भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने खुदरा निवेशकों की एल्गोरिद्म (एल्गो) ट्रेडिंग को विनियमित करने के उपायों का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में ज्यादातर संस्थागत निवेशकों द्वारा एल्गो ट्रेडिंग की जाती है। इसके तहत बाजार में सीधी पहुंच मिलती है, जिससे उन्हें छोटे निवेशकों की तुलना में संभावित बढ़त हासिल होती है।
खुदरा निवेशक भी एल्गो का उपयोग कर रहे हैं, ऐसे में बाजार नियामक के प्रस्ताव का उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाना और नियमों की खामियों को दूर करना है। नए प्रस्ताव के तहत स्टॉक ब्रोकर केवल उन्हीं एल्गो प्रदाताओं या प्लेटफॉर्म को अनुमति देंगे जो स्टॉक एक्सचेंजों के साथ पंजीकृत होंगे। एक्सचेंज ऐसे प्रदाताओं को पंजीकृत करने के लिए पात्रता शर्तें तय करेंगे।
खुदरा निवेशकों द्वारा विकसित एल्गोरिद्म को उनके ब्रोकरों के जरिये एक्सचेंज पर पंजीकृत करना होगा। पंजीकरण के बाद ही निवेशक या उनके परिवार के सदस्य उक्त एल्गो का उपयोग कर पएंगे। एल्गो ट्रेडिंग में कीमतों में घट-बढ़, शेयर की मात्रा आदि जैसे वेरिएबल से जुड़े पहले से तैयार प्रोग्राम के निर्देशों के आधार पर सौदा किया जाता है। ये टूल अपनी प्रोग्रामिंग के आधार पर शेयरों को स्वचालित तरीके से खरीदने या बेचने के लिए विश्लेषण का उपयोग करते हैं।
इसके अलावा ब्रोकर ओपन एपीआई (ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) की अनुमति नहीं देंगे। एपीआई का उपयोग एल्गो ट्रेडिंग के विभिन्न कार्यों जैसे कि शेयरों की खरीद-बिक्री का ऑर्डर देने और लाइव कीमत का आंकड़ा प्राप्त करने आदि में किया जा सकता है।
ब्रोकर केवल पंजीकृत एल्गो प्रदाताओं के साथ काम करेंगे और सभी संबंधित शिकायतों का समाधान करेंगे। उन्हें एल्गो प्रदाता और वास्तविक उपयोग की पहचान करने के भी उपाय करने होंगे। सेबी ने कहा, ‘प्रत्येक एल्गो के लिए स्टॉक एक्सेंचज से अनुमति लेने के बाद एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा स्टॉक ब्रोकरों के द्वारा मुहैया कराई जाएगी। स्टॉक एक्सचेंज ऑडिट के मकसद से प्रत्येक एल्गो ऑर्डर को एक यूनिक पहचान नंबर देगा और मंजूर एल्गो या एल्गो के लिए उपयोग की जाने वाली प्रणाली में बदलाव के लिए ब्रोकर को एक्सचेंज से मंजूरी लेनी होगी।’
कोविड के बाद रिटेल एल्गो ट्रेडिंग में तेजी को देखते हुए बाजार के कुछ भागीदारों ने सेबी के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। यूट्रेड के सह-संस्थापक और सीईओ कुणाल नंदवानी ने कहा, ‘हाल के समय में कई एल्गो प्लेटफॉर्म और एल्गो डेवलपर आ गए हैं जो न तो पंजीकृत हैं और ही विनियमित लेकिन ट्रेडिंग तंत्र में शामिल हैं। ऐसे में कोई चुनौती या समस्या पैदा होने पर तत्काल समाधान के लिए सीधे तौर पर उनसे संपर्क करना संभव नहीं है।’
सेबी ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि ब्रोकरों के एपीआई के जरिये निर्दिष्ट सीमा से अधिक के ऑर्डर को एल्गो ऑर्डर के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा प्रदान किए गए विशिष्ट पहचान नंबर के साथ टैग किया जाएगा। उद्योग के भागीदारों का कहना है कि यह उपाय इसलिए किया गया है क्योंकि कई एल्गो ऑर्डर एपीआई के माध्यम से आ रहे थे और उन्हें एल्गो के रूप में टैग नहीं किया जा रहा था। इस उपाय से बाजार में किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता और उस पर अंकुश लगाया जा सकेगा। ऑर्डर की सीमा सेबी के परामर्श के साथ ब्रोकर निकाय द्वारा तय की जाएगी।
बाजार नियामक ने कहा कि एल्गो प्रदाताओं को शोध विश्लेषक के तौर पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होगा।