नेपाल सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और कार्यालयों का मुख्यालय 'सिंह दरबार' प्रदर्शनकारियों द्वारा आग लगाए जाने के बाद | फोटो: PTI
नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद भंग कर दी है। उन्होंने शुक्रवार को नई प्रधानमंत्री सुषीला कार्की की सलाह पर यह फैसला लिया। राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि अगले संसदीय चुनाव 5 मार्च, 2026 को होंगे। यह घोषणा एक हफ्ते की हिंसक झड़पों के बाद आई है, जिसमें कम से कम 51 लोग मारे गए। इन प्रदर्शनों की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
73 साल की सुषीला कार्की ने शुक्रवार को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनकी नियुक्ति ने देश में कई दिनों से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता को खत्म किया। कार्की रविवार को एक छोटा मंत्रिमंडल बनाएंगी। वह गृह, विदेश और रक्षा जैसे दो दर्जन मंत्रालयों का जिम्मा खुद संभालेंगी। सूत्रों के मुताबिक, रविवार को वह औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय का काम शुरू करेंगी।
सोमवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों में 19 लोगों की मौत के बाद मंगलवार को ओली ने इस्तीफा दे दिया। प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया पर बैन और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सड़कों पर उतरे थे। सैकड़ों लोग ओली के कार्यालय में घुस गए और उनकी इस्तीफे की मांग की। इन प्रदर्शनों में ‘जेन जेड’ युवाओं की बड़ी भूमिका रही। नेपाल पुलिस ने बताया कि इन झड़पों में एक भारतीय नागरिक समेत 51 लोगों की जान गई।
प्रधानमंत्री कार्यालय को नुकसान पहुंचने के बाद अब सिंगदुरबार परिसर में गृह मंत्रालय की नई इमारत को इसके लिए तैयार किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने सिंगदुरबार सचिवालय में प्रधानमंत्री कार्यालय में आग लगा दी थी। अब वहां साफ-सफाई का काम चल रहा है।
शनिवार को कार्की ने काठमांडू के बनेश्वर इलाके में सिविल अस्पताल का दौरा किया। वहां प्रदर्शनों में घायल हुए लोगों का इलाज चल रहा है।
हालांकि, राष्ट्रपति के संसद भंग करने के फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों और वकीलों की शीर्ष संस्था ने इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। भंग संसद के मुख्य सचेतकों ने भी संयुक्त बयान जारी कर इस फैसले का विरोध किया है।