पिछले छह महीनों में घरेलू म्युचुअल फंडों (एमएफ) की श्रेणियों में खास तौर से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) पर केंद्रित सेक्टर फंडों ने सबसे मजबूत रिटर्न दिया है। लेकिन ऐक्टिव बैंकिंग फंड निजी लेनदारों की ओर अधिक झुकाव के कारण काफी पिछड़ गए हैं।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले छह महीनों में ऐक्टिव बैंकिंग और वित्तीय सेवा फंडों का औसत रिटर्न 9.2 फीसदी रहा है जबकि निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में करीब 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
अधिकांश ऐक्टिव बैंकिंग और वित्तीय सेवा (बीएफएसआई) फंडों का बड़ा निवेश (50 फीसदी से ज्यादा ) निजी क्षेत्र के 4-5 अग्रणी लेनदारों में है क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र के लाभ के पूल में उनकी हिस्सेदारी ज्यादा है। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उनके बेंचमार्क में उनका भारांक ज्यादा है।
निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज इंडेक्स में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक और कोटक बैंक का करीब 70 फीसदी हिस्सा है। एसबीआई एकमात्र सरकारी बैंक है, जिसका इस इंडेक्स में 5 फीसदी से हिस्सा भारांश है। हालांकि ऐक्टिव फंडों के पास अपने पोर्टफोलियो स्वतंत्र रूप से बनाने की सुविधा होती है। फिर भी वे बेंचमार्क को ध्यान में रखते हैं क्योंकि उनके प्रदर्शन का आकलन इसी के आधार पर किया जाता है।
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बीएफएसआई योजनाओं के ज्यादातर डायरेक्ट प्लानों ने छह महीने की अवधि में इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है। निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज का कुल रिटर्न इंडेक्स छह महीनों में 7.17 फीसदी बढ़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी योजनाओं की विविधता वाली प्रकृति भी पीएसबी सूचकांकों के मुकाबले उनके प्रदर्शन में बड़े अंतर का एक कारण है।
आनंद राठी वेल्थ के संयुक्त सीईओ फीरोज अजीज ने कहा, ऐक्टिव बीएफएसआई फंड आमतौर पर अपना आवंटन निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों, बीमा और ब्रोकरेज फर्मों में करते हैं। इस कारण, भले ही पीएसयू बैंकिंग सेगमेंट ने मजबूत रिटर्न दिया हो, लेकिन बीएफएसआई फंड के प्रदर्शन पर इसका प्रभाव सीमित रहा।
वे यह भी उम्मीद करते हैं कि पीएसयू और निजी क्षेत्र के बैंकों के बीच निकट अवधि के प्रदर्शन का अंतर आगे चलकर कम हो जाएगा। वाटरफील्ड एडवाइजर्स में वरिष्ठ निदेशक और इक्विटी प्रमुख विपुल भोवार ने कहा, निजी बैंक फिर से चलने की स्थिति में हैं और मध्य अवधि में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
इसके अलावा, निजी बैंक बेहतर जमा फ्रैंचाइजी, विवेकपूर्ण परिसंपत्ति गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी अपनाने से परिचालन दक्षता प्रदर्शित करते हैं, जिससे वे आगामी विकास अवसरों का लाभ उठाने की स्थिति में हैं। शेयर बाजार के विश्लेषक ओम घावलकर ने कहा कि निजी बैंकों का परिदृश्य बेहतर हो रहा है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में तेजी का दौर थमता दिख रहा है।
उन्होंने कहा, हालांकि पीएसयू बैंकों ने परिसंपत्ति गुणवत्ता सुधार और सरकारी सुधारों का लाभ उठाते हुए 2025 में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। लेकिन 2026 में सेक्टर रोटेशन की संभावना है। निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकांक अपनी बहुवर्षीय तेजी के बाद अत्यधिक बढ़ा हुआ प्रतीत होता है, जिससे गिरावट का जोखिम बढ़ रहा है।