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यह बढ़ी हुई डेडलाइन नौकरीपेशा और पेंशनधारी लोगों, HUFs (हिंदू अविभाजित परिवार), सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन या अन्य सोर्स से कमाने वालों को मिलेगी। इसके अलावा छोटे कारोबारी और प्रोफेशनल्स, जो प्रेजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (44AD, 44ADA, 44AE) चुनते हैं और जिनका टर्नओवर ऑडिट लिमिट से कम है, वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
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Moneyfront के को-फाउंडर और सीईओ मोहित गांग के अनुसार, ITR फाइल करते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, सही टैक्स रीजीम का चुनाव करें क्योंकि डिफॉल्ट विकल्प नया टैक्स रीजीम है। दूसरी बात, पर्सनल और बैंक डिटेल्स को ध्यान से चेक करें, ताकि रिफंड की प्रोसेसिंग में कोई समस्या न हो। तीसरा, ITR फाइलिंग के 30 दिनों के भीतर ई-वेरिफिकेशन करना न भूलें, वरना आपकी फाइलिंग अमान्य मानी जा सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डेडलाइन को आगे बढ़ाने पर अभी तक कोई नया सर्कुलर जारी नहीं हुआ है। इसलिए समय पर रिटर्न भरना ही सबसे सही विकल्प है, जिससे लेट फीस और ब्याज से बचा जा सके।
डेडलाइन के बाद ITR फाइल करने पर पेनाल्टी लगती है। आमतौर पर यह ₹5,000 होती है, जबकि अगर आपकी कुल आय ₹5 लाख से कम है तो लेट फीस केवल ₹1,000 लगेगी। इसके अलावा बकाया टैक्स पर 1% मासिक ब्याज भी देना पड़ सकता है, जो लेट फीस से अलग है।
सीबीडीटी (CBDT) के आंकड़े बताते हैं कि हर साल ITR फाइलिंग करने वालों की संख्या बढ़ रही है। असेसमेंट ईयर 2024-25 में 7.28 करोड़ ITR फाइल हुए, जबकि पिछले साल यह संख्या 6.77 करोड़ थी। यानी इसमें करीब 7.5% की बढ़ोतरी हुई है। यह दर्शाता है कि टैक्सपेयर्स की संख्या और टैक्स कंप्लायंस लगातार बढ़ रहा है।