नियमन में बदलाव के लिए रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (रीट्स) नियामकीय निकायों सेबी और आरबीआई के साथ बातचीत कर रहे हैं जिससे कि पूंजी तक उनकी आसान पहुंच आसान हो सके। उद्योग निकाय द इंडियन रीट्स एसोसिएशन ने कहा है कि इक्विटी परिसंपत्ति के तौर पर वर्गीकृत करवाने के लिए उसने बाजार नियामक से संपर्क किया है।
इससे इक्विटी सूचकांकों में उनके प्रवेश की राह खुलेगी और म्युचुअल फंडों भी आसानी से निवेश कर सकेंगे। एसोसिएशन आरबीआई के साथ भी सक्रियता से चर्चा कर रहा है ताकि बैंकों को रीट्स को उधार देने की इजाजत मिले। अभी वे ज्यादातर उधारी बॉन्डों के जरिये या एनबीएफसी से जुटाते हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों से उधारी मिलने पर उन्हें उधारी लागत घटाने में मदद मिलेगी।
एम्बेसी रीट के सीईओ और इंडियन रीट्स एसोसिएशन के चेयरपर्सन अरविंद मैया ने कहा कि हमारे एजेंडे में तीन मसले हैं। पहला, आरबीआई के साथ बातचीत करके रीट्स के लिए बैंकों से उधारी हासिल करना और दूसरा, इक्विटी वर्गीकरण पर स्पष्टता। इसके बाद नकदी में इजाफे के लिए सूचकांकों में उन्हें भी शामिल किया जाए।
तीसरा, निवेशकों के शिक्षित करना। इंडियन रीट्स एसोसिएशन के कार्यक्रम में अधिकारियों ने कहा कि रीट्स को इक्विटी के तौर पर वर्गीकृत करने से निवेशकों के सामने ज्यादा स्पष्टता होगी और ऐक्टिव व पैसिव म्युचुअल फंडों के जरिये निवेश का नया रास्ता भी खुलेगा।
ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट ट्रस्ट के एमडी व सीईओ आलोक अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक स्तर पर रीट्स को आमतौर पर इक्विटी के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। वहां तिमाही या छमाही भुगतान होता है लेकिन यह अंतर्निहित परिसंपत्तियों के प्रदर्शन पर निर्भर होता है। साथ ही पूंजी में भी इजाफा होता है। यह एक तरह से इक्विटी की तरह ही है। इसलिए रीट्स को इक्विटी के तौर पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
अभी ऐक्टिव फंड योजनाओं को रीट्स व इनविट्स में निवेश को लेकर कुछ छूट मिली हुई है। ऐसी कई योजनाएं हैं जिनमें इन परिसंपत्ति वर्गों के कुल कोष का 10 फीसदी तक निवेश का प्रावधान है। नवगठित एसोसिएशन ने कहा कि उसका इरादा प्रसार व निवेशकों की जागरूकता को लेकर एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) की तरह भूमिका निभाने का है।
आईआरए को म्युचुअल फंड के 4 करोड़ निवेशकों का आधार भी अपने लिए बाजार नजर आ रहा है। अभी करीब 2 लाख रीट्स निवेशक हैं। नेक्सस सलेक्ट ट्रस्ट के सीईओ दलीप सहगल ने कहा कि म्युचुअल फंडों के 4 करोड़ से ज्यादा निवेशकों के समूह को देखते हुए कोई वजह नजर नहीं आती कि रीट्स के निवेशकों की संख्या आगामी वर्षों में काफी ज्यादा क्यों नहीं बढ़ सकती।
भारत में रीट्स शैशवावस्था में है। पहले रीट की लिस्टिंग 2019 में हुई। अभी चार रीट्स ब्रुकफील्ड इंडिया, एम्बेसी, माइंडस्पेस बिजनेस पार्क्स और नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट सूचीबद्ध हैं। आईआरए ने अपने प्रेजेंटेशन में कहा है कि भारतीय रीट बाजार ने साल 2019 में पहली सूचीबद्धता के बाद से काफी वृद्धि दर्ज की है और उसकी सकल तौर पर 1.3 लाख करोड़ रुपये की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां हैं और बाजार पूंजीकरण 85,000 करोड़ रुपये व देश भर में ग्रेड ए ऑफिस व रिटेल के तहत 11.5 करोड़ वर्गफुट का पोर्टफोलियो है।