NTPC Green IPO: भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादक एनटीपीसी लिमिटेड की हरित ऊर्जा शाखा ने अपने आईपीओ मसौदे में कहा कि केंद्र सरकार ने चीन के साथ व्यापार पर अगर अंकुश लगाए तो उसका कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा। इसकी वजह यह है कि पड़ोसी देश चीन सौर और पवन ऊर्जा के उपकरणों के निर्माण में दिग्गज स्थान रखता है। एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनजीईएल) ने बीते सप्ताह आईपीओ के लिए आवेदन किया था। एनजीईएल की अगले दो महीनों में सूचीबद्ध होने की तैयारी है।
आईपीओ लाने वाली कोई भी कंपनी अपने कारोबार, संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, जोखिम और संभावनाओं के बारे में जानकारी डीआरएचपी में देती है। एनजीईएल ने अपने डीआरएचपी में अपने करोबार से जुड़े कई जोखिमों के बारे में जानकारी दी है। इनमें चीन से आयात अहम है। एनटीपीसी की सभी हरित ऊर्जा की परियोजनाएं एनजीईएल को सौंप दी गईं जब साल 2022 में इसकी स्थापना हुई थी। एनजीईएल के पोर्टफोलियो में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं और हरित हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण जैसी नई पहल हैं।
एनजीईएल ने फाइलिंग में कहा, ‘भारत सरकार या चीन या किसी अन्य निर्यातक देश के किसी भी तरह के अंकुश या अतिरिक्त ड्यूटी लगाए जाने से हमारे कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे संचालन और संभावनाओं पर असर पड़ेगा। भारत के बाहर से खरीदे जाने वाले यंत्रों व उपकरणों की खरीद पर किसी तरह की रोक लगाए जाने से ग्राहकों को उत्पाद मुहैया कराने की हमारी क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। इससे हमारे कारोबार, संचालन के परिणामों और वित्तीय स्थितियों पर भी असर पड़ता है।’
एनजीईएल के डीआरएचपी के अनुसार उसने वित्त वर्ष 2023-24 में 1,271 करोड़ रुपये मूल्य के सौर और पवन ऊर्जा के उपकरणों का आयात किया था और यह सभी चीन के आपूर्तिकर्ताओं के जरिये किए गए थे। इसने देश में भी यानी भारत के आपूर्तिकर्ताओं से 5,742 करोड़ रुपये मूल्य के उपकरण खरीदे थे।
मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीनों में कंपनी ने चीन से 283 करोड़ रुपये मूल्य के उपकरण आयात किए थे और भारत के आपूर्तिकर्ताओं से 2,250 करोड़ रुपये मूल्य के उपकरणों की खरीदारी की। कंपनी ने केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2021 में लिए गए उस निर्णय का हवाला दिया जिसमें 31 मार्च 2022 से सौर मॉड्यूल और सौर सेल के आयात पर सीमा शुल्क लगाने का निर्णय लिया गया था।
कंपनी ने कहा, ‘इसका परिणाम यह हुआ कि चीन से आयात किए जाने वाले सौर मोड्यूल पर हमें सीमा शुल्क देना होगा। ऐसा भी कोई आश्वासन नहीं है कि भविष्य में ऐसे अन्य शुल्क नहीं लगाए जाएंगे।’
इसने यह भी कहा कि इस लागत को उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता है। इसकी वजह से एनजीईएल के मुनाफे पर असर पड़ सकता है।