घरेलू निवेश के पैटर्न में हुए ढांचागत बदलाव के दम पर हाल के वर्षों में म्युचुअल फंड उद्योग की रफ्तार खासी मजबूत रही है और अगर शेयर बाजार मंदी के दौर में पहुंच जाए तब भी इसमें बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। म्युचुअल फंड उद्योग के दिग्गजों का ऐसा मानना है। बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में गुरुवार को भारत की प्रमुख म्युचुअल फंड कंपनियों के अधिकारियों ने भरोसा जताया कि अगले 2 से 3 साल में म्युचुअल फंड उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 100 लाख लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। अभी एयूएम करीब 67 लाख करोड़ रुपये है।
देश के सबसे बड़े म्युचुअल फंड एसबीआई म्युचुअल फंड के उप- प्रबंध निदेशक डीपी सिंह ने कहा कि एयूएम के 100 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने के लिए उसे सिर्फ 50 फीसदी और जोड़ना होगा। मुझे नहीं लगता कि इसमें 3-4 साल से ज्यादा लगेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एयूएम में वृद्धि की आंशिक वजह बाजारों में आई तेजी है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में एयूएम में वृद्धि में खासी हिस्सेदारी मार्क टु मार्केट लाभ की रही है।
एचडीएफसी म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक और सीईओ नवनीत मुनोत ने कहा कि एयूएम के आंकड़ों पर सबसे ज्यादा चर्चा होती है। लेकिन हमें छोटे शहरों से भी मिल रहे निवेश और एसआईपी के जरिये बढ़ रहे निवेश को देखकर बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने इसे अपनी सबसे बड़ी संतोषजनक उपलब्धियों में से एक बताया। उन्होंने कहा, पिछले 20 साल में वृद्धि की इस रफ्तार से मुझे यह मानने की कोई वजह नहीं दिखती कि अगले 20 साल इससे बेहतर होंगे।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक और सीईओ ए. बालासुब्रमण्यम ने कहा कि उद्योग ने अनुमान से ज्यादा उच्च वृद्धि हासिल करने में कामयाबी पाई है। 100 लाख करोड़ रुपये के एयूएम का लक्ष्य जल्द हासिल हो जाएगा। सवाल यह है कि कितने नए निवेशक और आएंगे। वित्तीय सेवा क्षेत्र में म्युचुअल फंड उद्योग सबसे तेज वृद्धि वाला उद्योग बना रहेगा क्योंकि उसने पिछले 10-15 साल में निवेशकों को सबसे अच्छे अनुभव की पेशकश कर खुद को स्थापित किया है।
उद्योग के दिग्गज का अनुमान है कि फंडों का एयूएम अगले 3-4 वर्षों में बैंक जमाओं का करीब 50 फीसदी होगा। एडलवाइस म्युचुअल फंड की प्रबंध निदेशक और सीईओ राधिका गुप्ता म्युचुअल फंड उद्योग की वृद्धि को लेकर आशावादी हैं और भविष्य में 100 लाख करोड़ रुपये से कहीं अधिक बढ़ने का अनुमान लगाती हैं।
उन्होंने कहा, आइए 100 लाख करोड़ रुपये के 10 गुना तक की बात करें। 100 लाख करोड़ रुपये तो अगले 2-3 साल में हो जाएगा। भारत में एसआईपी का चलन बढ़ रहा है। उन्होंने इसे एक नई पीढ़ी की आर्थिक आदतों का प्रतीक बताते हुए कहा कि आजकल 30 साल से कम उम्र के लोग अपनी पहली सैलरी से ही एसआईपी या शेयर बाजार में कुछ न कुछ निवेश कर रहे हैं।
उन्होंने म्युचुअल फंड उद्योग में बढ़ती विविधता का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि अभी 45 म्युचुअल फंड हैं, 20 और लाइसेंस का इंतज़ार कर रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर बैंक-समर्थित नहीं हैं। गुप्ता ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वितरण सिर्फ बैंक-समर्थित ही है। यह अलग-अलग समूहों में भी होता है।
उनके अनुसार अगर फंड हाउस के पास गुणवत्तापूर्ण योजनाएं हैं और उसकी मजबूत डिजिटल मौजूदगी है, तो वह बैंक के सपोर्ट के बिना भी आगे बढ़ सकता है क्योंकि खरीद का अधिकार खुद उपभोक्ता के हाथ में है। मुनोत ने खुदरा निवेशकों की अहमियत को रेखांकित करते हुए उन्हें असली हीरो कहा। उन्होंने यह भी बताया कि अब खुदरा निवेशकों के पास प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) संस्थागत निवेशकों से भी ज्यादा हो गई हैं।
देशी और विदेशी निवेशकों की ज़रूरत को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि घरेलू बचत का इक्विटी में हिस्सा अभी भी बहुत छोटा है। मुनोत ने बताया कि स्थानीय निवेशकों में पूरी हिम्मत है क्योंकि व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है जिससे अगले तीन से चार सालों में स्थिर और बढ़ते फंड प्रवाह पर उनका भरोसा और मजबूत हुआ है।
छोटे और मिड-कैप फंडों में निवेश प्रवाह पर बात करते हुए कोटक म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा कि हम लोगों को लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करने की सलाह दे रहे हैं। दूसरा, हम लोगों को रिटर्न की अपेक्षा थोड़ी कम रखने की बात कह रहे हैं। इन दो बातों के साथ मुझे लगता है कि छोटे और मिड-कैप फंड सही हैं।