भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) इस हफ्ते जनवरी से मार्च 2025 तिमाही (Q4 FY25) के वित्तीय नतीजे जारी करने जा रही है। कंपनी का बोर्ड 10 अप्रैल को बैठक करेगा, जिसमें तिमाही नतीजों को मंजूरी दी जाएगी। इसी बैठक में कंपनी फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए फाइनल डिविडेंड की भी सिफारिश कर सकती है। यह सालाना बैठक (AGM) में शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के बाद दिया जाएगा।
देश की दूसरी सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी है TCS
TCS की बाजार में स्थिति बेहद मजबूत है। इसका मार्केट कैप 11.74 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है, जिससे यह भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी बनती है। पूरे शेयर बाजार में यह केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज से पीछे है। कंपनी आमतौर पर अपने तिमाही नतीजे शेयर बाजार बंद होने के बाद यानी शाम 3:30 बजे के बाद घोषित करती है।
डिविडेंड की अब तक की स्थिति और संभावित ऐलान
कंपनी ने अब तक वित्त वर्ष 2024-25 में ₹96 प्रति शेयर का डिविडेंड दे चुकी है। अब बोर्ड की मीटिंग में फाइनल डिविडेंड की राशि पर फैसला लिया जाएगा। रिकॉर्ड डेट की घोषणा भी उसी दिन की जा सकती है, ताकि निवेशकों को यह पता चल सके कि किस तारीख तक शेयर रखने पर उन्हें यह लाभ मिलेगा।
राजस्व और मुनाफे में हल्की बढ़त का अनुमान
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि मार्च तिमाही में TCS का प्रदर्शन स्थिर लेकिन थोड़ा बेहतर रह सकता है। कंपनी की आय करीब 1.4 प्रतिशत बढ़कर ₹64,856 करोड़ होने का अनुमान है, जो पिछली तिमाही में ₹63,973 करोड़ थी। वहीं, EBIT यानी ब्याज और टैक्स से पहले की कमाई ₹16,123 करोड़ रह सकती है, जो पिछली तिमाही से 3 फीसदी ज्यादा होगी। कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन 24.9% तक पहुंच सकता है, जो पिछली तिमाही में 24.5% था।
मुनाफे में हल्की तेजी संभव, लेकिन ग्रोथ सीमित
TCS का शुद्ध मुनाफा इस तिमाही में 2.2 प्रतिशत बढ़कर ₹12,650 करोड़ तक पहुंच सकता है, जबकि पिछली तिमाही में यह ₹12,380 करोड़ था। हालांकि ब्रोकरेज फर्म HDFC Securities का मानना है कि कंपनी का प्रदर्शन इस बार सामान्य रह सकता है क्योंकि क्लाइंट्स की ओर से खर्च में कटौती और डील साइन होने में देरी का असर देखने को मिल सकता है।
सेगमेंटल परफॉर्मेंस और डील्स पर होगी नजर
चौथी तिमाही में TCS के BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) सेगमेंट से अच्छा प्रदर्शन देखने को मिल सकता है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट थोड़ा कमजोर रह सकता है। BSNL डील में रैंप-डाउन के कारण कंपनी को ऑपरेशनल मार्जिन में थोड़ी राहत मिल सकती है। वहीं, नई डील्स का ट्रेंड और उनकी वैल्यू (TCV) स्थिर रह सकती है।
निवेशकों के लिए क्या होगा महत्वपूर्ण
कंपनी के नतीजों के साथ-साथ निवेशक इस बात पर भी खास नजर रखेंगे कि मैनेजमेंट आगे की डिमांड, क्लाइंट्स के खर्च के ट्रेंड, डील्स की स्थिति और कर्मचारियों की संख्या में हो रहे बदलाव को लेकर क्या संकेत देता है। हेडकाउंट और एट्रिशन यानी कंपनी छोड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या भी निवेशकों के लिए अहम संकेत होंगे।