NFO Alert: आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड (ICICI Prudential Mutual Fund) सेक्टोरल कैटेगरी/थिमैटिक कैटेगरी में कांग्लोमरेट थीम पर ICICI Prudential Conglomerate Fund लेकर आया है। यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है। इसका सब्सिक्रप्शन 3 अक्टूबर से खुल गया है और 17 अक्टूबर 2025 को बंद होगा। इस स्कीम में निवेश का दायरा करीब 71 कांग्लोमरेट ग्रुप्स हैं, जो अलग-अलग सेक्टर्स में काम कर रही करीब 240 कंपनियों को कवर करेगा।
म्यूचुअल फंड हाउस के मुताबिक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल कांग्लोमरेट फंड में NFO (न्यू फंड ऑफर) के दौरान न्यूनतम निवेश राशि 1,000 रुपये है। इस ऑफर के लिए बेंचमार्क BSE सेलेक्ट बिजनेस ग्रुप्स इंडेक्स होगा। इस स्कीम में सभी तरह की मार्केट कैपिटलाइजेशन (लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप) में निवेश करने की फ्लैक्सिबिलिटी है। इस स्कीम का प्रबंधन ललित कुमार करेंगे।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ED) और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO), शंकरन नरेन के मुताबिक, भारत के बड़े बिजनेस समूहों ने दशकों से खुद को काफी बदला है। चाहे वह ऑर्गेनाइज्ड रिटेल की शुरुआत करना हो, दूरसंचार को बदलना हो, या फिर रिन्यूएबल एनर्जी और सेमीकंडक्टर जैसे भविष्य के लिए तैयार सेक्टर में प्रवेश करना हो। इन कंपनियों ने हमेशा बड़े पैमाने के साथ दूरदर्शिता और मजबूती के साथ फ्लैक्सिबिलिटी दिखाया है।
नरेन के मुताबिक, इस फंड के जरिए हम बड़े बिजनेस समूहों की उसी ताकत को पकड़ना चाहते हैं और निवेशकों को एक ऐसा थीम देना चाहते हैं, जो भारत की बदलती ग्रोथ स्टोरी को दर्शाता है।
दरअसल, कांग्लोमरेट ग्रुप्स वे प्रमोटर-लेड बिजनेस ग्रुप्स होते हैं, जिनका मुख्यालय भारत में है और जिनकी कम से कम दो या उससे ज्यादा लिस्टेड कंपनियां अलग-अलग सेक्टर/इंडस्ट्री में होती हैं। मजबूत प्रमोटर्स और डाइवर्सिफाइड बिजनेस के दम पर ये ग्रुप आर्थिक मंदी (डाउन साइकिल) को संभालने, नए-उभरते सेक्टर में विस्तार करने और अलग-अलग सेक्टर में अवसरों का लाभ उठाने की स्थिति में रहते हैं।
ICICI Pru MF की कांग्लोमरेट थीम वाली स्कीम उन प्रमोटर वाले समूहों में निवेश करेगी, जिनके कम से कम 2 लिस्टेड कंपनियां अलग-अलग सेक्टर/इंडस्ट्री में हों। यह स्कीम करीब 71 कांग्लोमरेट समूहों में निवेश करेगी और इसमें अलग-अलग सेक्टर्स की करीब 240 कंपनियां कवर होंगी।
म्यूचुअल फंड हाउस का कहना है कि वैश्विक चुनौतियां जैसेकि टैरिफ, सप्लाई चेन में दिक्कतें और महंगा कर्ज का असर ग्रोथ पर असर हो रहा है। साथ ही महंगाई भी बढ़ा रही है। ऐसे में बड़े बिजनेस समूह इस दबाव को आसानी से झेल पाते है। इन समूहों का मार्केट शेयर लगातार बढ़ रहा है।
फंड हाउस का कहना है कि बड़े बिजनेस समूहों (कांग्लोमरेट) के बुनियादी संरचना दमदार होगी है। इनमें मजबूती और ग्रोथ दोनों का बेहतर मिक्स होता है। इन बड़े समूहों के पास ज्यादा ऑपरेटिंग कैश फ्लो होता है, जिससे कैपिटल एक्सपेंडिचर और वर्किंग कैपिटल की जरूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं। साथ ही इनकी क्रेडिट रेटिंग दमदार होती है जिससे इन्हें जरूरत पर किफायती और आसान लोन मिल जाता है।
कांग्लोमरेट के पास संसाधनों की कमी नहीं रहती है। टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप और बड़े कस्टमर बेस के चलते इनकी लागत कमी हो जाती है। इसके अलावा, बड़े बिजनेस समूहों में अलग-अलग क्षेत्रों से रेवेन्यू आने के कारण ये मुश्किल बिजनेस साइकिल्स को आसानी से पार कर लेते हैं, कमजोर प्रतिद्वंद्वियों को खरीद लेते हैं और मंदी के दौरान भी अपना विस्तार करते हैं। साथ ही ये समूह तेजी से बढ़ते सेक्टर्स में विस्तार करते हैं। जैसेकि बड़े बिजनेस हाउस रिन्यूएबल एनर्जी, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे उभरते क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
(डिस्क्लेमर: यहां एनएफओ की जानकारी दी गई। ये निवेश की सलाह नहीं है। म्यूचुअल फंड में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)