Gold ETF Return: सोने की कीमतों में पिछले एक साल से जारी तेजी ने गोल्ड ईटीएफ (Gold Exchange Traded Funds) की चमक को भी बढ़ा दिया है। पिछले एक साल में फिजिकल गोल्ड की कीमतों (physical gold price) में 45% से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इसका सीधा असर गोल्ड ईटीएफ के रिटर्न पर देखने को मिला है। बाजार में उपलब्ध सभी गोल्ड ईटीएफ ने पिछले एक साल में मिनिमम 35% का रिटर्न दिया है। सोने की बढ़ती चमक के चलते जनवरी महीने में गोल्ड ईटीएफ में रिकॉर्ड 3,751.42 करोड़ रुपये का इनफ्लो दर्ज किया गया, जो अब तक किसी भी एक महीने में गोल्ड ईटीएफ में हुआ सबसे बड़ा नेट इनफ्लो है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी का मुख्य कारण भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती, मुद्रास्फीति की चिंताएं और भारतीय रुपये की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोरी हैं।
Gold ETF के प्रदर्शन की बात करें, तो पिछले एक साल में सभी फंड ने 35% से ज्यादा का रिटर्न दिया है। इनमें UTI Gold Exchange Traded Fund ने सबसे ज्यादा 39.13% का रिटर्न दिया है। अगर किसी निवेशक ने एक साल पहले इस ETF में 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया है तो आज उसकी वैल्यू बढ़कर 1.39 लाख रुपये से ज्यादा है। टॉप 10 गोल्ड ईटीएफ का रिटर्न कुछ इस प्रकार रहा है…
S.NO | Gold ETF | 1 Year Return in % |
1 | UTI Gold ETF | 39.13 |
2 | LIC MF Gold ETF | 38.55 |
3 | HDFC Gold ETF | 38.29 |
4 | Axis Gold ETF | 38.01 |
5 | Invesco India Gold ETF | 37.94 |
6 | ICICI Prudential Gold ETF | 37.71 |
7 | Aditya Birla Sun Life Gold ETF | 37.61 |
8 | Kotak Gold ETF | 37.61 |
9 | SBI Gold ETF | 37.56 |
10 | Mirae Asset Gold ETF | 37.53 |
Source: Value Research (24 फरवरी की कीमतों के आधार पर)
गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड है, जो देश में सोने की कीमतों को ट्रैक करता है। यह एक पैसिव इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है, जो सोने की कीमतों (Gold Price) पर आधारित होता है और गोल्ड बुलियन (भौतिक सोने) में निवेश करता है। गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट 1 ग्राम सोने के बराबर होती है और इसे डीमैट (Demat) या पेपर फॉर्म में रखा जा सकता है। यह उच्च शुद्धता वाले फिजिकल गोल्ड से समर्थित होता है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने से निवेशकों को शेयर बाजार की तरह लचीलापन (Flexibility) मिलता है, साथ ही सोने में निवेश की सरलता भी बनी रहती है।
गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट किया जाता है और यह किसी भी कंपनी के स्टॉक की तरह ट्रेड होता है। इसे BSE और NSE के कैश सेगमेंट में खरीदा और बेचा जा सकता है, जैसे अन्य शेयरों की ट्रेडिंग होती है।
गोल्ड ईटीएफ में निवेश का मतलब है कि आप सोने को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में खरीद रहे हैं। इसे स्टॉक्स की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है, लेकिन रिडेम्पशन (निकासी) के समय फिजिकल गोल्ड नहीं, बल्कि कैश मिलता है।
गोल्ड ईटीएफ की ट्रेडिंग डीमैट अकाउंट और ब्रोकर्स के माध्यम से होती है, जिससे यह सोने में निवेश करने का एक सुविधाजनक तरीका बन जाता है। गोल्ड ईटीएफ की पारदर्शिता (Transparency) ज्यादा होती है क्योंकि इसकी कीमतें सीधे सोने की कीमतों से जुड़ी होती हैं। इसके यूनिक स्ट्रक्चर और क्रिएशन मैकेनिज्म के कारण फिजिकल गोल्ड की तुलना में गोल्ड ईटीएफ में निवेश का खर्च बहुत कम होता है।
आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अर्जुन गुहा ठाकुरता बताते हैं, “सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) सोने में निवेश करने का सबसे बेहतर (Tax Efficient) तरीका है। हालांकि, फरवरी 2024 के बाद SGBs जारी नहीं किए गए, जिसके बाद Gold ETFs सोने में निवेश का दूसरा सबसे बेहतर विकल्प बन गया है।”
1 अप्रैल 2023 के बाद Gold ETFs को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) का लाभ नहीं मिला, और अब एक साल के होल्डिंग के बाद निवेशक को इस पर अपने इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा। हालांकि, 1 अप्रैल 2025 से टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव होगा, जहां 12 महीने से ज्यादा होल्डिंग पर मिलने वाले लाभ पर 12.5% टैक्स लगेगा, लेकिन इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा। यह बदलाव Gold ETFs को अन्य एसेट क्लास के समान बनाएगा।
टैक्स में बदलाव के बावजूद, भारत में सोना सुरक्षित निवेश का विकल्प बना हुआ है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) निवेशकों को बिना भंडारण की परेशानी के सोने में निवेश करने का आसान तरीका दे रहे हैं।
एक्सिस म्युचुअल फंड के हेड ऑफ पैसिव्स विकास वाडेकर कहते हैं, गोल्ड ईटीएफ की सुविधा और सुरक्षा ने इसे निवेशकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है, क्योंकि इसमें बिना भौतिक सोना रखे ही ट्रेडिंग की जा सकती है। यह उन परिवारों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो अपने भविष्य को सुरक्षित करना चाहते हैं, साथ ही अपने निवेश तक आसान पहुंच बनाए रखना चाहते हैं।
वाडेकर का मानना हैं कि गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) कम लागत में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने का एक आसान तरीका हैं। ये फंड्स उच्च तरलता (Liquidity) प्रदान करते हैं, जिससे निवेशक जरूरत पड़ने पर आसानी से खरीद और बिक्री कर सकते हैं।
ETFs लचीले होते हैं और इनकी ट्रेडिंग सरल होती है, इसलिए ये आज की डिजिटल और तेजी से बदलती फाइनेंशियल दुनिया के लिए एक बेहतरीन विकल्प माने जाते हैं।
एसेट मैनेजमेंट कंपनी बजाज फिनसर्व के सीनियर फंड मैनेजर-इक्विटीज, सौरभ गुप्ता के अनुसार, सोने की कीमतों में तेजी का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं हैं, जिनमें (Trade Tariffs), भू-राजनीतिक संघर्ष (Geopolitical Conflicts) और आर्थिक मंदी (Economic Slowdowns) जैसी चुनौतियां शामिल हैं। इन वजहों से निवेशक सुरक्षित निवेश (Safe-Haven Assets) जैसे सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
इसके अलावा, भारतीय रुपये की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोरी ने भी सोने की कीमतों को और ऊपर धकेला है। चूंकि सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित होता है, इसलिए रुपये की गिरावट के कारण भारत में इसकी कीमत और बढ़ जाती है।
ठाकुरता के अनुसार, पिछले एक साल में सोने की कीमतों में 35-38% की बढ़ोतरी हुई है। इसके पीछे भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती, मुद्रास्फीति की चिंताएं और कमजोर अमेरिकी डॉलर जैसी कई वजहें हैं।
इसके अलावा, भारत में शादी के सीजन के चलते सोने की मांग में वृद्धि और रुपये में गिरावट भी घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में उछाल के प्रमुख कारक बने हैं।
(डिस्क्लेमर: यहां Gold ETFs के परफॉर्मेंस की डीटेल दी गई है। ये निवेश की सलाह नहीं है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)