी संकल्प पत्र से शेयर बाजार को और मजबूती मिलने की उम्मीद की जा रही है। इसमें कारोबार के लिहाज से देखें तो दूरसंचार, विमानन, रेलवे, रक्षा, सौर ऊर्जा, कृषि-खेती, स्वास्थ्य, एमएसएमई, शिक्षा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों के लिए कई उपायों का ऐलान किया गया है। ज्यादातर विश्लेषक यह मानकर चल रहे हैं कि भाजपा फिर से सत्ता में वापसी करेगी और इस वजह से उसके संकल्प पत्र को देश की भविष्य की अर्थव्यवस्था का संकेत माना जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि अगर भाजपा फिर सत्ता में आई तो शेयर बाजार में भी ‘अमृतकाल’ आ जाएगा, हालांकि इजरायल-ईरान जंग जैसे भू-राजनीतिक मसलों को देखते हुए निवेशकों को सचेत रहने की भी सलाह दी जा रही है।
भाजपा के संकल्प पत्र में कहा गया है, ‘अगले पांच वर्षों में हम देश को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था में शामिल करने की ओर ले जाएंगे। इसके लिए गरीबी के खिलाफ अंतिम निर्णायक लड़ाई की शुरुआत की जाएगी, विभिन्न क्षेत्रों में वृदि्ध के नए अवसर खोले जाएंगे और हम भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करेंगे। सुधारों के नई पीढ़ी की शुरुआत की जाएगी और कई जनोन्मुखी कदम उठाए जाएंगे।’
जानकारों का कहना है कि भाजपा ने जिन उपायों की घोषणा की है, अगर उन पर अमल हुआ तो इससे उन सभी सेक्टर के शेयरों को काफी तेजी मिलेगी जिनमें सुधारों का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि इनका पूरा फायदा उठाने के लिए निवेशकों को लंबा इंतजार करना होगा।
जानकार ये भी कहते हैं कि प्रस्तावित उपाय इस पर निर्भर करते हैं कि चुनावों का नतीजा क्या होता है और अगर भाजपा फिर से सत्ता में आती है तो उसे कुल कितनी सीटें मिलती हैं।
इसके अलावा ज्यादातर प्रस्तावों पर अमल में समय लगने वाला है, लेकिन इनका पूरा फायदा कंपनियों के राजस्व में दिखेगा। इस तरह एक समय के बाद इनका शेयर कीमतों पर भी असर दिख जाएगा।
शेयर बाजार के स्वतंत्र विश्लेषक अम्बरीश बालिगा कहते हैं, ‘बाजारों को इसको लेकर कोई संदेह ही नहीं है कि भाजपा या राजग सरकार में आएगी।
अगर संकल्प पत्र/घोषणापत्र की बात करें इसमें कई ऐसे क्षेत्रों पर जोर दिया गया है जो भारत को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था में शामिल करने के लिहाज से सही रणनीति हो सकती है। लेकिन इनका फायदा तत्काल नहीं मिलने वाला है, क्योंकि इन उपायों को लागू करने में समय लगेगा और इनका लाभ धीरे-धीरे मिलेगा। इसलिए निवेशकों को शेयर या क्षेत्र आधारित रणनीति अपनानी चाहिए और दीर्घकालिक लिहाज से खरीदारी करनी चाहिए।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में लोक सभा में मौजूदा कार्यकाल के अपने अंतिम भाषण में कहा था कि 2024 के चुनाव में भाजपा को 370 सीट और राजग को कुल 405 सीट पर जीत मिल सकती है।
इस बीच शेयर बाजार मार्च 2024 के अपने निचले स्तर से पलटी मार चुका है। बीएसई सेंसेक्स चुनाव से पहले की तेजी के दौर में 3 फीसदी से ज्यादा चढ़कर पहली बार 75 हजार के पार हुआ।
विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को यह भी उम्मीद है कि मार्च 2024 की तिमाही के लिए कंपनियों के नतीजे उम्मीद से बेहतर आ सकते हैं, इस वजह से भी शेयर बाजार को मजबूती मिली है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के शोध प्रमुख गौतम दुग्गड़ ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव 2024 के बाद राजनीतिक निरंतरता की उम्मीदों से समग्र आर्थिक गति को और बढ़ावा मिलना चाहिए, जिसमें बुनियादी ढांचे, पूंजीगत व्यय और विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अपने आकार और विकास के साथ, भारत का पूंजी बाजार वास्तव में आगे चलकर अमृतकाल को अपनाने के लिए तैयार हैं।’
लेकिन भू-राजनीतिक तनाव, खासकर ईरान-इजरायल के बीच गतिरोध को देखते हुए निवेशकों को सचेत भी रहना होगा। सप्ताहांत में ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया और इससे दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है, इससे क्षेत्रीय जंग का खतरा बढ़ गया है।
जानकारों का मानना है कि इससे कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं, जिनका आखिरकार शेयर बाजारों पर नकारात्मक असर होगा। इस साल यानी 2024 में ही अब तक ब्रेंट क्रूड 16 फीसदी से ज्यादा उछलकर 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच चुका है।
बालिगा भी चेताते हैं, ‘तेल की कीमतों पर गहरी नजर रखनी होगी। अगर जंग बढ़ती है और लंबा खिंचती है तो देश में चुनाव नतीजों को लेकर जो कुल मिलाकर सकारात्मक माहौल बन रहा है, (अल्पावधि में) उस पर अंकुश लग सकता है।’