अगले हफ्ते सोने और चांदी की कीमतों में बड़ा बदलाव नहीं आने की उम्मीद है। व्यापारी अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दिसंबर FOMC बैठक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो नीतिगत दिशा के बारे में अहम संकेत दे सकते हैं। जानकारों का मानना है कि ट्रेडिंग काफी हल्की रहेगी, क्योंकि कैलेंडर में सिर्फ कुछ ही बड़े आर्थिक डेटा हैं। इनमें नवंबर के पेंडिंग होम सेल्स और दिसंबर FOMC के मिनट्स शामिल हैं, जो 30 दिसंबर को जारी होंगे। ये चीजें कीमती धातुओं के रुख को तय करेंगी।
पिछले हफ्ते MCX पर सोने के फ्यूचर्स में अच्छी बढ़त देखने को मिली। सोने की कीमत 5,677 रुपये यानी 4.23% बढ़कर शुक्रवार को 1,40,465 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोना मजबूत रहा। कॉमेक्स पर ये 165.4 डॉलर या 3.77 प्रतिशत ऊपर चढ़ा और 4,584 डॉलर प्रति औंस के नए हाई पर बंद हुआ। ये हफ्ता छुट्टियों की वजह से छोटा था, लेकिन फिर भी सोने ने बेहतर प्रदर्शन किया।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 2026 में सोने और चांदी के दाम ऊपर की ओर बढ़ते रहेंगे। वैश्विक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, सेफ हेवन के रूप में इनकी मांग और इंडस्ट्री से मजबूत डिमांड इसकी मुख्य वजहें हैं। हालांकि, 2025 की तरह धमाकेदार तेजी की उम्मीद नहीं है। व्यापारी सतर्क रह सकते हैं, क्योंकि रैली की स्पीड कम हो सकती है।
JM फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट प्रणव मेर ने PTI से कहा कि 2025 की जबरदस्त रैली के बाद 2026 में वैसी तेजी की उम्मीद नहीं है। फिर भी, मौजूदा रुझान सोने को 5,000–5,200 डॉलर और MCX पर 1,50,000 से 1,55,000 रुपये तक ले जा सकता है।
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वे बताते हैं कि 2026 में सोने की रैली के पीछे वही मुख्य कारण काम करेंगे जैसे कि मौद्रिक नीति में ढील, डॉलर से दूर जाना और वैश्विक व्यापार में तनाव। बैंक ऑफ जापान की ब्याज दरों में बढ़ोतरी, दुनिया भर में व्यापार युद्ध का बढ़ना, जहां कई देश आयात पर टैरिफ लगा सकते हैं, और अमेरिका व चीन की आर्थिक गतिविधियां करीब से देखी जाएंगी। सेंट्रल बैंक अब भी सोना खरीद रहे हैं, हालांकि पिछले तीन सालों की तुलना में यह थोड़ी धीमी गति से हो रहा है। पोर्टफोलियो में विविधता और करेंसी की चिंताओं के कारण यह खरीदारी जारी है, खासकर रेट कट्स की उम्मीद के चलते।
एंजेल वन के DVP रिसर्च प्रथमेश मल्ल्या का कहना है कि 2025 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती और आगे की संभावित कटौतियों ने सोने-चांदी को आकर्षक बनाया। इन धातुओं को सेफ हेवन के तौर पर फायदा मिला, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से अनिश्चितता बढ़ी और रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहा। उन्हें उम्मीद है कि 2026 की पहली छमाही में MCX पर सोना 1,60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है।
चांदी ने भी पिछले हफ्ते शानदार प्रदर्शन किया। MCX पर ये 31,348 रुपये यानी 15.04% बढ़कर छुट्टियों वाले छोटे हफ्ते में बंद हुई। शुक्रवार को ये 18,210 रुपये और चढ़कर 2,42,000 रुपये प्रति किलोग्राम के नए रिकॉर्ड तक पहुंच गई। कॉमेक्स पर चांदी 9.71 डॉलर यानी 14.4% बढ़ी और 79.70 डॉलर प्रति औंस के हाई पर बंद हुई। JM फाइनेंशियल के प्रणव मेर के अनुसार, चांदी को नए सेक्टरों से मजबूत इंडस्ट्रियल डिमांड मिल रही है। सोने की तुलना में यह सस्ती है और अप्रैल 2025 में ट्रंप के टैरिफ ऐलान के बाद इंडस्ट्रियल मेटल्स में तेज रैली से भी इसका फायदा हुआ।
एक्सपर्ट्स के अनुसार 2026 में चांदी MCX पर 2,75,000 रुपये प्रति किलोग्राम और वैश्विक स्तर पर 80–85 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इसका कारण वैश्विक सप्लाई में कमी है। चीन, जो चांदी का सबसे बड़ा उपभोक्ता और सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स व EV का प्रमुख निर्माता है, ने 1 जनवरी 2026 से चांदी के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। कंपनियों को इसके लिए लाइसेंस लेना होगा, जो 2027 तक जारी रह सकता है। इससे वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित होगी।
(PTI के इनपुट के साथ)